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GAVI-यूनिसेफ समझौता

Lokesh Pal November 26, 2025 01:45 6 0

संदर्भ

GAVI और यूनिसेफ ने R21/मैट्रिक्स-M मलेरिया वैक्सीन को अधिक सुलभ व किफायती बनाने तथा मलेरिया-प्रभावित देशों में व्यापक रूप से उपलब्ध कराने के लिए नया खरीद समझौता किया है।

R21/मैट्रिक्स-M वैक्सीन के बारे में

  • R21/मैट्रिक्स-M एक अगली पीढ़ी की मलेरिया वैक्सीन है, जिसे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के साथ मिलकर  निर्मित किया गया है।
    • मैट्रिक्स-M सहायक तत्त्व: नोवैवैक्स द्वारा विकसित यह तत्त्व, प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाकर टीके को अधिक प्रभावी और दीर्घकालिक बनाता है।
  • यह प्लाज्मोडियम फैल्सीपैरम पर लक्षित है, जो मलेरिया का सर्वाधिक घातक परजीवी है।
  • मंजूरी: अक्टूबर 2023 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने व्यापक उपयोग के लिए R21/मैट्रिक्स-M की अनुशंसा की। यह WHO द्वारा अनुमोदित दूसरा मलेरिया टीका बना (पहला RTS,S.)
  • प्रभावकारिता एवं लाभ
    • तीन-खुराक की प्राथमिक शृंखला एवं बूस्टर के बाद लगभग 70–80% प्रभावकारिता प्राप्त होती है (12 माह की अवधि में)।
    • RTS,S, की तुलना में अधिक वहनीय तथा निर्माण में सरल, जिससे उच्च-भार वाले देशों में बड़े स्तर पर टीकाकरण के लिए सुलभ है।

RTS,S/AS01 मलेरिया टीके के बारे में

  • RTS,S/AS01 (जिसे मोस्क्यूरिक्स (Mosquirix) भी कहा जाता है) विश्व का पहला मलेरिया टीका है, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अनुशंसित किया।
  • यह विशेषकर उप-सहारा अफ्रीका के बच्चों में होने वाले संक्रमण हेतु प्लाज्मोडियम फैल्सीपैरम पर लक्षित है।
  • विकास: ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन, पाथ मलेरिया वैक्सीन इनिशिएटिव के सहयोग तथा बिल एवं मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के समर्थन द्वारा विकसित।
  • प्रभावकारिता
    • लगभग 30–40 प्रतिशत सुरक्षा (4  वर्ष की अनुवर्ती अवधि में)।
    • ‘मलेरिया औषधि-रोकथाम’ (SMC) के साथ संयोजन में देने पर इसकी सुरक्षा कुछ अध्ययनों में 60% से अधिक तक बढ़ाई जा सकती है।
  • खुराक
    • पहली 3 खुराकें मासिक अंतराल पर (लगभग 5 महीने की आयु से शुरू)।
    • लगभग 18 महीने बाद चौथी बूस्टर खुराक।
  • मंजूरी: अक्टूबर 2021 में WHO ने मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों के बच्चों में व्यापक उपयोग हेतु अनुमोदित किया।
  • सीमाएँ
    • मध्यम प्रभावकारिता और अनेक खुराकों की आवश्यकता है।
    • समय के साथ सुरक्षा में कमी, जिससे बूस्टर डोज आवश्यक है।
    • उच्च लागत व भंडारण समस्याएँ बड़े स्तर पर अपनाने में बाधा बन सकती हैं।

