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कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (CSC)

Lokesh Pal December 04, 2025 03:23 4 0

संदर्भ

हाल ही में भारत ने कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (CSC) के 7वें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार-स्तरीय शिखर सम्मेलन की मेजबानी की। 

7वें कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन के बारे में

  • मेजबान: भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल।
  • प्रतिभागी
    • सदस्य देश: भारत, श्रीलंका, मालदीव, मॉरीशस, बांग्लादेश।
    • नया पूर्णकालिक सदस्य: सेशेल्स।
    • पर्यवेक्षक/अतिथि: सेशेल्स (पूर्व पर्यवेक्षक), मलेशिया (अतिथि प्रतिभागी)।
  • उद्देश्य: हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा के लिए सहयोगात्मक तंत्र को मजबूत करना।

7वें कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन के मुख्य परिणाम

  • समूह की सदस्यता का विस्तार: सेशेल्स औपचारिक रूप से पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल हुआ, जो मजबूत क्षेत्रीय प्रतिबद्धता का संकेत है।
  • भारत की समुद्री भागीदारी को मजबूत करना: बढ़ती भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्द्धा, विशेष रूप से चीन के साथ, के बीच भारत ने समुद्री पड़ोसियों के साथ सहयोग को गहरा किया है।
  • समुद्री सुरक्षा पर अधिक बल: हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में स्थिरता के लिए सुरक्षा सहयोग के बढ़ते महत्त्व पर प्रकाश डाला।
  • भविष्य में संभावित विस्तार: अतिथि के रूप में मलेशिया की भागीदारी व्यापक हिंद-प्रशांत भागीदारी का संकेत दे सकती है।

कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (CSC) के बारे में 

  • संदर्भ: CSC एक क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग मंच है, जो हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) के देशों के बीच समुद्री और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ाने पर केंद्रित है।
  • उत्पत्ति और विकास
    • त्रिपक्षीय ढाँचे के रूप में स्थापना (2011): भारत, श्रीलंका और मालदीव के बीच एक त्रिपक्षीय समुद्री सुरक्षा तंत्र के रूप में वर्ष 2011 में शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय समुद्री खतरों के समन्वित प्रतिक्रियाओं पर केंद्रित था।
    • पुनरुद्धार और विस्तार (2020): वर्ष 2020 में मॉरीशस के पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल होने के साथ इसका पुनरुद्धार हुआ, जबकि बांग्लादेश और सेशेल्स को पर्यवेक्षकों के रूप में शामिल किया गया, जिससे सम्मेलन का क्षेत्रीय दायरा विस्तृत हुआ।
    • बांग्लादेश पूर्ण सदस्य बना (2024): बांग्लादेश ने वर्ष 2024 में अपनी स्थिति को पूर्ण सदस्यता तक बढ़ा दिया, जिससे सम्मेलन की रणनीतिक स्थिति और सहयोगात्मक तंत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
    • संस्थापक दस्तावेजों के माध्यम से संस्थागतकरण (अगस्त 2024): CSC के संस्थापक दस्तावेजों पर अगस्त 2024 में श्रीलंका में औपचारिक रूप से हस्ताक्षर किए गए, जिससे समूह को एक सुव्यवस्थित संस्थागत और परिचालन व्यवस्था प्राप्त हुई।
    • CSC शिखर सम्मेलन (2025) में व्यापक सहभागिता: वर्ष 2025 के CSC शिखर सम्मेलन में, सेशेल्स ने एक पर्यवेक्षक के रूप में और मलेशिया ने एक अतिथि देश के रूप में भाग लिया, जिससे CSC ढाँचे में क्षेत्रीय रुचि में वृद्धि का संकेत मिलता है।
    • सेशेल्स की सदस्यता का मार्ग (2025): CSC सदस्यों ने सेशेल्स के पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल होने के निर्णय का स्वागत किया, जो सम्मेलन के चरणबद्ध और सर्वसम्मति से संचालित विस्तार में अगला कदम है।
  • CSC सचिवालय: कोलंबो, श्रीलंका
  • उद्देश्य
    • उन्नत समुद्री एवं सुरक्षा सहयोग: हिंद महासागर के तटीय देशों में समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद-निरोध, साइबर सुरक्षा और मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (HADR) पर सहयोग को मजबूत करना।
    • गोपनीय जानकारी साझा करना: वास्तविक समय में सूचना के आदान-प्रदान, संयुक्त खतरा आकलन और उभरती क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों के लिए समन्वित प्रतिक्रियाओं को बढ़ावा देना।
    • क्षमता निर्माण एवं संयुक्त तैयारी: दीर्घकालिक परिचालन सहयोग के लिए संयुक्त अभ्यासों, विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों और मजबूत संस्थागत ढाँचों के माध्यम से सामूहिक क्षमताओं को बढ़ाना।
  • मूल अधिदेश
    • समुद्री सुरक्षा एवं संरक्षा
    • आतंकवाद एवं कट्टरपंथ का मुकाबला
    • तस्करी एवं अंतरराष्ट्रीय अपराध का मुकाबला
    • साइबर सुरक्षा एवं महत्त्वपूर्ण अवसंरचना संरक्षण
    • मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (HADR)
    • समुद्री प्रदूषण प्रतिक्रिया।
      • यह सम्मेलन सहयोग के पाँच प्रमुख स्तंभों के साथ-साथ पर्यावरण सुरक्षा (समुद्री प्रदूषण प्रतिक्रिया) आधारित विशिष्ट क्षेत्र पर केंद्रित है।

कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (CSC) की प्रमुख उपलब्धियाँ

  • संस्थागत सुदृढ़ीकरण: भारत के नेतृत्व में प्रथम CSC महासचिव की नियुक्ति और एक समर्पित CSC प्रशिक्षण अकादमी की प्रगति ने बेहतर प्रशासनिक निरंतरता और दीर्घकालिक कौशल संस्थागतकरण स्थापित किया है।
  • संचालन एवं क्षमता वृद्धि: नियमित टेबल-टॉप अभ्यास, सिमुलेशन अभ्यास और क्षमता निर्माण कार्यशालाओं के साथ-साथ मॉरीशस तटरक्षक/पुलिस के प्रशिक्षण तथा भारतीय हाइड्रोग्राफरों की तैनाती ने सदस्य देशों में परिचालन तत्परता में उल्लेखनीय सुधार किया है।
  • मजबूत समुद्री डोमेन जागरूकता (MDA): सूचना संलयन केंद्र-हिंद महासागर क्षेत्र (IFC-IOR) के साथ गहन एकीकरण ने वास्तविक समय की खुफिया जानकारी, समन्वित निगरानी और संयुक्त समुद्री प्रतिक्रियाओं को बढ़ावा दिया है।
  • नीली अर्थव्यवस्था सहयोग: नीली अर्थव्यवस्था पर आभासी उत्कृष्टता केंद्र (2025) का निर्माण तटीय और द्वीपीय देशों के लिए सतत् समुद्री संसाधन प्रशासन और जलवायु अनुकूलन का समर्थन करता है।
  • क्षेत्रीय सामंजस्य में वृद्धि: सेशेल्स का पूर्ण सदस्य के रूप में प्रवेश और मलेशिया की अतिथि सदस्य के रूप में भागीदारी, CSC मंच के प्रति बढ़ते क्षेत्रीय विश्वास और व्यापक स्वीकृति को दर्शाती है।
  • प्रभावी नीति समन्वय: मुद्दा-विशिष्ट कार्य समूह निरंतर प्रगति को गति प्रदान करते हैं, राष्ट्रीय दृष्टिकोणों में सामंजस्य स्थापित करते हैं और सदस्यों के बीच निरंतर ज्ञान के आदान-प्रदान को सक्षम बनाते हैं।

हिंद महासागर क्षेत्र और कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (CSC) की भूमिका

हिंद महासागर क्षेत्र के बारे में

  • विस्तार: यह अफ्रीका के पूर्वी तट से ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी तट तक विस्तृत है, जिसमें अरब की खाड़ी, पूर्वी अफ्रीका, दक्षिण एशिया, पूर्वी एशिया से मलक्का जलडमरूमध्य और दक्षिणी महासागरीय द्वीप समूह शामिल हैं, और इसके अंतर्गत लगभग 38 देश आते हैं।
  • संपर्क स्थान: यह मलक्का जलडमरूमध्य, होर्मुज जलडमरूमध्य, बाब अल-मंडेब, और ओम्बाई एवं वेतार जलडमरूमध्य जैसे महत्त्वपूर्ण अवरोध बिंदुओं के माध्यम से पूर्व और पश्चिम के बीच के अंतराल को समाप्त करने वाले एक महत्त्वपूर्ण पारगमन मार्ग के रूप में कार्य करता है।

