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क्वांटम-संचालित अर्थव्यवस्था

Lokesh Pal December 06, 2025 04:25 6 0

संदर्भ

नीति आयोग के फ्रंटियर टेक हब ने इंटरनेशनल बिजनेस मशीन (IBM) के साथ साझेदारी में, वर्ष 2047 तक भारत को विश्व की शीर्ष तीन क्वांटम अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाने के लिए एक राष्ट्रीय रोडमैप जारी किया है।

संबंधित तथ्य 

  • क्वांटम प्रौद्योगिकियाँ वर्तमान समय की सबसे परिवर्तनकारी शक्तियों में से एक बनने के लिए तैयार है।
  • प्रभाव: इनका प्रभाव सभी क्षेत्रों पर पड़ेगा और स्वास्थ्य सेवा, वित्त, रसद, सामग्री, ऊर्जा और राष्ट्रीय सुरक्षा को पुनर्परिभाषित करेगा।
  • महत्त्व: जो राष्ट्र आज निर्णायक रूप से कार्य करेंगे, वे न केवल अगली पीढ़ी की कंप्यूटिंग, संचार और संवेदन क्षमताओं पर नियंत्रण रखेंगे, बल्कि वैश्विक नवाचार और विश्वास की संरचना को भी आकार देंगे।

रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ

  • वर्ष 2035 तक भारत के लिए एक अग्रणी क्वांटम अर्थव्यवस्था बनने का विजन: भारत का लक्ष्य कंप्यूटिंग, संचार, संवेदन और सामग्रियों में मजबूत क्षमताओं के साथ विश्व की अग्रणी क्वांटम-संचालित अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में उभरना है।
  • वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी क्वांटम उद्योग का विकास: इस रोडमैप का लक्ष्य कम-से-कम 10 वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्द्धी भारतीय क्वांटम स्टार्ट-अप्स का निर्माण करना है।
  • क्वांटम सॉफ्टवेयर और सेवाओं में नेतृत्व: भारत वैश्विक क्वांटम सॉफ्टवेयर, एल्गोरिथम विकास और क्लाउड-आधारित क्वांटम सेवा बाजार पर अपना दबदबा बनाना चाहता है।
  • क्लियर टू स्टेप माइलस्टोन स्कीम (वर्ष 2025- 2030 और वर्ष 2030- 2035): यह रोडमैप क्षमता निर्माण, परीक्षण-स्थल, PQC पायलट, उद्योग अपनाने, निर्यात की तैयारी और वैश्विक नेतृत्व के लिए क्रमिक लक्ष्य प्रदान करता है।
  • आत्मनिर्भर क्वांटम आपूर्ति शृंखला का निर्माण: यह मिशन क्वांटम हार्डवेयर, प्रोसेसर, सामग्री, क्रायोजेनिक्स, निर्माण और संपूर्ण सॉफ्टवेयर स्टैक को शामिल करते हुए एक मजबूत घरेलू पारिस्थितिकी-तंत्र के निर्माण की रूपरेखा प्रस्तुत करता है।
  • रणनीतिक और राष्ट्रीय क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर तैनाती: क्वांटम प्रौद्योगिकियों को वर्ष 2035 तक रक्षा, खुफिया, स्वास्थ्य सेवा, वित्त, रसद, सामग्री, जलवायु और ऊर्जा प्रणालियों में परिचालन में लाने की परिकल्पना की गई है।
  • तेज कार्यबल विस्तार और प्रतिभा विकास: पारिस्थितिकी तंत्र के विकास को समर्थन देने के लिए क्वांटम-कुशल वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और पेशेवरों की संख्या में भारी वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है।
  • मानकों, विनियमन, वैश्विक साझेदारियों और PQC तैनाती पर ध्यान: भारत का लक्ष्य वैश्विक क्वांटम मानकों का नेतृत्व करना, क्वांटम कूटनीति को मजबूत करना और राष्ट्रीय प्रणालियों को क्वांटम-लचीली क्रिप्टोग्राफी में परिवर्तित करना है।

