हाल ही में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने नवनिर्मित संजौली-ढली सुरंग का उद्घाटन किया।
संजौली-ढली सुरंग
नवनिर्मित संजौली-ढली सुरंग: यह लगभग 150 मीटर तक विस्तृत एक द्विमर्गीय सुरंग है, जिसे 47 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से निर्मित किया गया है।
मौजूदा ढली सुरंग: इसका निर्माण वर्ष 1852 में एकल मार्गीय सुरंग के रूप में किया गया था। इसने अपनी डिजाइन अवधि को पार कर लिया था, जिससे लगातार यातायात अवरुद्ध हो रहा था।
अवस्थिति: यह सुरंग रणनीतिक रूप से कुफरी, नालदेहरा, तत्तापानी, नारकंडा और चैल जैसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों के मार्ग पर स्थित है।
महत्त्व:
निवासियों और आगंतुक दोनों की आवश्यकताओं को संबोधित करना: इससे आवाजाही आसान होगी और क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि में योगदान मिलेगा। बेहतर कनेक्टिविटी से पर्यटन को काफी लाभ होगा।
बुनियादी ढाँचे का आधुनिकीकरण: शिमला की सर्कुलर रोड पर भीड़भाड़ कम करने के लिए नई सुरंग सबसे व्यवहार्य और सतत् समाधान है।
संस्कृति को बढ़ावा देना: सुरंग के अंदर, हिमाचल प्रदेश की संस्कृति को दर्शाने वाली 210 पेंटिंग डिजाइन की गई हैं और दोनों तरफ चौड़े फुटपाथ बनाए गए हैं।
सुरंग में बनी पेंटिंग्स शिमला के जातर (देवता) जुलूस की थीम पर हैं।
सुरंग को हाथ से चित्रित किया गया था और चित्रों में दर्शाया गया चोल्टू नृत्य रूप “पहाड़ी” नृत्य का एक महत्त्वपूर्ण रूप है।
यह नृत्य विशेष अवसरों पर स्थानीय देवताओं की भक्ति में किया जाता है।
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