इसका महत्त्व

  • वैश्विक स्तर: हिंद महासागर तीसरा सबसे बड़ा महासागरीय बेसिन है, जो प्रमुख समुद्री गतिविधियों को आकार देता है।
  • जनसंख्या केंद्र: विश्व की लगभग एक-तिहाई जनसंख्या इसके आस-पास के तटीय और द्वीपीय देशों में रहती है।
  • ऊर्जा स्रोत: वैश्विक तेल शिपमेंट का दो-तिहाई से अधिक हिस्सा इसके महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों से होकर गुजरता है।
  • भारत का व्यापारिक आधार: मात्रा के हिसाब से भारत का लगभग 90% व्यापार और लगभग सभी तेल आयात इसके जलमार्गों से होकर गुजरते हैं।
  • समुद्री क्षेत्राधिकार: हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का 24 लाख वर्ग किलोमीटर का विशाल अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) है।

हिंद महासागर में भारत की रणनीति

  • सशक्त नीतिगत ढाँचा: भारत की समुद्री भागीदारी पड़ोसी प्रथम और सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) द्वारा आकार लेती है।
    • मार्च 2025 में, भारत ने महासागर (MAHASAGAR) सिद्धांत (क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक और समग्र उन्नति) की शुरुआत की, जिससे सागर को एक व्यापक क्षेत्रीय दृष्टिकोण में विस्तारित किया गया।
  • नेट सुरक्षा प्रदाता के रूप में भारत: भारत को हिंद महासागर क्षेत्र में एक सुरक्षा प्रदाता के रूप में मान्यता प्राप्त है।
    • यह समुद्री डकैती विरोधी अभियानों में भाग लेता है तथा अवैध, प्रतिबंधित और अनियमित (IUU) मत्स्यन के विरूद्ध कार्रवाई करता है तथा समुद्री आतंकवाद एवं संगठित अपराध के खिलाफ सहयोग करता है।
    • भारत संयुक्त EEZ निगरानी भी करता है और सूचना संलयन केंद्र- हिंद महासागर क्षेत्र (IFC-IOR) के माध्यम से वास्तविक समय की समुद्री जानकारी साझा करता है।
  • तटीय राज्यों के साथ घनिष्ठ संबंध: भारत मॉरीशस, मालदीव, श्रीलंका और सेशेल्स के साथ मजबूत साझेदारी रखता है।
    • सहयोग विकास सहायता, क्षमता निर्माण, मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR), और समुद्री सुरक्षा पर केंद्रित है।
  • क्षेत्रीय नेतृत्व: भारत हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) और हिंद महासागर आयोग (IOC) सहित कई मंचों में प्रमुख भूमिका निभाता है।
    • ये मंच आर्थिक सहयोग, समुद्री सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देते हैं।
  • रणनीतिक बुनियादी ढाँचे का निर्माण: भारत चाबहार (ईरान) जैसे प्रमुख क्षेत्रीय बंदरगाहों में निवेश कर रहा है और श्रीलंका, मॉरीशस और सेशेल्स में बंदरगाह विकास का विस्तार कर रहा है।
    • सागरमाला 2.0 के माध्यम से, भारत का लक्ष्य बंदरगाह संपर्क को उन्नत करना, अंतर्देशीय जलमार्गों का विस्तार करना तथा समुद्री प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देने के लिए औद्योगिक विकास को समर्थन देना है।
  • संकट की स्थिति में विश्वसनीय प्रथम प्रतिक्रिया: भारत निरंतर रूप से हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) और हिंद महासागर आयोग (IOC) में मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) सहायता प्रदान करता है।
  • वर्तमान कार्रवाई (चक्रवात दित्वाह, 2025): विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन के बाद श्रीलंका को तत्काल खोज एवं बचाव तथा HADR सहायता प्रदान करने के लिएऑपरेशन सागर बंधु’ शुरू किया गया।
    • इसके अलावा, टाइफून यागी के बाद, भारत नेऑपरेशन सद्भाव’ शुरू किया, जिसके तहत म्याँमार, लाओस और वियतनाम को राहत सामग्री और चिकित्सा सहायता पहुँचाई गई।