क्वांटम कंप्यूटिंग की वर्तमान स्थिति 

  • NISQ युग: क्वांटम कंप्यूटिंग अभी भी अपने प्रारंभिक चरण में है, जिसे अक्सर NISQ (नॉइजी इंटरमीडिएट-स्केल क्वांटम) युग कहा जाता है।
  • क्वांटम कंप्यूटिंग में प्रगति: वर्तमान क्वांटम कंप्यूटरों में सीमित क्यूबिट (आमतौर पर 50-100) होते हैं और इनमें त्रुटियाँ होने की संभावना अधिक होती है।
  • क्वांटम वर्चस्व: वर्ष 2019 में, गूगल ने क्वांटम सुप्रीमेसी (Quantum Supremacy) प्राप्त करने का दावा किया, जिसमें उसने केवल 200 सेकंड में ऐसी गणना पूरी की, जिसे पारंपरिक सुपरकंप्यूटर को पूरा करने में 10,000 वर्ष लगते है।
  • माइक्रोसॉफ्ट की मेजराना 1 क्वांटम चिप
    • लचीले क्यूबिट: अधिक स्थिरता के लिए एक नए दृष्टिकोण का उपयोग करता है।
    • बेहतर मापनीयता: मौजूदा क्वांटम प्लेटफॉर्म की तुलना में उन्नत।
    • कम त्रुटि दर: त्रुटि सुधार को बढ़ाता है और दोषों को कम करता है।
  • गूगल की विलो चिप: विलो कई भौतिक क्यूबिट्स को एक साथ काम करके क्वांटम सूचना की एक इकाई को संगृहीत करने में सक्षम बनाता है, जिससे एक अंतर्निहित स्व-जाँच तंत्र बनता है, जो वास्तविक समय में त्रुटियों का पता लगाता है और उन्हें ठीक करता है। 

क्वांटम टेक्नोलॉजीज के बारे में

  • ये उन्नत प्रौद्योगिकियाँ हैं, जो सुपरपोजिशन, एन्टेंगलमेंट, टनलिंग और क्वांटाइजेशन जैसे क्वांटम यांत्रिक सिद्धांतों का उपयोग करके ऐसी क्षमताएँ प्राप्त करती हैं, जो शास्त्रीय प्रणालियाँ नहीं कर सकतीं।
    • ये कणों (परमाणु, फोटॉन, इलेक्ट्रॉन) की क्वांटम अवस्थाओं का उपयोग करके कार्य करती हैं, जिससे घातीय कंप्यूटेशनल गति, अति-सुरक्षित संचार और उच्च-परिशुद्धता संवेदन संभव होता है।

क्वांटम यांत्रिकी के प्रमुख सिद्धांत

  • अध्यारोपण: क्वांटम कंप्यूटिंग में, एक क्यूबिट 0 और 1 दोनों के अध्यारोपण में एक साथ मौजूद हो सकता है।
    • इसका अर्थ है कि एक क्यूबिट एक साथ कई अवस्थाओं का प्रतिनिधित्व कर सकता है, जिससे क्वांटम कंप्यूटर समानांतर रूप से बड़ी मात्रा में सूचना संसाधित कर सकते हैं।

  • उलझाव: उलझाव एक ऐसी घटना है, जहाँ दो या दो से अधिक क्यूबिट आपस में इस प्रकार जुड़ जाते हैं कि एक क्यूबिट की अवस्था दूसरे क्यूबिट की अवस्था से सीधे संबंधित होती है, चाहे वे कितनी भी दूर क्यों न हों।
  • क्वांटम इंटरफेरेंस: क्वांटम कंप्यूटर सही समाधानों को बढ़ावा देने और गलत समाधानों को रद्द करने के लिए इंटरफेरेंस का उपयोग करते हैं। क्यूबिट्स में सूक्ष्म और नियंत्रित हेरफेर के माध्यम से, क्वांटम एल्गोरिदम सिस्टम को सबसे संभावित सही उत्तर की ओर निर्देशित कर सकते हैं।

