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चक्रीय अर्थव्यवस्था

Lokesh Pal December 04, 2025 03:44 3 0

संदर्भ

फिनलैंड वर्ष 2026 में भारत द्वारा अक्टूबर 2026 में आयोजित किए जाने वाले वर्ल्ड सर्कुलर इकोनॉमी फोरम’ (WCEF) के साथ-साथ भारत के प्रमुख शहरों मेंसर्कुलर इकोनॉमी रोडशो’ आयोजित करेगा।

चक्रीय अर्थव्यवस्था के बारे में

  • चक्रीय अर्थव्यवस्था एक आर्थिक मॉडल है, जिसका उद्देश्य अपशिष्ट को न्यूनतम करना और संसाधन दक्षता को अधिकतम करना है, जिसमें उत्पादों, सामग्रियों और संसाधनों को यथासंभव लंबे समय तक उपयोग में बनाए रखा जाता है।
  • इसमें पारंपरिक रैखिक अर्थव्यवस्था (टेक–मेक–डिस्पोज) का स्थान एक पुनर्योजी प्रणाली ग्रहण करती है।
  • मुख्य सिद्धांत
    • डिजाइन संबंधी नवाचार: उत्पादों का डिजाइन इस प्रकार किया जाता है कि अपशिष्ट, प्रदूषण और पर्यावरणीय क्षति को कम किया जा सके।
    • सामग्रियों को उपयोग में बनाए रखना: पुनः उपयोग, मरम्मत, नवीनीकरण, पुनर्निर्माण और पुनर्चक्रण के माध्यम से सामग्रियों के जीवनचक्र को बढ़ाना।
    • प्राकृतिक प्रणालियों का पुनर्जनन: सतत् निष्कर्षण, कंपोस्टिंग और नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग के माध्यम से पारिस्थितिकी तंत्रों को पुनर्स्थापित करना।

भारत का चक्रीय अर्थव्यवस्था परिदृश्य

  • भारत की चक्रीय अर्थव्यवस्था वर्ष 2050 तक 2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचने और 1 करोड़ रोजगार सृजित करने का अनुमान है (भारत सरकार)।
  • वर्तमान नीति का लक्ष्य मुख्यतः अपशिष्ट प्रबंधन और पुनर्चक्रण पर है, जबकि अवसर इससे कहीं अधिक विस्तृत हैं।

चक्रीय अर्थव्यवस्था के लाभ

  • पर्यावरणीय लाभ
    • प्राकृतिक संसाधनों के दोहन में कमी: उत्पादों के जीवनकाल को बढ़ाने से सीमित प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण होता है। (SDG 12)
    • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी: चक्रीय प्रथाएँ कार्बन उत्सर्जन को कम करती हैं और वैश्विक जलवायु प्रतिबद्धताओं का समर्थन करती हैं।
    • अपशिष्ट उत्पादन का न्यूनीकरण: पुनः उपयोग और पुनर्चक्रण से अपशिष्ट की मात्रा में कमी आती है, जिसे लैंडफिल तथा पर्यावरण में जाने से रोका जा सकता है।
  • आर्थिक लाभ
    • लागत दक्षता: सामग्रियों और ऊर्जा के अनुकूलित उपयोग से उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए बचत होती है।
    • रोजगार सृजन: मरम्मत, नवीनीकरण, पुनर्चक्रण और पुनर्निर्माण जैसी गतिविधियाँ नए रोजगार अवसर उत्पन्न करती हैं।
    • विविधीकृत बाजार: लीजिंग, शेयरिंग और ‘प्रोडक्ट-एज-ए-सर्विस’ जैसे अभिनव मॉडल व्यापार वृद्धि के नए मार्ग प्रदान करते हैं।
  • सामाजिक लाभ
    • उपभोक्ताओं के लिए अधिक विकल्प: उपभोक्ता कम लागत पर नवीनीकृत या किराए के उत्पादों को हासिल कर सकते हैं, जिससे वहनीयता बढ़ती है।
    • जीवन गुणवत्ता में सुधार: प्रदूषण में कमी और बेहतर अपशिष्ट प्रबंधन से स्वस्थ पर्यावरण सुनिश्चित होता है।
    • सामुदायिक सहभागिता में वृद्धि: स्थानीय पुनुरुद्धार और पुनः उपयोग पहलों से समुदाय की भागीदारी और साझा उत्तरदायित्व को बढ़ावा मिलता है।

चक्रीय अर्थव्यवस्था की दिशा में भारत की प्रमुख पहलें

  • स्वच्छ भारत मिशन (SBM): यह मिशन ‘ब्लू इकोनॉमी’ का समर्थन करता है, क्योंकि यह भू-आधारित प्रदूषण को कम करता है, जो समुद्री और तटीय क्षरण का प्रमुख स्रोत है।
  • गोबर-धन योजना: गोबर-धन (गैल्वनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज धन) योजना ग्रामीण जैविक अपशिष्ट से बायोगैस और ‘बायो-स्लरी’ उत्पादन के माध्यम से ‘वेस्ट-टू-वेल्थ’ को बढ़ावा देती है।
    • पशुधन के गोबर और जैव-अपघट्य अपशिष्ट को स्वच्छ ऊर्जा और जैव-उर्वरक में परिवर्तित कर यह जल निकायों में अपशिष्ट के प्रवाह को कम करती है।
  • ई-वेस्ट प्रबंधन नियम, 2022: ये नियम विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) और कठोर पुनर्चक्रण मानदंड लागू करते हैं, ताकि विषाक्त ई-वेस्ट’ द्वारा मृदा और जल प्रदूषण को रोका जा सके।
  • मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली): यह व्यक्तियों और समुदायों को पर्यावरण-अनुकूल जीवनशैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है, जैसे—प्लास्टिक उपयोग में कमी, जिम्मेदार उपभोग और संसाधनों का सतत् उपयोग।

वर्ल्ड सर्कुलर इकोनॉमी फोरम (WCEF) के बारे में

  • वैश्विक मंच: वर्ल्ड सर्कुलर इकोनॉमी फोरम (WCEF) एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मंच है, जो सरकारों, व्यवसायों, नागरिक समाज संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों और विशेषज्ञों को चक्रीय अर्थव्यवस्था की वैश्विक रूपांतरण गति को तीव्र करने हेतु एक साथ लाता है।
  • नेतृत्व: WCEF एक वैश्विक पहल है, जिसका नेतृत्व फिनलैंड करता है और इसका आयोजन फिनिश इनोवेशन फंड ‘सित्रा’ द्वारा किया जाता है।
  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: वर्ल्ड सर्कुलर इकोनॉमी फोरम का पहला संस्करण वर्ष 2017 में हेलसिंकी में आयोजित हुआ था।

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