हिंद महासागर क्षेत्र में प्रमुख बहुपक्षीय मंच

  • हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA): 23 सदस्यीय समूह आर्थिक सहयोग, समुद्री सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण पर केंद्रित है। भारत इसका संस्थापक सदस्य है।
  • हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (IONS): हिंद महासागर के तटीय देशों के बीच नौसैनिक सहयोग बढ़ाने के लिए वर्ष 2008 में भारत द्वारा स्थापित किया गया।
  • हिंद-प्रशांत महासागर पहल (IPOI): एक खुले, समावेशी और सतत् हिंद-प्रशांत समुद्री क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2019 में शुरू किया गया।
  • चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (QUAD): समुद्री सुरक्षा, HADR, पर्यावरण, आपूर्ति शृंखला और साइबर सुरक्षा पर कार्य करता है।
  • बिम्सटेक: भारत इसके सुरक्षा स्तंभ का नेतृत्व करता है, जिसमें आतंकवाद-निरोध, अंतरराष्ट्रीय अपराध, आपदा प्रबंधन और ऊर्जा सुरक्षा शामिल हैं।
  • हिंद महासागर आयोग (IOC): आर्थिक और पर्यावरणीय सहयोग पर केंद्रित; भारत एक पर्यवेक्षक है।

कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (CSC) के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ 

  • चीन के प्रति भिन्न खतरे की धारणाएँ: भारत चीन के समुद्री क्षेत्र में बढ़ते प्रभाव को एक रणनीतिक चुनौती मानता है, जबकि कई सदस्य देश चीनी ऋण, बुनियादी ढाँचे और व्यापार पर अत्यधिक निर्भर हैं, जिससे जोखिम संरेखण कठिन हो जाता है।
  • संस्थागत और संरचनात्मक कमजोरियाँ: CSC अभी भी मुख्यतः राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) स्तर पर कार्य करता है, जिसके पास मंत्रिस्तरीय समर्थन, संयुक्त बजट और संयुक्त परिचालन तंत्र (जैसे, समन्वित गश्त) नहीं हैं।
  • घरेलू राजनीतिक अस्थिरता: समूह घरेलू राजनीतिक परिवर्तनों के प्रति संवेदनशील होगा, जब तक कि वह भागीदार प्रणालियों के भीतर स्वयं को बेहतर ढंग से संस्थागत नहीं बना लेता।
    • उदाहरण के लिए, बांग्लादेश और मालदीव में राजनीतिक परिवर्तन (जैसे- ‘इंडिया आउट’ अभियान) निरंतरता को बाधित कर सकते हैं।
  • समन्वय का अभाव: CSC देश दो क्षेत्रीय हिंद महासागर समूहों, हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) और हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (IONS) के सदस्य हैं। हालाँकि, IORA और IONS के बीच समन्वय की कमी ने इन संस्थानों के प्रभावी कामकाज में बाधा डाली है।
  • अन्य क्षेत्रीय मंचों के साथ विखंडन: हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA), हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (IONS) और बहु-क्षेत्रीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल (BIMSTEC) के साथ अतिव्यापन होने से दक्षता कम हो जाती है।

PWOnlyIAS विशेष

CSC बनाम अन्य क्षेत्रीय समूह

तंत्र भौगोलिक सीमा प्रमुख लक्षित क्षेत्र हार्ड पॉवर’ घटक भारत की भूमिका
कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (CSC) हिंद महासागर के निकटतम तटीय क्षेत्र (उप-क्षेत्रीय) गैर-पारंपरिक सुरक्षा (साइबर, HADR, तस्करी, समुद्री सुरक्षा) निम्न (मुख्यतः टेबल-टॉप अभ्यास) स्पष्ट नेतृत्व एवं व्यवस्थापक (SAGAR द्वारा संचालित)
क्वाड व्यापक हिंद-प्रशांत दायरा रणनीतिक संतुलन, वैश्विक वस्तुएँ, प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढाँचा उच्च (मालाबार, संयुक्त नौसैनिक नौकायन) समानता वालों में प्रथम (अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया के साथ साझा नेतृत्व)
हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) विस्तृत हिंद महासागर क्षेत्र (23 सदस्य) आर्थिक सहयोग, व्यापार, सतत् विकास कोई नहीं (नागरिक मंच) संस्थापक सदस्य और प्रभावशाली, लेकिन सुरक्षा-केंद्रित नहीं
हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (IONS) 36 तटीय राष्ट्र नौसेनाएँ संवाद, पेशेवर नौसैनिक सहयोग कोई नहीं (संवाद मंच) संस्थापक, महत्त्वपूर्ण लेकिन गौण
मिलन अभ्यास बहुराष्ट्रीय नौसैनिक अभ्यास अंतरसंचालनीयता, नौसैनिक कूटनीति उच्च (प्रमुख नौसैनिक युद्धाभ्यास) मेजबान राष्ट्र, लेकिन स्थायी समूह नहीं।

  • कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (CSC) एकमात्र ऐसा मंच है, जहाँ भारत अपने निकटवर्ती क्षेत्र में स्पष्ट रूप से अग्रणी है।
  • CSC भारत को क्षेत्र के महत्त्वपूर्ण ‘सुरक्षा प्रदाता’ के रूप में अपनी भूमिका को संस्थागत बनाने, सागर (SAGAR) को मजबूत करने और हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को नियंत्रित करने का एक अद्वितीय मार्ग प्रदान करता है।

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आगे की राह 

  • कानूनी और संस्थागत ढाँचों को मजबूत बनाना: मजबूत राजनीतिक स्वामित्व, स्पष्ट अधिदेश-निर्धारण और निरंतर नीतिगत सुसंगतता प्रदान करने के लिए CSC को विदेश मंत्री या उप-मंत्री स्तर की बैठकों तक बढ़ाना।
  • एक समर्पित CSC सुरक्षा सहयोग कोष बनाना: सदस्य-देशों में संयुक्त परियोजनाओं, समुद्री गश्त, प्रशिक्षण कार्यक्रमों और समुद्री क्षेत्र जागरूकता (MDA) बुनियादी ढाँचे का समर्थन करने के लिए एक संयुक्त वित्तीय तंत्र की स्थापना करना।
  • संयुक्त कार्य बल स्थापित करना: निरंतर समन्वय, तीव्र निर्णय लेने और परिचालन संबंधी अनुवर्ती कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक CSC सुरक्षा स्तंभ के अंतर्गत स्थायी, बहु-देशीय कार्य बल स्थापित करना।
  • सहयोगात्मक समुद्री अभियानों का विस्तार: सीमित अभ्यासों से संयुक्त नौसैनिक गश्त, अवैध, असूचित और अनियमित (IUU) मत्स्यन के विरुद्ध अभियान, और बहु-राष्ट्रीय मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (HADR) अभ्यासों की ओर संक्रमण, ताकि वास्तविक दुनिया में अंतर-संचालनीयता को मजबूत किया जा सके।
  • उन्नत समुद्री प्रौद्योगिकियों का एकीकरण: वास्तविक समय की स्थितिजन्य जागरूकता के लिए उपग्रह-आधारित निगरानी, ​​आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस  (AI)- सक्षम समुद्री ट्रैकिंग, और सूचना संलयन केंद्र-हिंद महासागर क्षेत्र (IFC-IOR) प्रणालियों तक साझा पहुँच के उपयोग का विस्तार करना।
  • रणनीतिक संवेदनशीलता के साथ चीन संबंधी चिंताओं का समाधान करना: CSC के उद्देश्य को गैर-पारंपरिक सुरक्षा खतरों पर केंद्रित रखना, ताकि एकजुटता बनी रहे, साथ ही चीन के भारी कर्ज वाले बुनियादी ढाँचे के मॉडल का मुकाबला करने के लिए पारदर्शी, सतत्, क्षमता-निर्माण विकल्प भी उपलब्ध हों।
  • विकास-सुरक्षा तालमेल को गहरा करना: ब्लू इकोनॉमी, तटीय जलवायु अनुकूलन, पूर्व चेतावनी प्रणालियों, मत्स्यपालन प्रशासन में संयुक्त पहलों को बढ़ावा देना और सुरक्षा, जलवायु तथा आर्थिक लचीलेपन को एकीकृत करते हुए एक महासागर ढाँचा शुरू करना।
  • चरणबद्ध और संरचित विस्तार मॉडल अपनाना: संभावित सदस्यों (जैसे- मलेशिया और थाईलैंड) को पहले पर्यवेक्षक के रूप में शामिल होने और फिर पूर्ण सदस्यता में संक्रमण की अनुमति देना, जिससे संस्थागत स्थिरता और परिचालन दक्षता की रक्षा हो सके।

निष्कर्ष

कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन भारत को अपने पड़ोस के निर्विवाद सुरक्षा केंद्र के रूप में स्थापित करता है, जिससे चीन के साथ तीव्र समन्वय, मजबूत विश्वास और प्रभावी प्रतिसंतुलन संभव होता है। इस प्रकार, CSC हिंद महासागर सुरक्षा को आकार देने के लिए भारत का सबसे विश्वसनीय और प्रभावशाली मंच बन जाता है।

अभ्यास प्रश्न

कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (CSC) हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में उभरा है। चर्चा कीजिए कि कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन में भारत का नेतृत्व उसके समुद्री सुरक्षा हितों और क्षेत्रीय रणनीतिक उद्देश्यों को कैसे आगे बढ़ाता है, और इस सहयोग को बनाए रखने में आने वाली प्रमुख चुनौतियों का परीक्षण कीजिए।

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