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धातु प्रदूषण से निपटने में स्पंज से जुड़े सूक्ष्मजीवों की भूमिका

Lokesh Pal December 23, 2025 03:29 6 0

संदर्भ

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान, बोस संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन में पाया गया है कि सुंदरबन डेल्टा की ‘फ्रेश वाटर स्पंज’ (Freshwater Sponges), विषैले धातु प्रदूषण के प्रभावी जैव-संकेतक (बायोइंडिकेटर) के रूप में कार्य कर सकती हैं।

‘फ्रेश वाटर स्पंज’ (Freshwater Sponges)

  • ‘फ्रेश वाटर स्पंज’ सरल, बहुकोशिकीय जंतु (संघ पोरीफेरा-Porifera) होते हैं, जो झीलों, धीमी गति से बहने वाली नदियों, नालों और नहरों में ठोस सतहों से चिपके रहते हैं।
  • ये ‘फिल्टर फीडर’ होती हैं, अर्थात् भोजन कणों, जैसे- बैक्टीरिया, प्रोटोजोआ और जैविक अपशिष्ट को पकड़ने के लिए अपने शरीर से बड़ी मात्रा में जल प्रवाहित करती हैं।
  • विविध सूक्ष्मजीवी समुदायों को आश्रय देने की इनकी क्षमता इन्हें पारिस्थितिकी रूप से महत्त्वपूर्ण बनाती है।

स्पंज की प्रमुख विशेषताएँ एवं जीवविज्ञान

  • वास्तविक ऊतकों या अंगों का अभाव: इनका शरीर विशेषीकृत कोशिकाओं की एक कॉलोनी के रूप में संगठित होता है, जो सामूहिक रूप से कार्य करती हैं।
  • छिद्रयुक्त शरीर: “पोरीफेरा” शब्द का अर्थ है-“छिद्र-युक्त।” इनका शरीर नलिकाओं और कक्षों के जाल द्वारा निर्मित होता है।
  • स्पिक्यूल्स द्वारा निर्मित कंकाल: समुद्री स्पंजों के विपरीत, जिनमें प्रायः ‘रेशेदार स्पॉन्जिन’ होता है, ‘फ्रेशवाटर स्पंज’ में सूक्ष्म, सुईनुमा संरचनाओं ‘स्पिक्यूल्स’ द्वारा निर्मित कंकाल होता है।
    • ये सामान्यतः सिलिका या स्पॉन्जिन नामक प्रोटीन से बने होते हैं, और इनका आकार प्रजातियों की पहचान में महत्त्वपूर्ण होता है।

पोषण एवं कार्यप्रणाली

  • वाटर पंपिंग: ये फ्लैजेला युक्त कोशिकाओं कोएनोसाइट्स (Choanocytes) की सहायता से अनेक सूक्ष्म छिद्रों (ओस्टिया) के माध्यम से जल को भीतर खींचती हैं।
  • फिल्टरिंग (Filtering): ‘कोएनोसाइट्स’ जल से भोजन कणों को प्राप्त करती हैं।
  • जल का निष्कासन: फिल्टर किया हुआ जल, बड़े छिद्रों- ओस्कुला (Oscula) के माध्यम से बाहर निकलता है।
    • ‘सिंगल स्पंज’ प्रतिदिन कई लीटर जल को छान सकती है, जिससे जलीय पर्यावरण की स्पष्टता में उल्लेखनीय वृद्धि होती है।

स्पंज-संबद्ध सूक्ष्मजीव (Sponge-associated Microbes)

  • स्पंज से संबद्ध सूक्ष्मजीव बैक्टीरिया, आर्किया, कवक तथा अन्य सूक्ष्मजीवों का विविध और प्रचुर समुदाय है, जो स्पंज के ऊतकों के भीतर अत्यंत घनिष्ठ, सहजीवी संबंध में उपस्थित होता है।
  • ये केवल निष्क्रिय सहवासी नहीं होते, बल्कि स्पंज के जीवविज्ञान का एक अभिन्न, क्रियात्मक भाग होते हैं।
  • इन्हें प्रायः ‘स्पंज होलोबायोन्ट’ (Sponge Holobiont) कहा जाता है (अर्थात् होस्ट जीव तथा उसके सभी सहजीवी सूक्ष्मजीव)।

स्पंज और सूक्ष्मजीवों के बीच सहजीवी संबंध

  • स्पंज और सूक्ष्मजीवों के बीच परस्पर लाभकारी सहजीविता (Mutualistic Symbiosis) होती है:
    • स्पंज द्वारा प्रदत्त लाभ: एक संरक्षित, स्थिर पर्यावरण (आवास तथा पोषक-तत्त्वों से युक्त जल का सतत् प्रवाह)।
  • सूक्ष्मजीवों द्वारा प्रदत्त: जैव रासायनिक सेवाओं की एक व्यापक शृंखला, जो स्पंज के अस्तित्व, पोषण और रक्षा को सुदृढ़ करती है।

अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष

  • जैव-संकेतक क्षमता: ‘फ्रेशवाटर स्पंज’ आस-पास के जल की तुलना में आर्सेनिक, सीसा और कैडमियम के कहीं अधिक स्तर संचित करती हैं।
    • इससे वे विषैले धातु प्रदूषण की प्रभावी जैव-संकेतक सिद्ध होती हैं।
  • मजबूत जैव-संचयन क्षमता: स्पंज प्राकृतिक अवशोषक के रूप में कार्य करती हैं और विषैली धातुओं को अपने ऊतकों में सघन रूप से एकत्र करती हैं।
    • यह गंगा के मैदानी क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक है, जहाँ भारी धातु प्रदूषण व्यापक है।
  • स्पंज-संबद्ध सूक्ष्मजीवों की भूमिका: स्पंजों में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवी समुदाय आस-पास के जल में उपस्थित बैक्टीरिया से भिन्न होते हैं।
    • इनका स्वरूप स्पंज की प्रजाति और आवास द्वारा निर्धारित होता है, न कि यादृच्छिक अधिग्रहण द्वारा।
  • कार्यात्मक सूक्ष्मजीवी अनुकूलन: स्पंज से संबद्ध बैक्टीरिया में निम्न से संबंधित जीनों की अधिकता पाई गई है:
    • धातु आयन परिवहन
    • भारी-धातु प्रतिरोध
    • प्रतिजैविक प्रतिरोध
  • ये सूक्ष्मजीव केवल प्रदूषण में जीवित नहीं रहते, बल्कि सक्रिय रूप से प्रदूषित पर्यावरण की विषाक्तता (Detoxification) में योगदान देते हैं।

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