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कांगो-रवांडा शांति समझौता

Lokesh Pal December 10, 2025 04:24 14 0

संदर्भ

संयुक्त राष्ट्र (UN) ने लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो (DRC) और रवांडा के बीच हाल ही में हुए शांति समझौते ‘वाशिंगटन समझौते’ का स्वागत किया है।

शांति समझौते (वाशिंगटन समझौते) की मुख्य शर्तें

  • तत्काल युद्धविराम: पूर्वी DRC में शत्रुता को तुरंत समाप्त करने के लिए सभी पक्षों द्वारा एक प्राथमिक प्रतिबद्धता सुनिश्चित की गई।
  • M23 की वापसी और प्रतिस्थापन: सभी अधिकृत क्षेत्रों से M23 विद्रोही समूह की वापसी को अनिवार्य बनाना, और उनकी स्थिति को शीघ्र एक क्षेत्रीय सुरक्षा बल (EACRF/SAMIDRC) द्वारा प्रतिस्थापित करना।
  • पारस्परिक सुरक्षा गारंटी: इस समझौते में पारस्परिक सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए दोनों देशों द्वारा स्पष्ट कार्रवाई की आवश्यकता है:-
    • रवांडा का दायित्व: पूर्वी DRC से अपने सैनिकों (जिन पर M23 के साथ मिलकर कार्य करने का आरोप है) को वापस बुलाना।
    • DRC का दायित्व: रवांडा मुक्ति के लिए लोकतांत्रिक बल (Forces for the Liberation of Rwanda- FDLR) मिलिशिया को औपचारिक रूप से सभी समर्थन समाप्त करना और उन्हें निरस्त्र करना।
  • क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग: अंतर्निहित राजनीतिक मुद्दों के कूटनीतिक समाधान के लिए मार्ग स्थापित करना, जिसमें अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के समर्थन से, विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण खनिजों (कोल्टन, कोबाल्ट, सोना) के विकास और सुरक्षित व्यापार पर केंद्रित क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण के लिए एक रूपरेखा की स्थापना करना शामिल है।

भू-राजनीतिक और क्षेत्रीय ढाँचों के बारे में

  • पूर्वी अफ्रीकी समुदाय (East African Community- EAC): EAC शांति प्रक्रिया का प्रमुख मध्यस्थ रहा है, जिसके कारण पूर्वी DRC में युद्धविराम की निगरानी और M23 की वापसी को सुगम बनाने के लिए EAC क्षेत्रीय बल (EACRF) की तैनाती की गई। DRC वर्ष 2022 में EAC में शामिल हो गया।
    • EAC एक क्षेत्रीय अंतर-सरकारी संगठन है, जिसका उद्देश्य पूर्वी अफ्रीका के लोगों के जीवन स्तर में सुधार के लिए अपने सहयोगी देशों के बीच आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक एकीकरण को व्यापक और गहन बनाना है।
  • ‘लुआंडा’ प्रक्रिया: यह EAC प्रयासों के समानांतर संचालित एक अलग, अंगोला के नेतृत्व वाला राजनयिक मार्ग है, जिसका उद्देश्य किंशासा और किगाली के बीच मुख्य राजनीतिक तनावों को हल करना है।
  • DRC में संयुक्त राष्ट्र स्थिरीकरण मिशन (MONUSCO): संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1999 से DRC में एक विशाल शांति सेना तैनात की है।
    • MONUSCO की भूमिका में नागरिकों की सुरक्षा और क्षेत्र को स्थिर करने के सरकारी प्रयासों का समर्थन करना शामिल है, हालाँकि इसकी प्रभावशीलता की आलोचना की गई है।
  • खनिज संपदा: पूर्वी DRC खनिजों, विशेष रूप से कोल्टन, कोबाल्ट और सोने से युक्त है। M23 सहित विभिन्न सशस्त्र समूहों का इन संसाधनों पर नियंत्रण, संघर्ष और क्षेत्रीय हस्तक्षेप को बढ़ावा देने वाला एक प्रमुख कारक है।