ग्लोबल अलायंस फॉर वैक्सीनस ऐंड इम्यूनाइजेशन (GAVI) के बारे में

  • GAVI एक सार्वजनिक-निजी वैश्विक स्वास्थ्य साझेदारी है, जिसका उद्देश्य निम्न-आय व मध्य-आय वाले देशों में जीवनरक्षक टीकों की पहुँच बढ़ाना है।
  • स्थापना: वर्ष 2000 में विश्व आर्थिक मंच (दावोस) में।
  • मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्जरलैंड।
  • उद्देश्य एवं मिशन
    • जीवन की रक्षा करना, रोग-भार कम करना और टीकाकरण तंत्र को सुदृढ़ बनाना।
    • नए टीकों की शुरुआत में देशों की सहायता, समान टीका-वितरण सुनिश्चित करना, शीत-शृंखला व वितरण-प्रणालियों को मजबूत करना।
  • प्रमुख साझेदार: GAVI दाता और प्राप्तकर्ता देशों की सरकारें, विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ, विश्व बैंक, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन को निम्नलिखित के साथ एक मंच पर लाता है –
    • वैक्सीन निर्माता
    • नागरिक समाज संगठन
  • मुख्य उपलब्धियाँ
    • वर्ष 2000 में अपनी स्थापना के बाद से, GAVI ने विश्व के सबसे गरीब देशों में 1 अरब से अधिक बच्चों का टीकाकरण करने में मदद की है, जिससे 17.3 मिलियन से अधिक भविष्य में होने वाली मौतों को रोका जा सका है।
    • इसने पेंटावैलेंट, न्यूमोकोकल, HPV, रोटावायरस और कोविड-19 जैसे टीकों के बड़े पैमाने पर वितरण को संभव बनाया है।
    • GAVI ने वैश्विक कोविड-19 टीका वितरण तंत्र, कोवैक्स का सह-नेतृत्व किया है।

भारत और GAVI

  • पिछले दशक में GAVI के साथ भारत के संबंध काफी विकसित हुए हैं।
  • भारत ने वर्ष 2017 में GAVI-वैक्सीन अलायंस से सहायता लेना बंद कर दिया और अब वैश्विक टीकाकरण में योगदान देने वाले तथा टीकों का आपूर्तिकर्ता देश की भूमिका में आ गया है।
  • भारत ने पिछले वित्तपोषण चक्र में वैश्विक टीकाकरण प्रयासों हेतु दस मिलियन डॉलर का योगदान दिया।

मलेरिया के बारे में

  • मलेरिया एक मच्छरजन्य संक्रामक रोग है, जो प्लाज्मोडियम परजीवी द्वारा प्रसारित होता है और संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है। यह उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में सामान्य है।
  • कारक परजीवी: मानव में संक्रमण उत्पन्न करने वाली पाँच प्रजातियाँ— प्लाज्मोडियम फैल्सीपैरम, प्लाज्मोडियम वाइवैक्स (भारत में सर्वाधिक), प्लाज्मोडियम मलेरिए, प्लाज्मोडियम ओवेल और प्लाज्मोडियम नोलेसी (दक्षिण-पूर्व एशिया में पाया जाने वाला परजीवी)।
  • संक्रमण: मलेरिया व्यक्ति-से-व्यक्ति में नहीं प्रसारित होता; परंतु संक्रमित रक्त अथवा दूषित सूइयों से संचरण संभव।
  • लक्षण: बुखार, ठंड लगना, पसीना, सिरदर्द, थकान आदि।
    • गंभीर अवस्था में रक्ताल्पता, मस्तिष्क-मलेरिया, अंग-विफलता और मृत्यु (मुख्यतः फैल्सीपैरम)।
  • वर्तमान परिदृश्य
    • वैश्विक भार: WHO के नवीनतम विश्व मलेरिया प्रतिवेदन के अनुसार, वर्ष 2023 में अनुमानित 263 मिलियन मामले और 5,97,000 मृत्यु हुई हैं।
    • भारत
      • राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन रूपरेखा (2016–2030) के तहत भारत ने मामलों में उल्लेखनीय कमी की।
      • अत्यधिक प्रभावित क्षेत्र: लोंगतलाई (मिजोरम) और नारायणपुर (छत्तीसगढ़) जैसे आदिवासी जिले अभी भी उच्च संक्रमण दर (प्रति हजार जनसंख्या पर क्रमशः 56 और 22 मामले) दर्शाते हैं।
      • भारत में प्लाज्मोडियम वाइवैक्स सर्वाधिक सामान्य, जबकि फैल्सीपैरम आदिवासी व वन क्षेत्रों (ओडिशा, छत्तीसगढ़, पूर्वोत्तर) में मुख्य रूप से पाया जाता है।
      • भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक मलेरिया उन्मूलन है, जो WHO के लक्ष्यों के अनुरूप है।

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