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Lokesh Pal
November 28, 2025 01:50
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हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने संकेत दिया कि वह राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) पर पुनर्विचार करने और कॉलेजियम प्रणाली को समाप्त करने की याचिका पर विचार करेगा।

NJAC को न्यायाधीशों की नियुक्ति को विनियमित करने और आयोग को सशक्त बनाने के लिए 99वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2014 द्वारा पेश किया गया था।
कॉलेजियम प्रणाली के माध्यम से देश भर के सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण किया जाता है।
सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि कॉलेजियम प्रणाली न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा करती है।

NJAC को एक महत्त्वपूर्ण सुधार के रूप में देखा गया है। पूर्व न्यायाधीशों सहित अनेक विशेषज्ञों का तर्क है कि यह विद्यमान व्यवस्था की तुलना में अधिक संतुलित और प्रभावी प्रणाली प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त, वैश्विक परिप्रेक्ष्य में न्यायपालिका उन कुछ संस्थाओं में से एक है, जहाँ न्यायाधीशों की नियुक्ति पूर्णत: न्यायालयों द्वारा नहीं की जाती।
भारत, न्यायिक सुधार के एक परिवर्तनकारी दौर से गुजर रहा है। राष्ट्रीय न्यायिक आयोग (NJAC) पर पुनर्विचार और राष्ट्रीय न्यायिक नीति पर बहस का उद्देश्य संवैधानिक संतुलन स्थापित करना तथा न्यायिक स्वतंत्रता, लोकतांत्रिक वैधता, संघीय विविधता एवं जवाबदेही के बीच संतुलन स्थापित करना है। न्याय प्रदान करने में पारदर्शिता, सुसंगतता और सभी नागरिकों के लिए समान पहुँच सुनिश्चित होनी चाहिए।
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