संघर्ष की पृष्ठभूमि

  • वर्ष 1994 के रवांडा नरसंहार की उत्पत्ति: इस नरसंहार के दौरान लगभग 8 लाख ‘तुत्सी’ और उदारवादी ‘हुतु’ लोगों को चरमपंथी बलों द्वारा मार डाला गया था।
    • FDLR सहित हुतु मिलिशिया, कांगो (तत्कालीन जायरे) भाग गए, जिसके परिणामस्वरूप क्षेत्रीय अस्थिरता उत्पन्न हुई जो दशकों से जारी है।
  • शरणार्थी संकट और उग्रवादियों की उपस्थिति: कई सशस्त्र ‘हुतु’ शरणार्थी पूर्वी कांगो में बस गए, जहाँ उन्होंने रवांडा की सुरक्षा के लिए सीधा खतरा उत्पन्न कर दिया।
    • रवांडा ने कांगो सरकार पर इन मिलिशिया को पनाह देने का आरोप लगाया, जिससे दोनों देशों के बीच लगातार तनाव बना हुआ है।
  • प्रथम कांगो युद्ध (1996-1997): रवांडा ने वर्ष 1996 में कांगो में सैन्य हस्तक्षेप किया और ‘मोबुतु सेसे सेको’ को सत्ता से हटाने में ‘लॉरेंट-डेसिरे कबीला’ का समर्थन किया।
    • इस हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप प्रथम कांगो युद्ध हुआ, जो आधिकारिक तौर पर वर्ष 1997 में समाप्त हो गया, लेकिन इसने क्षेत्र में आगे के संघर्षों का मार्ग प्रशस्त कर दिया।
  • दूसरा कांगो युद्ध (1998-2003): ‘मोबुतु’ के पतन के कारण दूसरा कांगो युद्ध छिड़ गया, जिसमें रवांडा और युगांडा सहित कई अफ्रीकी देश शामिल थे।
    • रवांडा ने पूर्वी कांगो में विद्रोही समूहों का समर्थन किया, यह दावा करते हुए कि वे ‘हुतु’ उग्रवादियों के खिलाफ लड़ रहे थे, जबकि कांगो की सरकार को अंगोला, जिम्बाब्वे और अन्य देशों का समर्थन प्राप्त था।
    • इस युद्ध में लाखों लोग मारे गए और इसके व्यापक प्रभाव के कारण इसे ‘अफ्रीका का विश्व युद्ध’ कहा जाता है।
  • M23 विद्रोह: वर्ष 2012 में, पूर्वी कांगो में M23 विद्रोही समूह का गठन हुआ, जिसमें मुख्य रूप से ‘नेशनल कांग्रेस फॉर द डिफेंस ऑफ द पीपुल्स’ (CNDP) के पूर्व सैनिक शामिल थे, जिसे कभी रवांडा का समर्थन प्राप्त था।
    • M23 ने पूर्वी कांगो के प्रमुख शहरों (जैसे- गोमा) और खनिज संपदा से भरपूर क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया, जिससे भीषण हिंसा और विस्थापन हुआ।

M23 सशस्त्र समूह

  • M23 (23 मार्च आंदोलन) पूर्वी DRC में कांगो सेना से लड़ने वाले 100 से अधिक सशस्त्र समूहों में से एक है।

