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ताप विद्युत संयंत्रों में जैव ईंधन पैलेट्स का सह-दहन (Co-combustion of biofuel pellets in thermal power plants)

Samsul Ansari December 26, 2023 01:54 202 0

संदर्भ 

भारत सरकार ने ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले के सह-दहन (Co-Firing) के लिए जैव ईंधन पैलेट्स की तेजी से खरीद सुनिश्चित करने के लिए गैर-टॉरीफाइड जैव ईंधन पैलेट्स (Pellets) के लिए मानक मूल्य जारी किए हैं।

संबंधित तथ्य

  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR), उत्तरी (NCR को छोड़कर) क्षेत्र और पश्चिमी क्षेत्र के लिए मानक मूल्य क्रमशः 2.32 रुपये, 2.27 रुपये और 2.24 रुपये प्रति 1000 किलो कैलोरी तय किए गए हैं।
  • प्रभाव: इससे देश में सतत् ऊर्जा विकास के लिए अनुकूल परिवेश तैयार होगा, एक सतत् आपूर्ति शृंखला और एक न्यायसंगत नवीकरणीय बाजार विकसित होगा।

जैव ईंधन पैलेट्स क्या है?

  • ये ठोस बेलनाकार छड़ें हैं, जो जैव ईंधन जैसे लकड़ी के अवशेषों से बनाई जाती हैं, जो जल सकती हैं और ऊर्जा उत्पन्न कर सकती हैं। 
  • पेलेट्स के लिए कच्चा माल
    • कृषि अपशिष्ट: फसल के डंठल और पुआल, चावल की भूसी, नारियल का खोल, गन्ने की खोई आदि।
    • वानिकी अवशेष: लकड़ी के बुरादे, शाखाएँ, छाल, पत्तियाँ आदि।
    • ठोस अपशिष्ट: रद्दी कागज, बेकार प्लास्टिक, कार्डबोर्ड आदि।
  • प्रकार
    • टॉरीफाइड: जैव ईंधन को ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में 250-350°C पर संसाधित किया जाता है।
    • गैर-टॉरीफाइड पैलेट्स: जैव ईंधन को काट कर एक पैलेट संयंत्र में भेजा जाता है, जहाँ इसे संकुचित किया और जोड़ा  जाता है।
  • लाभ: अपशिष्ट उत्पादों को पैलेट्स में संपीडित करने से, वे अधिक ऊर्जा घनत्व वाले हो जाते हैं और जिससे उनकी दहन क्षमता उच्च हो जाती है।
  • लकड़ी के पैलेट्स का ऊर्जा घनत्व 11 गीगाजूल्स/मीटर³ होता है, जबकि ताजी लकड़ी या लकड़ी के चिप्स (IRENA) का ऊर्जा घनत्व 3 गीगाजूल्स/मीटर³ होता  है।
  • निर्माण की प्रक्रिया: जैव ईंधन पैलेट्स को पैलेट्स बनाने वाले संयंत्र में बनाया जाता है।
    • पैलेटाइजेशन वह प्रक्रिया है जहाँ कच्चे माल को संसाधित किया जाता है, पाउडर में परिवर्तित किया जाता है और फिर छोटे घने ठोस जैव ईंधन पैलेट्स में संपीडित किया जाता है।
  • स्वच्छ ऊर्जा:  जैव ईंधन पैलेट्स को जलाने पर कोयले की तुलना में 80% कम CO2 उत्सर्जन होता है, साथ ही सल्फर, क्लोरीन, नाइट्रोजन का उत्सर्जन भी कम होता है।

जैव ईंधन को-फायरिंग

  • जानकारी: जैव ईंधन को-फायरिंग एक प्रथा है, जिसमें कोयला ताप संयंत्रों में कोयले के एक हिस्से को जैव ईंधन में बदला जाता है।
    • को-फायरिंग के लिए, मौजूदा कोयला बिजली संयंत्र के उपकरणों का आंशिक रूप से पुनर्निर्माण और उन्हें रेट्रोफिटेड किया जाना चाहिए
  • लाभ
    • यह जैव ईंधन  को स्वच्छ बिजली में परिवर्तित करने का एक विकल्प है।  
    • यह बिजली संयंत्र के हरित गृह गैसों के उत्सर्जन को भी कम करता है।
    • यह खुले में फसल अवशेष जलाने के कारण होने वाले प्रदूषण का भी एक प्रभावी समाधान हो सकता है।

 सरकार द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा के लिए उठाए गए अन्य कदम

  • देश में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को बढ़ावा देने के लिए अंतर-राज्य पारेषण(ISTS) शुल्क में छूट प्रदान की जानी चाहिए।
  • किसी भी नए कोयला/लिग्‍नाइट आधारित थर्मल उत्पादन स्टेशन को अपनी थर्मल क्षमता के 40% के बराबर नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता स्थापित करनी होगी।
  • सरकार ने  रियल-टाइम मार्केट (RTM)], ग्रीन टर्म अहेड मार्केट (GTAM) और ग्रीन डे अहेड मार्केट की शुरुआत की है।

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