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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal December 12, 2025 01:40 15 0

UHC: 2025 वैश्विक निगरानी रिपोर्ट

WHO और विश्व बैंक की 2025 की एक नई संयुक्त रिपोर्ट सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में हुई प्रगति को दर्शाती है, लेकिन चेतावनी देती है कि अरबों लोग अभी भी सेवाओं की कमी और वित्तीय कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।

रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ 

  • सेवा कवरेज में प्रगति: संक्रामक रोगों से संबंधित कार्यक्रमों और गैर-संक्रामक रोगों में लगातार हो रही प्रगति के कारण सेवा कवरेज सूचकांक (SCI) वर्ष 2000 में 54 से बढ़कर वर्ष 2023 में 71 हो गया।
  • निरंतर आर्थिक कठिनाई: स्वास्थ्य संबंधी खर्चों के लिए अत्यधिक भुगतान करने वाले लोगों की संख्या 34% से घटकर 26% हो गई है, फिर भी 21 लाख लोग आर्थिक कठिनाई का सामना कर रहे हैं।
  • बढ़ती असमानताएँ: सबसे गरीब परिवारों में से तीन-चौथाई स्वास्थ्य खर्चों के कारण आर्थिक कठिनाई का सामना कर रहे हैं, जबकि सबसे अमीर परिवारों में से 25 में से 1 से भी कम परिवार इस तरह के दबाव का सामना कर रहे हैं।
  • वर्ष 2030 के लक्ष्यों को प्राप्त करने में एक प्रमुख कमी यह है कि वर्तमान गति से वैश्विक सामाजिक सुरक्षा कवरेज (SCI) वर्ष 2030 तक केवल 74/100 के स्तर तक ही पहुँच पाएगा, जबकि तब भी विश्व की लगभग 25% आबादी स्वास्थ्य संबंधी वित्तीय कठिनाइयों का सामना करती रहेगी।

सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) के बारे में

  • सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज का अर्थ है कि सभी लोग आर्थिक कठिनाई का सामना किए बिना गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच सकें।
  • सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज का वैश्विक लक्ष्य: वर्ष 2015 में, संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने सतत् विकास लक्ष्यों के तहत वर्ष 2030 तक सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने की प्रतिबद्धता जताई, जिसकी निगरानी SDG संकेतक 3.8.1 और 3.8.2 के माध्यम से की जाती है।
  • सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) संकेतकों के वर्ष 2025 के संशोधन में अब 14 सेवा कवरेज सूचकांक निर्धारक और OOP व्यय से उत्पन्न होने वाली वित्तीय दुर्गमता के एक अधिक परिष्कृत माप का उपयोग किया गया है।।

महत्त्व

  • सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) स्वास्थ्य के मानव अधिकार को बढ़ावा देता है और चिकित्सा व्ययों के कारण होने वाली गरीबी से परिवारों की रक्षा करता है।
  • यह आर्थिक स्थिरता को मजबूत करता है, कमजोर समूहों को प्राथमिकता देकर समानता को बढ़ावा देता है और सरकारों को कुशल, जन-केंद्रित स्वास्थ्य प्रणालियों को डिजाइन करने में मार्गदर्शन करता है।

सूर्य किरण-19

भारत और नेपाल ने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में अभ्यास सूर्यकिरण के 19वें संस्करण के तहत दो दिवसीय बटालियन स्तरीय अभ्यास का आयोजन किया।

अभ्यास की मुख्य विशेषताएँ 

  • विशिष्ट तकनीकों का एकीकरण: इस अभ्यास में उन्नत उपकरणों का उपयोग किया गया, जैसे कि-
    • खुफिया, निगरानी और टोही (ISR) प्रणालियाँ
    • सटीक लक्ष्यीकरण आधारित ड्रोन
    • उन्नत दिन और रात के हथियार दृष्टि उपकरण
    • AI-सक्षम निगरानी जानकारी
  • आतंकवाद-विरोधी गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित: इन अभ्यासों में उच्च-तीव्रता वाले आतंकवाद-विरोधी अभियानों का अनुकरण किया गया, जिसमें संयुक्त सामरिक प्रतिक्रियाओं, गोपनीय क्षेत्रों में घुसपैठ, दुर्गम क्षेत्रों में वन और पर्वतीय युद्ध, टोही और समन्वित आक्रमण रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित किया गया।

