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Lokesh Pal
December 05, 2025 02:52
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लापता रोहिंग्याओं पर दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई करते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में कहा कि अवैध प्रवासियों के कोई कानूनी अधिकार नहीं होते। साथ ही न्यायालय ने यह रेखांकित किया कि लाभों में नागरिकों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए, यद्यपि अवैध रूप से प्रवेश करने वाले व्यक्तियों को हिरासत में यातना देना अब भी प्रतिबंधित है।
सर्वोच्च न्यायालय का यह दृष्टिकोण, यद्यपि संवैधानिक दृष्टि से उचित है, यह भारत की शरणार्थी-नीति संबंधी रिक्तता को स्पष्ट करता है। सीमा सुरक्षा और मानवीय गरिमा के मध्य संतुलन स्थापित करने के लिए एक राष्ट्रीय शरणार्थी कानून की आवश्यकता अनुभव की जाती है, जिससे भारत अपनी संप्रभुता की रक्षा करते हुए न्याय और करुणा के प्रति अपनी संवैधानिक तथा सांस्कृतिक प्रतिबद्धताओं का निर्वहन कर सके।
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