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सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (शांति- SHANTI) विधेयक, 2025

Lokesh Pal December 17, 2025 05:00 20 0

सन्दर्भ:

हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शांति विधेयक को मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य अत्यधिक प्रतिबंधित नाभिकीय ऊर्जा क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलना तथा भारत के नाभिकीय प्रशासन का पुनर्गठन करना है।

भारत की नाभिकीय ऊर्जा स्थिति और सरकार का दृष्टिकोण

  • नाभिकीय ऊर्जा का वर्तमान योगदान: नाभिकीय ऊर्जा से कुल विद्युत उत्पादन में भारत का योगदान बहुत कम है, लगभग 3%।
  • अंतर्राष्ट्रीय तुलना: यह स्तर फ्रांस जैसे विकसित देशों की तुलना में अत्यंत कम है, जहाँ नाभिकीय ऊर्जा कुल बिजली उत्पादन का लगभग 70% भाग है।
  • दीर्घकालिक क्षमता लक्ष्य: भारत सरकार ने भारत की स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में, 2047 तक 100 गीगावाट नाभिकीय ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने के लिए एक व्यापक दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाया है।
  • 2030 तक लघु मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR): सरकार का लक्ष्य 2030 तक कम-से-कम पाँच स्वदेशी एसएमआर स्थापित करना भी है।
  • एसएमआर बड़े नाभिकीय संयंत्रों के छोटे, अधिक लचीले संस्करण हैं तथा इन्हें सुरक्षित, कम खर्चीला और कारखाने में निर्माण के बाद साइट पर आसानी से असेंबल करने योग्य माना जाता है।

नाभिकीय ऊर्जा पर वर्ष 1962 के एकाधिकार को समाप्त करना

  • निजी भागीदारी की आवश्यकता: सरकार निजी कंपनियों को शामिल करना चाहती है क्योंकि नाभिकीय ऊर्जा संयंत्रों का निर्माण अत्यधिक पूँजी-गहन है, और सरकार तथा एनपीसीआईएल (न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) के पास असीमित वित्तीय संसाधन नहीं हैं
  • नाभिकीय ऊर्जा अधिनियम, 1962: नाभिकीय ऊर्जा अधिनियम, 1962 ने नाभिकीय ऊर्जा क्षेत्र में केंद्र सरकार का एकाधिकार स्थापित किया, जिससे निजी क्षेत्र के प्रवेश पर रोक लग गई।

प्रस्तावित शांति विधेयक

  • उद्देश्य: नाभिकीय ऊर्जा क्षेत्र में सरकार के लंबे समय से चले आ रहे एकाधिकार को समाप्त करना
  • नाभिकीय लाइसेंस के लिए पात्रता का विस्तार: नए विधेयक के तहत, निर्दिष्ट शर्तों के अधीन सरकारी संस्थाओं, संयुक्त उद्यमों और “किसी अन्य कंपनी” को नाभिकीय ऊर्जा लाइसेंस प्रदान किए जा सकते हैं
  • घरेलू निजी पूंजी के लिए संकेत: यह प्रावधान स्पष्ट रूप से नाभिकीय ऊर्जा क्षेत्र में बड़े कॉरपरेट समूहों सहित घरेलू निजी पूंजी के प्रवेश के प्रति खुलेपन का संकेत देता है।
  • निजी प्रवेश की अनुमति देने का तर्क: पूंजी एकत्रण, निर्माण और वित्तीय जोखिमों को साझा करने, परियोजना में देरी होने की स्थिति में करदाताओं पर वित्तीय बोझ में कमी तथा बढ़ी हुई दक्षता के माध्यम से साइट की मंजूरी और चालू करने में तेजी सुनिश्चित करने के लिए।
  • रणनीतिक पृथक्करण: नाभिकीय सामग्री के दुरुपयोग को रोकने और प्रसार के जोखिमों को कम करने के लिए, विधेयक नाभिकीय पारिस्थितिक तंत्र के संवेदनशील और वाणिज्यिक पहलुओं के बीच एक रणनीतिक पृथक्करण को अपनाता है।
    • राज्य के नियंत्रण में ईंधन चक्र: सरकार नाभिकीय ईंधन चक्र के संवेदनशील घटकों पर पूर्ण नियंत्रण रखती है, जिसमें यूरेनियम खनन, ईंधन संवर्द्धन और पुनर्संसाधन शामिल हैं।
    • नाभिकीय प्रसार का जोखिम और राज्य का अधिकार: इन क्षेत्रों में नाभिकीय प्रसार का व्यापक जोखिम है, इसलिए इन क्षेत्रों पर पूर्ण नियंत्रण राज्य के पास रहता है।
    • विद्युत उत्पादन: निजी कंपनियों को नाभिकीय ऊर्जा उत्पादन के वाणिज्यिक पहलुओं में भाग लेने की अनुमति है, जैसे- नाभिकीय ऊर्जा संयंत्रों का निर्माण, भाप का उत्पादन और विद्युत उत्पादन के लिए टर्बाइनों का संचालन।

नाभिकीय दायित्व और विनियमन से संबंधित प्रमुख चिंताएँ

  • कम देयता सीमा: ऑपरेटर की देयता ₹3,000 करोड़ तक सीमित है, जिसमें सरकार अतिरिक्त हानि की भरपाई करेगी, जिससे प्रदूषण फैलाने वाले द्वारा भुगतान करने का सिद्धांत कमजोर हो जाएगा
  • आपूर्तिकर्ता प्रतिरक्षा: शांति विधेयक आपूर्तिकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई को सीमित करता है, जब तक कि स्पष्ट संविदात्मक दायित्व या जानबूझकर नुकसान सिद्ध न हो जाए, जिससे धारा 17(B) की जवाबदेही कमजोर हो जाती है।
  • विनियामक संघर्ष: सरकार की संचालक (एनपीसीआईएल) और नाभिकीय ऊर्जा विनियामक बोर्ड (एईआरबी) की नियुक्तियों पर प्रभाव डालने वाली भूमिका हितों के टकराव को जन्म देती है, जिससे जनता का विश्वास और निवेशकों का भरोसा कम होता है

निष्कर्ष

शांति विधेयक 100 गीगावाट के सपने को साकार करने के लिए पूंजी जुटाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है। हालाँकि, सार्वजनिक विश्वास और सतत नाभिकीय विकास सुनिश्चित करने के लिए जवाबदेही, सुरक्षा और विनियामक स्वतंत्रता से संबंधित चिंताओं का समाधान करना आवश्यक है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: भारत के स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन के आधार स्तंभ के रूप में नाभिकीय ऊर्जा को पुनः स्थापित किया जा रहा है। शांति विधेयक के प्रावधानों के आलोक में, भारत की नेट-ज़ीरो रणनीति के प्रमुख स्तंभ के तौर पर नाभिकीय ऊर्जा पर निर्भरता के लाभों तथा जोखिमों पर चर्चा कीजिए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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