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लोकसभा में डाकघर विधेयक, 2023 पारित (Post Office Bill, 2023 passed in Lok Sabha)

Samsul Ansari December 23, 2023 12:36 171 0

संदर्भ

हाल ही में लोकसभा में  भारतीय डाकघर अधिनियम ,1898 में संशोधन करने के लिए ‘डाकघर विधेयक, 2023’ पारित किया गया।

संबंधित तथ्य

10 अगस्त को मानसून सत्र के दौरान राज्य सभा में प्रस्तुत इस विधेयक को संसद के उच्च सदन में 4 दिसंबर को पारित किया गया था।

डाकघर विधेयक, 2023 के बारे में

  • उद्देश्य: डाकघरों के लिए एक सरल विधायी ढाँचा प्रदान करना, नागरिक-केंद्रित सेवाओं के लिए एक नेटवर्क में उनके विकास को सुविधाजनक बनाना।
  • डाक सेवाएँ संविधान की सातवीं अनुसूची में संघ सूची के अंतर्गत आती हैं।
  • डाक सेवाओं के महानिदेशक की नियुक्ति: डाक सेवाओं के महानिदेशक को भारतीय डाक का प्रमुख नियुक्त किया जाएगा, जिसके पास सेवाओं के लिए शुल्क और डाक टिकटों की आपूर्ति सहित विभिन्न मामलों पर नियम बनाने की शक्तियाँ होंगी।

संशोधन के आवश्यकता: 

  • डाक विधान का आधुनिकीकरण (Modernizing Postal Legislation): यह विधेयक भारतीय डाकघर अधिनियम,1898 को प्रतिस्थापित करता है।
  • ध्यातव्य है कि वर्ष 1898 का कानून मुख्य रूप से पत्रों की डिलीवरी और इसी तरह के कार्यों जैसी नियमित सेवाओं को विनियमित करता था, जबकि नया विधेयक पारंपरिक डाक/मेल (Mail) से परे बैंकिंग जैसी विभिन्न नागरिक केंद्रित सेवाओं के केंद्र के रूप में डाकघर के विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।
    • उदाहरण के लिए: देशभर के विभिन्न डाकघरों में लगभग 26 मिलियन से अधिक खाते हैं, जिनमें लोगों द्वारा डाकघर बचत योजनाओं के तहत $200 बिलियन से अधिक की राशि जमा की गई है।

डाकघर विधेयक, 2023 की मुख्य विशेषताएँ

भारतीय डाकघर अधिनियम, 1898

डाकघर अधिनियम, 2023

  • केंद्र सरकार के विशेष विशेषाधिकार: अधिनियम में प्रावधान है कि जहाँ कहीं भी केंद्र सरकार डाकघर  स्थापित करती है, वहाँ उसे पत्रों को डाक द्वारा भेजने, पत्रों को प्राप्त करने, एकत्र करने तथा  वितरित करने जैसी सेवाओं का एकमात्र विशेषाधिकार होगा।

 