क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन (QKD) के बारे में  

  • QKD एक सुरक्षित संचार पद्धति है, जो क्वांटम यांत्रिकी के घटकों से युक्त एक क्रिप्टोग्राफ़िक प्रोटोकॉल को क्रियान्वित करती है।
    • यह दो पक्षों को एक साझा यादृच्छिक गुप्त कुँजी बनाने में सक्षम बनाती है, जो केवल उन्हें ही ज्ञात होती है, जिसका उपयोग संदेशों को एन्क्रिप्ट और डिक्रिप्ट करने के लिए किया जा सकता है।

क्वांटम प्रौद्योगिकियों के चार वेक्टर

  • क्वांटम कंप्यूटिंग: सिमुलेशन, ऑप्टिमाइजेशन, मशीन लर्निंग और पारंपरिक क्रिप्टोग्राफी को तोड़ने जैसे कुछ कार्यों के लिए गणनाओं को तेजी से करने के लिए क्यूबिट का उपयोग करता है।
    • इस दशक के भीतर डोमेन-विशिष्ट क्वांटम लाभ प्राप्त करने की उम्मीद है।
  • क्वांटम संचार: हैक न किए जा सकने वाले संचार नेटवर्क को सक्षम करने के लिए क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन (QKD), एंटेंगलमेंट और क्वांटम पुनरावर्तकों का उपयोग करता है।
  • क्वांटम संवेदन एवं माप विज्ञान: शास्त्रीय सीमाओं से कहीं आगे, अति-संवेदनशील मापन करने के लिए क्वांटम अवस्थाओं का उपयोग करता है।
    • रक्षा, नेविगेशन और अंतरिक्ष के लिए परमाणु घड़ियों, मैग्नेटोमीटर, ग्रेविमीटर, जड़त्वीय सेंसरों को सक्षम बनाता है।
  • क्वांटम पदार्थ: अतिचालकता, टोपोलॉजिकल प्रावस्थाओं और स्पिन प्रणालियों जैसे क्वांटम यांत्रिक गुणों का दोहन करने के लिए अभिकल्पित पदार्थ।
    • क्वांटम प्रोसेसर, फोटोनिक प्रणालियों और उन्नत सेंसरों के लिए आधार।

