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विकसित भारत (Developed india)

Samsul Ansari December 27, 2023 12:46 113 0

नोट : प्रस्तुत लेख The Indian Express में प्रकाशित “India is poised to become ‘viksit Bharat” पर आधारित है

सन्दर्भ:

यह लेख 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य की दिशा में भारत की बढ़ती प्रगति पर प्रकाश डालता है।

प्रारंभिक परीक्षा: गिनी इंडेक्स।

मुख्या परीक्षा: 2047 तक विकसित भारत को प्राप्त करने के लिए भारत का लक्ष्य और कदम।

देशों की अर्थव्यवस्थाओं के लिए विश्व बैंक मानदंड:

  • उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाएँ: ये वे अर्थव्यवस्थाएँ हैं जिनकी वार्षिक प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (GNI) $13,846 से अधिक है।
  • उच्च मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाएँ: ये $4,466 और $13,845 प्रति व्यक्ति GNI के मध्य वाली अर्थव्यवस्थाएँ हैं।
  • निम्न मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाएँ: ये $1,136 और $4,465 प्रति व्यक्ति GNI के मध्य वाली अर्थव्यवस्थाएँ हैं।

भारत की स्थिति:

  • वर्तमान में, भारत एक निम्न-मध्यम आय वर्ग वाली अर्थव्यवस्था है।
  • उच्च आय वाली अर्थव्यवस्था बनने के लिए, इसे 2047 तक 13,846 डॉलर प्रति व्यक्ति जीएनआई की बाधा को पार करना होगा।
  • लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समृद्धि के तीन प्रमुख संकेतकों पर ध्यान केंद्रित करने और कार्य करने की आवश्यकता है:
    • निर्दिष्ट दीर्घ अवधि में समग्र सकल घरेलू उत्पाद और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि।
    • उस देश में आय की असमानता में परिवर्तन।
    • उस देश की मुद्रा में समग्र मुद्रास्फीति की दर और विनिमय दर में परिवर्तन होता है।

भारत की समृद्धि में हो रही वृद्धि पर एक नजर:

  • भारत पर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की नवीनतम रिपोर्ट (2023) के अनुसार: निराशाजनक वैश्विक परिस्थितियों के बावजूद भारत ठीक स्थिति में है।
  • 2 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का सफर: विश्व बैंक के अनुमान के अनुसार, भारत को 2 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में 1947 से 2014 तक 67 साल लग गए।
  • 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की यात्रा: उम्मीद है कि भारत 2024 तक 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए अपनी अर्थव्यवस्था में 2 ट्रिलियन डॉलर और जोड़ देगा।
  • 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था: क्रय शक्ति समता (PPP) के मामले में, भारत पहले से ही 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था है।

प्रगति के कारण:

  • 1991 के आर्थिक सुधारों के बाद से भारत में निरंतर नीतिगत परिवर्तन।
  • लोगों को बुनियादी सुविधाएँ (शौचालय, पेयजल, पक्के मकान और बिजली तक पहुँच) प्रदान करने के साथ-साथ बुनियादी ढाँचे पर ध्यान देना।
    • इन कार्यों से कल्याण के साथ-साथ अर्थव्यवस्था के विकास में भी मदद मिली है।
  • प्रति व्यक्ति आय के संदर्भ में: भारत की प्रति व्यक्ति आय 2004 में 624 डॉलर से बढ़कर 2014 में 1,560 डॉलर और 2022 में 2,411 डॉलर हो गई।
  • क्रय शक्ति समता (PPP) के संदर्भ में: पीपीपी के संदर्भ में, 2022 में प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद पहले से ही 7,112 डॉलर था।
    • परिणामस्वरूप, अत्यधिक गरीबी में लोगों की कुल संख्या का अनुपात, $2.15 प्रति दिन (2017 पीपीपी) मापा गया, जो 2000 में 39.9 प्रतिशत से घटकर 2021 में 11.9 प्रतिशत हो गया है।
  • मुद्रास्फीति: हाल ही में, भारत की मुद्रास्फीति काफी हद तक RBI के 4% +/- 2%की सीमा के भीतर ही रही।
  • विनिमय दर: वर्तमान में, भारत के पास 600 बिलियन डॉलर से अधिक का विदेशी मुद्रा भंडार है, जिसके द्वारा आरबीआई मुद्रा के किसी भी आकस्मिक मूल्यह्रास को रोक सकता है।
    • इन सभी कारकों ने उच्च विकास दर के साथ वित्तीय स्थिरता प्रदान की है।
  • उभरती चुनौती: विशेषज्ञों के अनुसार, प्रति व्यक्ति आय लोगों की वास्तविक समृद्धि और अर्थव्यवस्था में असमानताओं को प्रतिबिंबित नहीं कर सकती है।
    • आय में असमानताओं को मापने वाले गिनी इंडेक्स के अनुसार, इसे 2004 में 34.4 से घटाकर 2021 में 34.2 कर दिया गया (नवीनतम वर्ष जिसके लिए डेटा उपलब्ध है)।

गिनी गुणांक के बारे में: 

  • यह अमीर तथा गरीब के आय अथवा उसके मध्य व्याप्त धन के विभाजन को मापने का एक सांख्यिकीय उपाय है।
  • यह राष्ट्रों अथवा राज्यों के मध्य आय तथा धन के वितरण की असमानता का मापना करता है।
  • इस गुणांक का उपयोग किसी देश के आय वितरण की तुलना करने के लिए भी किया जा सकता है।
  • इसका मान शून्य से एक के मध्य कहीं भी हो सकता है।
  • इस गुणांक में शून्य पूर्ण समानता को तथा एक पूर्ण असमानता को दर्शाता है।
  • 0.40 के सबसे निचले स्तर के गिनी आँकड़े को सामान्यतः आर्थिक क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा सहनीय सीमा के भीतर माना जाता है।
  • इसके मापन के दो महत्वपूर्ण तरीके क्रमशः –
    • कर पूर्व (या बाज़ार) आय
    • प्रयोज्य आय हैं।

आगे की राह:

  • 2047 तक विकसित भारत के सपने को हासिल करने के लिए, भारत को निम्नलिखित उपाय करने की आवश्यकता है –
    • उदार बाजार नीति के निर्माण की आवश्यकता है। 
    • निवेश और नवाचारों के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं कौशल निर्माण के माध्यम से मानव विकास पर निरंतर कार्य करने की आवश्यकता है।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न : भारत में बहुआयामी गरीबी में योगदान देने वाले कारकों के संदर्भ में विस्तार से चर्चा कीजिए। भारत में इस मुद्दे के समाधान स्वरुप कौन-कौन से महत्वपूर्ण कदम अपनाए गए हैं? चर्चा कीजिए।

                                                                                      News Source: The Indian Express

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