  • नृजातीय संरचना: नेतृत्व पर पूर्वी DRC के एक अल्पसंख्यक समूह, ‘तुत्सी’ का प्रभुत्व है।
  • मुख्य उद्देश्य: कांगो के तुत्सी और अन्य अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा का दावा, विशेष रूप से हुतु विद्रोही समूहों के विरुद्ध, जो वर्ष 1994 के रवांडा नरसंहार के बाद DRC भाग गए थे।
  • स्थान: रवांडा और युगांडा की सीमाओं पर स्थित उत्तरी किवु प्रांत में सक्रिय, संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार 8,000 से अधिक विद्रोही हैं।
  • नाम की उत्पत्ति: 23 मार्च, 2009 को तुत्सी नेतृत्व वाले विद्रोही समूह, CNDP और कांगो सरकार के बीच तुत्सी नेतृत्व वाले विद्रोह को समाप्त करने के लिए हुए समझौते के नाम पर रखा गया।
  • समर्थन के आरोप: संयुक्त राष्ट्र और DRC ने रवांडा पर M23 को प्रशिक्षण, हथियार और यहाँ तक ​​कि सैनिकों का समर्थन करने का आरोप लगाया है।

रवांडा के बारे में

  • पूर्व-मध्य अफ्रीका में भूमध्य रेखा के दक्षिण में स्थित एक स्थलरुद्ध देश है।
  • अफ्रीका के ‘ग्रेट रिफ्ट वैली’ क्षेत्र का एक भाग, जिसे प्रायः इसके पर्वतीय भूभाग के कारण ‘हजार पहाड़ियों की भूमि’ कहा जाता है।
  • इसकी सीमाएँ बुरुंडी (दक्षिण), तंजानिया (पूर्व), युगांडा (उत्तर) और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) (पश्चिम) से लगती हैं।
  • अफ्रीका के सबसे सघन आबादी वाले देशों में से एक (लगभग 1,000 व्यक्ति प्रति वर्ग मील), यहाँ की अधिकांश आबादी हुतु और तुत्सी नृजातीय समूहों से संबंधित है, जिनमें से अधिकांश ईसाई धर्म से संबंधित हैं।

  • प्रमुख पर्वत शृंखलाएँ: अल्बर्टाइन रिफ्ट और विरुंगा पर्वत।
  • प्रमुख नदियाँ: नील और कांगो
    • अन्य महत्त्वपूर्ण नदियाँ: कागेरा, न्याबारोंगो, रुजिजी, लुहवा, अकन्यारु
  • अपवाह पैटर्न
    • लगभग 80% नदियाँ विक्टोरिया झील के माध्यम से नील बेसिन में गिरती हैं।
    • लगभग 20% नदियाँ रुसिजी नदी के माध्यम से कांगो बेसिन में गिरती हैं।
  • झीलें: किवु झील (DRC की सीमा) और अन्य महत्त्वपूर्ण झीलें: बुरेरा, कोहाना, रुहोंडो, मुहाज़ी, रवेरु, इहेमा

लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो के बारे में

  • मध्य अफ्रीका में स्थित देश, यह अल्जीरिया के बाद अफ्रीका का दूसरा सबसे बड़ा देश है।
  • इसके पश्चिमी सीमाएँ अटलांटिक महासागर से एक छोटी समुद्री पट्टी के माध्यम से जुड़ी हैं।
  • इसकी भूमि सीमाएँ
    • उत्तर: मध्य अफ्रीकी गणराज्य और दक्षिण सूडान।
    • पूर्व: युगांडा, रवांडा, बुरुंडी और तंजानिया।
    • पश्चिम: कांगो गणराज्य और अंगोला।
    • दक्षिण: जाम्बिया।
  • भूमध्य रेखा DRC से होकर गुजरती है, इसलिए यहाँ की जलवायु उष्णकटिबंधीय है।
  • ब्राजील और इंडोनेशिया के साथ, यहाँ दुनिया का सबसे बड़ा उष्णकटिबंधीय पीटलैंड क्षेत्र अवस्थित है।
  • कांगो नदी, इस देश की मुख्य नदी है, जो भूमध्य रेखा को दो बार पार करती है और दुनिया की सबसे गहरी और अफ्रीका की दूसरी सबसे लंबी नदियों में से एक है।
  • यह देश कोबाल्ट, तांबा, कोल्टन, सोना, कोयला, लौह अयस्क और लिथियम जैसे खनिजों से समृद्ध है।

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