क्वांटम प्रौद्योगिकियों का रणनीतिक महत्त्व 

  • आर्थिक प्रभाव: वित्त, रसद, ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा और सामग्री क्षेत्र में वर्ष 2035 तक वैश्विक स्तर पर 1-2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश की उम्मीद है।
  • उच्च-मूल्य वाली नौकरियों का सृजन: क्वांटम प्रौद्योगिकियों के लिए विनिर्माण और एल्गोरिथम दोनों क्षेत्रों में अत्यधिक विशिष्ट कौशल की आवश्यकता होती है।
    • इस क्षेत्र में प्रगति अनुसंधान, विनिर्माण और सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में नई भूमिकाएँ उत्पन्न करेगी, जिसके परिणामस्वरूप उच्च-मूल्य वाली, भविष्य-अनुकूल नौकरियों का सृजन होगा, जो भारत के आर्थिक उत्थान के लिए आवश्यक हैं।
  • सेवा निर्यात के अवसर: जैसे-जैसे आने वाले दशक में वैश्विक क्वांटम अर्थव्यवस्था का तेजी से विस्तार होगा, क्वांटम सॉफ्टवेयर और क्वांटम-सक्षम आईटी सेवाओं की माँग बढ़ेगी।
    • भारत, अपनी मजबूत आईटी सेवाओं और सॉफ्टवेयर क्षेत्र के साथ, वैश्विक क्वांटम सेवा बाजार में एक बड़ा हिस्सा हासिल करने के लिए अद्वितीय रूप से योग्य है।
  • विभिन्न उद्योगों में नए अनुप्रयोग
    • स्वास्थ्य सेवा और जीवन विज्ञान: क्वांटम सेंसिंग और कंप्यूटिंग का संयोजन चिकित्सा निदान, औषधि खोज, जीनोमिक्स और व्यक्तिगत चिकित्सा में क्रांति ला सकता है।
      • नवाचार का लोकतंत्रीकरण: क्वांटम क्लाउड और किफायती प्रणालियाँ ग्रामीण क्षेत्रों को भी सटीक चिकित्सा और उन्नत कंप्यूटिंग तक पहुँच प्रदान करेंगी।
    • रसद और आपूर्ति शृंखलाएँ: क्वांटम अनुकूलन जटिल रसद को सुव्यवस्थित कर सकता है, जिससे लागत बचत और दक्षता में सुधार हो सकता है।
    • फिनटेक: बढ़ी हुई सुरक्षा और कंप्यूटेशनल शक्ति वित्तीय मॉडलिंग, धोखाधड़ी का पता लगाने और डेटा एन्क्रिप्शन में नवाचार को बढ़ावा दे सकती है।
    • रसायन, पेट्रोलियम और खनन: क्वांटम समाधान बेहतर संसाधन अन्वेषण, सामग्री खोज और प्रक्रिया अनुकूलन को सक्षम बनाते हैं।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा अनिवार्यताएँ: क्वांटम कंप्यूटर RSA एन्क्रिप्शन को तोड़ सकते हैं; सुरक्षित रक्षा नेटवर्क के लिए क्वांटम संचार आवश्यक हो जाता है।
    • RSA: यह एक असममित एन्क्रिप्शन एल्गोरिथम है, जो एन्क्रिप्शन के लिए एक सार्वजनिक कुंजी और डिक्रिप्शन के लिए एक निजी कुंजी का उपयोग करता है, जिससे यह इंटरनेट पर सुरक्षित डेटा ट्रांसमिशन और डिजिटल हस्ताक्षरों के लिए उपयोगी हो जाता है।
  • वैज्ञानिक एवं औद्योगिक उपलब्धियाँ: अणुओं, पदार्थों, मौसम और जैविक प्रणालियों का अभूतपूर्व परिशुद्धता के साथ अनुकरण संभव बनाता है।
  • प्रौद्योगिकी संप्रभुता और डिजिटल सुरक्षा: शास्त्रीय क्रिप्टोग्राफी के अप्रचलित होने के साथ ही क्वांटम-सुरक्षित अवसंरचना महत्त्वपूर्ण हो जाती है।
  • जलवायु, कृषि और ऊर्जा नवाचार: क्वांटम मॉडल वर्षा पूर्वानुमान, CO₂ कैप्चर मॉडलिंग और बैटरी सामग्री विकास में सुधार करते हैं।
    • क्वांटम में बेजोड़ परिशुद्धता के साथ प्रकृति का अनुकरण करने की क्षमता है, जिससे पर्यावरणीय सफलताएँ संभव होती हैं।

क्वांटम प्रौद्योगिकियों में भारतीय पारिस्थितिकी तंत्र की विशेषताएँ

  • मजबूत डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI): भारत परिपक्व DPI का उपयोग करके राष्ट्रीय स्तर पर क्वांटम समाधानों को तेजी से लागू कर सकता है।
    • DPI ग्रामीण परिवेश में भी क्वांटम-सक्षम सटीक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की अनुमति देता है।
  • विशाल और स्केलेबल STEM प्रतिभा आधार: भारत का इंजीनियरिंग पारिस्थितिकी तंत्र क्वांटम कौशल विकास के लिए एक व्यापक आधार प्रदान करता है।
  • सॉफ्टवेयर, एल्गोरिदम और क्लाउड इंजीनियरिंग में नेतृत्व: भारत क्वांटम सॉफ्टवेयर में प्रभुत्व स्थापित कर सकता है, जहाँ निकट भविष्य में वैश्विक मूल्य सबसे अधिक है।
    • नीति आयोग की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि सॉफ्टवेयर और सेवाएँ भारत का मुख्य क्वांटम लाभ होंगी।
  • NQM के माध्यम से सरकार की मिशन-मोड प्रतिबद्धता: दीर्घकालिक वित्तपोषण, संस्थागत संरेखण और राष्ट्रीय लक्ष्य विकास को गति प्रदान करते हैं।
    • NQM समन्वित राष्ट्रीय कार्य प्राथमिकताओं के साथ वर्ष 2035 के लिए एक स्पष्ट दृष्टिकोण स्थापित करता है।