अभ्यास सूर्यकिरण के बारे में

  • द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास: यह भारत और नेपाल के बीच आयोजित होने वाला एक वार्षिक द्विपक्षीय संयुक्त सैन्य अभ्यास है, जो वर्ष 2011 से नियमित रूप से आयोजित किया जा रहा है।
  • मेजबानी: इस अभ्यास की मेजबानी क्रमश: भारत और नेपाल करते हैं, जिससे दोनों देशों की समान भागीदारी और प्रशिक्षण वातावरण का आदान-प्रदान सुनिश्चित होता है।
  • उद्देश्य 
    • अंतर-संचालनीयता को सुदृढ़ करना: इस अभ्यास का उद्देश्य दोनों सेनाओं के बीच अंतर-संचालनीयता में वृद्धि करना है, विशेष रूप से आतंकवाद-विरोधी अभियानों, वन युद्ध और पर्वतीय युद्ध में।
    • मानवीय और आपदा प्रतिक्रिया (HADR): इसका उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र (UN) ढाँचे के तहत संचालित HADR अभियानों में समन्वय को बेहतर बनाना है।
    • परिचालनात्मक तैयारी: यह अभ्यास विमानन सहायता, चिकित्सा तैयारी और पर्यावरण संरक्षण प्रथाओं सहित परिचालन तत्परता पर भी केंद्रित है।
  • पूर्ववर्ती संस्करण
    • 18वाँ संस्करण: जनवरी 2025 में नेपाल के सालझंडी में आयोजित किया गया।
    • 17वाँ संस्करण: दिसंबर 2023 में भारत के उत्तराखंड में आयोजित किया गया।

ऑपरेशन ‘हिंटरलैंड ब्रू’

राजस्व आसूचना निदेशालय (DRI) ने ‘ऑपरेशन हिंटरलैंड ब्रू’ के तहत महाराष्ट्र में एक बड़े अवैध मादक पदार्थ निर्माण गिरोह को सफलतापूर्वक निष्क्रिय किया है।

ऑपरेशन हिंटरलैंड ब्रू के बारे में

  • स्थान: महाराष्ट्र के वर्धा के पास करंजा (घाडगे) में एक गोपनीय दवा फैक्ट्री पर छापा मारकर इस ऑपरेशन का क्रियान्वयन किया गया।
  • लगभग 192 करोड़ रुपये के अनुमानित बाजार मूल्य का मेफेड्रोन (एक कृत्रिम ड्रग) जब्त किया गया।
  • कानूनी कार्रवाई: NDPS अधिनियम, 1985 (नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंसेस एक्ट) की संबंधित धाराओं के तहत गिरफ्तारियाँ की गईं।
  • यह अभियान सरकार के ‘नशा मुक्त भारत अभियान’ का समर्थन करता है।

‘मेफेड्रोन’ के बारे में

  • ‘मेफेड्रोन’ कैथिनोन और एम्फेटामाइन वर्ग का एक कृत्रिम उत्तेजक पदार्थ है।
  • इसे एक नया मनोसक्रिय पदार्थ (NPS) माना जाता है।
  • सामान्य रूप से सफेद या हल्के सफेद रंग का पाउडर, क्रिस्टल, कैप्सूल या टैबलेट जैसा होता है।
  • अन्य प्रचलित नाम: म्याऊ म्याऊ, एम-कैट, ड्रोन, बबल्स, व्हाइट मैजिक, प्लांट फूड
  • मुख्य प्रभाव: उत्साह, ऊर्जा में वृद्धि, सामाजिकता और सहानुभूति उत्पन्न करता है, जिसके प्रभाव MDMA, एम्फेटामाइन और कोकीन के समान होते हैं।

राजस्व आसूचना निदेशालय (DRI)

  • राजस्व आसूचना निदेशालय (DRI) भारत में जाँच और संचालन के लिए तस्करी रोधी, खुफिया सर्वोच्च एजेंसी है।
  • स्थापना: वर्ष 1957 में स्थापित।
  • मुख्यालय: नई दिल्ली।
  • शासकीय निकाय: वित्त मंत्रालय के अधीन केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के तहत कार्य करता है।

भारत 6G मिशन

केंद्रीय संचार मंत्री ने भारत 6G मिशन के अंतर्गत गठित सर्वोच्च परिषद की बैठक की अध्यक्षता की और भारत 6G  गठबंधन की प्रगति की समीक्षा की।