  • विधेयक ऐसे विशेषाधिकारों का प्रावधान नहीं करता है।
  • निर्धारित की जाने वाली सेवाएँ: अधिनियम में भारतीय डाक द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं में पत्र, पोस्टकार्ड, पार्सल और मनीऑर्डर सहित डाक लेखों की डिलीवरी आदि शामिल हैं।
  • विधेयक में प्रावधान है कि भारतीय डाक केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित सेवाएँ प्रदान करेगा। 
  • डाक (Postal) को रोकने की शक्तियाँ: अधिनियम कुछ आधारों पर डाक के माध्यम से प्रेषित किसी वस्तु को रोकने की अनुमति देता है।
    • किसी भी सार्वजनिक आपातकाल की स्थिति में, या सार्वजनिक सुरक्षा अथवा शांति के हित में प्रेषित डाक को रोका या इंटरसेप्ट (Intercept) किया जा सकता है। 
  • इस तरह के अवरोधन/रोक केंद्र सरकार, राज्य सरकारों या उनके द्वारा विशेष रूप से अधिकृत किसी अधिकारी द्वारा किए जा सकते हैं।
  • इसके बजाय विधेयक में प्रावधान है कि डाक के माध्यम से प्रेषित किसी लेख को निम्नलिखित आधारों पर रोका या इंटरसेप्ट जा सकता है:
    • राज्य की सुरक्षा,
    • विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध,
    • सार्वजनिक व्यवस्था 
    • आपातकाल
    • सार्वजनिक सुरक्षा।
  • एक अधिसूचना के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा सशक्त अधिकारी डाक को रोक सकता है।
  • कानून के तहत निषिद्ध या शुल्क के लिए उत्तरदायी डाक की जाँच: अधिनियम के तहत, एक प्रभारी अधिकारी एक डाक की जाँच कर सकता है यदि उसे संदेह है कि इसमें ऐसे सामान (Goods) हैं जो निषिद्ध हैं या शुल्क का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं। 
    • यह विधेयक निरीक्षण (Examination) की शक्तियों को हटा देता है।
  • विधेयक में प्रावधान है कि संदिग्ध मामलों में, केंद्र सरकार भारतीय डाक के एक अधिकारी को सीमा शुल्क प्राधिकरण या किसी अन्य निर्दिष्ट प्राधिकारी को डाक वितरित करने का अधिकार दे सकती है।
    • इसके बाद प्राधिकरण संबंधित वस्तु से निपटेगा।
  • निजी कूरियर (Courier) सेवाओं का विनियमन: वर्ष  2023 का अधिनियम पहली बार निजी कूरियर सेवाओं को अपने दायरे में लाकर उन्हें विनियमित करता है।
  • छूट: डाकघर या डाक अधिकारियों को डाक सेवाएँ प्रदान करते समय क्षति, गलत वितरण (Misdelivery), देरी या क्षति के लिए दायित्व से छूट दी जाएगी, सिवाय ऐसे मामलों के जब कोई दायित्व सरकारी नियमों में निर्धारित किया गया हो।
भू-राजस्व के रूप में अवैतनिक डाक सेवा शुल्क की वसूली:

  • डाक सेवाओं का उपयोग करने वाले व्यक्ति को सेवाओं के लिए शुल्क देना होगा।
  • यदि कोई व्यक्ति किसी भी कारण से इन शुल्कों का भुगतान नहीं करता है, तो देय शुल्क को भू-राजस्व के रूप में वसूल किया जा सकता है।

चिंताएँ

  • हितों का टकराव: विधेयक भारतीय डाक को डाक सेवाओं में चूक के लिए दायित्व से छूट देता है।
    • उत्तरदायित्व केंद्र सरकार द्वारा नियमों के माध्यम से निर्धारित किया जा सकता है, जो भारतीय डाक का प्रशासन भी करती है, ऐसे में इससे इससे हितों का टकराव हो सकता है। 
  • निजता का अधिकार: विधेयक किसी भी अपराध और दंड को निर्दिष्ट नहीं करता है।
    • उदाहरण के लिए, किसी डाक अधिकारी द्वारा डाक को अनधिकृत रूप से खोलने पर कोई कार्रवाई नहीं होती  है। इससे उपभोक्ताओं की निजता के अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
  • प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों (Procedural safeguards) का अभाव: विधेयक भारतीय डाक के माध्यम से प्रेषित लेखों की रोकथाम के लिए प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों को निर्दिष्ट नहीं करता है।
    • सुरक्षा उपायों की कमी वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन कर सकती है।
  • शब्दावली में अस्पष्टता: ‘आपातकाल’ को डाक रोकने या इंटरसेप्ट (Interception) करने के आधार के रूप में शामिल किया गया है, जो संविधान के तहत उचित प्रतिबंधों से परे हो सकता है।

निष्कर्ष

  • डाकघर विधेयक, 2023 का आना भारतीय डाकघर के कामकाज को आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
  • विधेयक का उद्देश्य समकालीन डाक सेवाओं को संबोधित करके और विभिन्न पहलुओं को विनियमित और प्रबंधित करने के लिए महानिदेशक तथा केंद्र सरकार को सशक्त बनाकर, डिजिटल युग में डाकघर की दक्षता, सुरक्षा और प्रासंगिकता को बढ़ाना है।

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