क्वांटम अर्थव्यवस्था के लिए प्रमुख मील के पत्थर

  • राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM) का शुभारंभ – 2023: भारत ने स्वदेशी क्वांटम कंप्यूटिंग, संचार, संवेदन और सामग्री क्षमताओं के निर्माण के लिए एक मिशन-मोड राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू किया।
    • NQM ने वर्ष 2030-31 तक ₹6,003.65 करोड़ आवंटित किए, जो क्वांटम अनुसंधान एवं विकास के लिए पहली समन्वित राष्ट्रीय रणनीति का संकेत है।
  • वैश्विक क्वांटम निवेश सालाना 10 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक: क्वांटम, परमाणु, अंतरिक्ष और एआई क्रांतियों की तरह, एक निर्णायक प्रौद्योगिकी दौड़ बन गया है।
    • रोडमैप में राज्य-नेतृत्व वाली और निजी क्वांटम फंडिंग में वैश्विक उछाल का उल्लेख है, जो भारत के लिए रणनीतिक तात्कालिकता को बढ़ाता है।
  • भारत और प्रमुख शक्तियों में QKD प्रदर्शन: भारत ने लंबी दूरी की क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन क्षमता का प्रदर्शन किया, जो तकनीकी तत्परता का एक प्रारंभिक प्रमाण है।
    • भारत में सफल QKD प्रयोग इसे परिचालन प्रोटोटाइप वाले एक छोटे समूह – अमेरिका, चीन में शामिल करते हैं।
  • इस दशक में क्वांटम लाभ की उम्मीद: कुछ अनुकूलन, क्रिप्टोग्राफी और रसायन विज्ञान संबंधी समस्याएँ क्वांटम मशीनों पर पारंपरिक प्रणालियों की तुलना में तीव्र हो जाएँगी।
    • रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है कि वर्ष 2030 से पहले डोमेन-विशिष्ट क्वांटम लाभ संभव है।
  • वर्ष 2035 तक 1-2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की वैश्विक मूल्य सृजन क्षमता: क्वांटम को सभी उद्योगों में आर्थिक विकास का एक प्रमुख इंजन माना जा रहा है।

क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में भारत की प्रमुख पहल

  • राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM): इस मिशन का उद्देश्य क्वांटम-संबंधी विज्ञान और प्रौद्योगिकी में देश की क्षमताओं को बढ़ाना है।
    • यह चार प्रमुख क्षेत्रों, अर्थात् क्वांटम कंप्यूटिंग, क्वांटम संचार, क्वांटम सेंसिंग एवं मेट्रोलॉजी, और क्वांटम सामग्री एवं उपकरणों पर केंद्रित है।
    • इस मिशन का परिव्यय 6,003 करोड़ रुपये है, जिसका उपयोग आठ वर्षों (वर्ष 2023- वर्ष 2031) के लिए वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए किया जाएगा।
    • इसमें चार क्षेत्रों को समर्पित चार विषयगत केंद्रों (टी-हब) की स्थापना शामिल है।
  • QSim: इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा भारत का पहला क्वांटम कंप्यूटर सिंयुलेटर (QSim) टूलकिट लॉन्च किया गया।
    • यह स्वदेशी टूलकिट क्वांटम कंप्यूटिंग के छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए एक महत्त्वपूर्ण शैक्षिक और शोध उपकरण के रूप में काम करेगा।
  • क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन (QKD) प्रदर्शन: स्टार्ट-अप QNu लैब्स ने मौजूदा ऑप्टिकल फाइबर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर भारत के पहले 500 किलोमीटर क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन (QKD) नेटवर्क का प्रदर्शन किया।
    • यह भारत की क्वांटम क्षमताओं को मजबूत करता है और क्वांटम-सुरक्षित संचार तथा साइबर सुरक्षा को आगे बढ़ाता है।
  • भारत में क्वांटम स्टार्ट-अप: QpiAI, BosonQ Psi और TCS क्वांटम कंप्यूटिंग लैब जैसे भारतीय स्टार्ट-अप क्वांटम नवाचार में अग्रणी हैं तथा अनुसंधान और उद्योग अनुप्रयोगों को आगे बढ़ा रहे हैं।