भारत 6G मिशन

  • लॉन्च: भारत सरकार द्वारा मार्च 2023 में लॉन्च किया गया।
  • दृष्टि: वर्ष 2030 तक भारत को 6G प्रौद्योगिकी में वैश्विक रूप से अग्रणी बनाना।
  • उद्देश्य: स्वदेशी 6G प्रौद्योगिकियों, मानकों और बौद्धिक संपदा अधिकारों का विकास करना।
    • अति-तीव्र कनेक्टिविटी सक्षम करना: 1 Tbps की गति, 1 माइक्रोसेकंड का विलंब।
    • उभरते क्षेत्रों का समर्थन करना: कृत्रिम बुद्धिमत्ता, होलोग्राफिक संचार, मेटावर्स, रोबोटिक्स और दूरस्थ स्वास्थ्य सेवा।
    • शिक्षा जगत और उद्योग के सहयोग के माध्यम से अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना।
  •  6G टेक्नोलॉजी इनोवेशन ग्रुप (TIG): प्रयासों के समन्वय के लिए सर्वोच्च निकाय, 6G विजन डॉक्यूमेंट रोडमैप तैयार करता है।

भारत 6G अलायंस (B6GA) के बारे में

  • भारत 6G अलायंस एक बहु-हितधारक सहयोगात्मक मंच है जो शिक्षा जगत, उद्योग, स्टार्टअप और सार्वजनिक संस्थानों को एक साथ लाता है।
  • इसका उद्देश्य भारत में विश्व स्तरीय, भविष्य के लिए तैयार 6G पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है।
  • अनुसंधान एवं विकास, नवाचार और मानकीकरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए, B6GA अगली पीढ़ी की संचार प्रौद्योगिकियों में वैश्विक नेतृत्व के भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

भारत ने मुंबई में IALA काउंसिल के तीसरे सत्र की मेजबानी की

केंद्रीय बंदरगाह , जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री (MoPSW) ने मुंबई में आयोजित ‘इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ मरीन एड्स टू नेविगेशन एंड लाइटहाउस अथॉरिटीज’ (IALA) काउंसिल के तीसरे सत्र का वर्चुअल रूप से उद्घाटन किया।

IALA परिषद के तीसरे सत्र की मुख्य विशेषताएँ

  • आयोजक: यह शिखर सम्मेलन लाइटहाउस और लाइटशिप महानिदेशालय एवं केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री (MoPSW) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया है।
  • डिजिटल टिकटिंग पोर्टल: 75 लाइटहाउस स्थलों पर डिजिटल पहुँच को सक्षम बनाने और आगंतुकों की सुविधा को बेहतर बनाने के लिए लाइटहाउस पर्यटन हेतु डिजिटल टिकटिंग पोर्टल लॉन्च किया गया है।

‘इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ मरीन एड्स टू नेविगेशन एंड लाइटहाउस अथॉरिटीज’ (IALA) काउंसिल के बारे में

  • यह एक अंतरसरकारी संगठन (IGO) है, जो समुद्री नौवहन सहायक उपकरणों के लिए वैश्विक मानक निर्धारित करता है।
  • मुख्यालय: सेंट-जर्मेन-एन-लाये, फ्राँस।
  • सदस्यता: दिसंबर 2025 तक, IALA के 42 सदस्य देश हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुद्री नौवहन सहायक संगठन सम्मेलन की पुष्टि, स्वीकृति या सदस्यता स्वीकार की है।
  • IALA परिषद: यह संगठन का प्रमुख निर्णय लेने वाला निकाय है।
  • कार्य
    • नौवहन सहायक उपकरणों (AtoN) के लिए वैश्विक मानक विकसित करता है।
    • समुद्री नौवहन प्रणालियों के सामंजस्य को बढ़ावा देता है।
    • तकनीकी मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण प्रदान करता है।
    • स्वायत्त नौवहन, उपग्रह-आधारित प्रणालियों और डिजिटल नौवहन उपकरणों जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाने में सहयोग करता है।
    • समुद्र में जहाजों के संचालन में उपयोग होने वाली समुद्री चिह्न प्रणालियों के लिए प्रसिद्ध है।
  • भारत और IALA: भारत वर्ष 1957 में अपनी स्थापना के बाद से IALA का एक दीर्घकालिक सदस्य रहा है और वर्ष 1980 से लाइटहाउस और लाइटशिप महानिदेशालय के माध्यम से परिषद का सदस्य रहा है।

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