क्वांटम प्रौद्योगिकियों के जोखिम

  • क्रिप्टोग्राफिक पतन (‘Q-डे’): क्वांटम कंप्यूटर वर्तमान सार्वजनिक-कुँजी एन्क्रिप्शन मानकों जैसे RSA और एलिप्टिक कर्व क्रिप्टोग्राफी (ECC) के गणितीय आधार को विखंडित कर सकेंगे, जिससे वैश्विक साइबर सुरक्षा ध्वस्त हो जाएगी।
    • रोडमैप में चेतावनी दी गई है कि अधिकांश डिजिटल संचार क्वांटम डिक्रिप्शन के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।
  • सामरिक सैन्य संतुलन में व्यवधान: क्वांटम सेंसर स्टील्थ विमानों, पनडुब्बियों और एन्क्रिप्टेड संचार का पता लगा सकते हैं, जिससे निवारक मॉडल में बदलाव आ सकता है।
  • महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे की भेद्यता: यदि समय रहते क्वांटम-सुरक्षित प्रोटोकॉल में अपग्रेड नहीं किया गया, तो क्वांटम हमले पॉवर ग्रिड, संचार नेटवर्क, उपग्रहों और राष्ट्रीय डिजिटल प्रणालियों को खतरे में डाल सकते हैं।
  • बैंकिंग और वित्तीय प्रणालियों का पतन: क्वांटम हमले वित्तीय रिकॉर्ड को डिक्रिप्ट कर सकते हैं, एन्क्रिप्टेड लेन-देन चुरा सकते हैं, ब्लॉकचेन प्रणालियों में हेर-फेर कर सकते हैं और वैश्विक भुगतान प्रणालियों को खतरे में डाल सकते हैं तथा यदि क्वांटम-सुरक्षित प्रोटोकॉल नहीं अपनाए जाते हैं, तो संभावित रूप से प्रणालीगत बैंकिंग विफलताओं को ट्रिगर कर सकते हैं।
  • साइबर जासूसी और खुफिया खतरों में तेजी: ‘अभी संग्रहित करें, बाद में डिक्रिप्ट करें’ हमले विरोधियों को एन्क्रिप्टेड डेटा को आज ही इंटरसेप्ट करने और क्वांटम क्षमता विकसित होने पर उसे डिक्रिप्ट करने की अनुमति देते हैं।

क्वांटम प्रौद्योगिकियों में भारतीय पारिस्थितिकी तंत्र की चुनौतियाँ

  • क्वांटम कंप्यूटिंग क्षमताओं में महत्त्वपूर्ण अंतराल: भारत क्वांटम हार्डवेयर, सिस्टम एकीकरण, नियंत्रण इलेक्ट्रॉनिक्स और संपूर्ण सॉफ्टवेयर स्टैक में बड़ी कमियों का सामना कर रहा है, जिससे संपूर्ण तकनीकी परिपक्वता सीमित हो रही है।
  • महत्त्वपूर्ण घटकों के लिए भारी आयात निर्भरता: क्रायोजेनिक प्रणालियाँ, सटीक प्रकाशिकी, अतिचालक सामग्री और निर्माण-स्तरीय उपकरण जैसे क्वांटम बाह्य उपकरणों का बड़े पैमाने पर आयात किया जाता है, जिससे रणनीतिक भेद्यता पैदा होती है।
  • मूलभूत विज्ञान में कम निवेश और कमजोर अनुसंधान उत्पादन: सकल घरेलू उत्पाद के केवल 0.65% पर अनुसंधान एवं विकास व्यय के साथ, भारत की मूलभूत विज्ञान क्षमता सीमित बनी हुई है, जो निम्न-गुणवत्ता वाले अनुसंधान उत्पादन और वैश्विक बौद्धिक संपदा हिस्सेदारी में परिलक्षित होती है, जो भारत को शीर्ष 10 योगदानकर्ताओं में शामिल नहीं करती है।
  • कमजोर बौद्धिक संपदा प्रशासन और व्यावसायीकरण मार्ग: खंडित बौद्धिक संपदा स्वामित्व, धीमी प्रौद्योगिकी हस्तांतरण प्रक्रियाएँ और कमजोर व्यावसायीकरण प्रथाएँ नवाचार को बाजार में अनुवाद करने में बाधा डालती हैं।
  • आपूर्ति शृंखला निर्भरता और रणनीतिक भेद्यता: क्रायोजेनिक्स, क्यूबिट सामग्री और सटीक निर्माण, जिन पर वर्तमान में कुछ ही देशों का प्रभुत्व है, निर्भरता का जोखिम उठाते हैं।
    • उदाहरण के लिए: क्वांटम में चीन का निवेश और सामग्रियों में प्रभुत्व।
  • क्वांटम-सक्षम विषयों में कौशल का तीव्र अंतर: क्रायोजेनिक्स, फोटोनिक्स, माइक्रोवेव इंजीनियरिंग, क्वांटम नियंत्रण और तकनीकी-व्यावसायिक प्रतिभाओं की कमी बनी हुई है, जो गहन-तकनीकी उद्यमों को बढ़ाने के लिए आवश्यक हैं।
  • प्रयोगशाला से बाजार तक धीमा संक्रमण: कमजोर परीक्षण केंद्र, खरीद में देरी और बौद्धिक संपदा संबंधी अड़चनें व्यावसायीकरण को धीमा कर देती हैं।
    • क्वांटम-तैयार कार्यबल की कमी: हालाँकि स्नातकों की संख्या अधिक है, लेकिन कार्यबल में अंतःविषयक विस्तार अपर्याप्त है और विशेष इंजीनियरिंग कौशल में जनशक्ति की कमी है, जो प्रयोगशाला से उत्पाद तथा बाजार को जोड़ने में मदद कर सकती है।

वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाएँ

  • संयुक्त राज्य अमेरिका: अमेरिकी क्वांटम पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत सरकारी वित्तपोषण और एक फलते-फूलते निजी क्षेत्र (गूगल, IBM, साइक्वांटम) द्वारा संचालित है।
    • अमेरिका की राष्ट्रीय क्वांटम रणनीति के तीन घटक हैं: विज्ञान को सही दिशा में ले जाना, प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाना और लोगों को सक्षम बनाना।
    • क्वांटम आर्थिक विकास संघ (QED-C): QED-C एक उद्योग-प्रधान संघ है, जिसकी स्थापना संयुक्त राज्य अमेरिका में क्वांटम उद्योग को सक्षम और विकसित करने के लिए की गई थी।
      • वर्ष 2018 के राष्ट्रीय क्वांटम पहल अधिनियम के तहत संघीय रणनीति के एक भाग के रूप में NIST के सहयोग से इसकी स्थापना की गई थी।
  • चीन: चीन क्वांटम अनुसंधान में भारी निवेश के साथ एक राज्य-संचालित मॉडल का अनुसरण करता है।
    • चीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (USTC) और झेजियांग विश्वविद्यालय जैसे अग्रणी संस्थान बड़ी सफलताएँ प्राप्त कर रहे हैं।
    • पेकिंग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक ऑप्टिकल चिप पर बड़े पैमाने पर क्वांटम एंटेंगलमेंट प्राप्त किया है, जिससे वैश्विक क्वांटम दौड़ और तेज हो गई है।
  • यूरोप: यूरोपीय संघ क्वांटम फ्लैगशिप और जर्मनी, फ्राँस, बेल्जियम और स्विट्जरलैंड के राष्ट्रीय कार्यक्रम क्षेत्रीय क्वांटम प्रगति को गति प्रदान करते हैं।
  • अन्य प्रमुख हितधारक: लक्षित निवेश
    • कनाडा: क्वांटम सॉफ्टवेयर में विशेषज्ञता।
    • जापान: विशिष्ट क्वांटम हार्डवेयर पर ध्यान केंद्रित करता है।
    • ऑस्ट्रेलिया: क्वांटम सेंसर में अग्रणी।

रणनीतिक सिफारिशें

  • क्वांटम कार्यबल का विस्तार करना: PhD ट्रैक, क्वांटम इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम, प्रशिक्षुता कार्यक्रम और वैश्विक संकाय साझेदारियाँ विकसित करना।
    • वर्ष 2035 के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कार्यबल को 2-3 वर्षों के भीतर दस गुना बढ़ाना होगा।
  • उद्योग की सहभागिता और निवेश बढ़ाना: कंपनियों को आकर्षित करने के लिए कर क्रेडिट, सार्वजनिक खरीद पाइपलाइन और सह-निवेश निधि प्रदान करना।
  • प्रयोगशाला से बाजार में परिवर्तन में तेजी लाना: राष्ट्रीय क्वांटम परीक्षण केंद्र, सैंडबॉक्स, सत्यापन केंद्र स्थापित करना और खरीद मानदंडों में तेजी लाना।
    • अनुसंधान और सत्यापन की सुगमता में सुधार एक महत्त्वपूर्ण निकट-अवधि की सिफारिश है।
  • मौलिक विज्ञान एवं जोखिम उठाने की क्षमता बढ़ाना: दीर्घकालिक क्वांटम भौतिकी, पदार्थ विज्ञान और प्रायोगिक प्लेटफॉर्म को वित्तपोषित करना।
    • रोडमैप इस बात पर जोर देता है कि भारत को अग्रणी वैज्ञानिक अनुसंधान की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में वृद्धि करनी चाहिए।
  • स्टार्ट-अप डोमिसाइल के लिए भारत को अधिक आकर्षक बनाना: नियमों को आसान बनाना, घरेलू डीप-टेक फंड बनाना, हार्डवेयर और बुनियादी ढाँचे तक पहुँच सुनिश्चित करना।
    • लक्ष्य: 90% से अधिक भारतीय क्वांटम स्टार्ट-अप भारत में स्थित रहें।
  • वैश्विक मानकों और प्रोटोकॉल विकास का नेतृत्व करना: क्वांटम हार्डवेयर, संचार और क्रिप्टोग्राफी मानकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय रूप से आकार देना।
    • यह सुनिश्चित करना कि भारतीय उत्पादों को वैश्विक पहुँच में कोई बाधा न आए।
  • क्वांटम व्यापार और आपूर्ति शृंखलाओं को मजबूत करना: क्रायोजेनिक्स, सेमीकंडक्टर, वैक्यूम सिस्टम और फोटोनिक्स के लिए वैश्विक साझेदारी सुनिश्चित करना।
    • रोडमैप क्वांटम-संबंधित आयात/निर्यात प्रवाह को सुचारू बनाने की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।

वर्ष 2035 में भारत की क्वांटम अर्थव्यवस्था के लिए विजन

  • कम-से-कम 10 वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्द्धी क्वांटम स्टार्ट-अप्स को इनक्यूबेट करना, जिनमें से प्रत्येक का राजस्व 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो।
  • अपनी सॉफ्टवेयर और इंजीनियरिंग क्षमता का उपयोग करके वैश्विक क्वांटम सॉफ्टवेयर और सेवा बाजार में 50% से अधिक मूल्य प्राप्त करना।
  • भारत भर के रणनीतिक क्षेत्रों में क्वांटम प्रौद्योगिकियों (घरेलू और वैश्विक) का सार्थक और व्यापक उपयोग।
  • हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों के लिए वैश्विक क्वांटम आपूर्ति शृंखला में महत्त्वपूर्ण पदों पर आसीन होना, रणनीतिक निर्भरता और मूल्य का सृजन करना।
  • क्वांटम विज्ञान और इंजीनियरिंग में विश्वस्तरीय अनुसंधान और बौद्धिक संपदा सृजन के माध्यम से आधारभूत वैज्ञानिक सफलताओं का प्रमुख स्रोत बनना।

निष्कर्ष

क्वांटम प्रौद्योगिकियाँ भारत को आधारभूत प्रौद्योगिकीय क्रांति का नेतृत्व करने का एक ऐतिहासिक अवसर प्रदान करती हैं, जहाँ क्रियान्वयन की गति राष्ट्रीय रणनीतिक लाभ का निर्धारण करेगी।

अभ्यास प्रश्न 

एक मजबूत क्वांटम पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने में भारत के सामने आने वाले अवसरों एवं चुनौतियों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। हाल ही में जारी राष्ट्रीय रोडमैप इन चुनौतियों से निपटने में कैसे मदद कर सकता है?

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