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उच्च शिक्षा और नौकरी के क्षेत्र में कौशल आवश्यकताएँ (Skill requirements in higher education and job sector)

Samsul Ansari January 06, 2024 05:25 179 0

सन्दर्भ:

आवधिक श्रम बल (Periodic Labour Force) सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में स्नातकों के मध्य  बेरोजगारी दर कई अन्य विकासशील देशों की तुलना में अधिक है।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: उच्च शिक्षा और कौशल आवश्यकताएँचुनौतियाँ और आगे की राह

नामांकन की चुनौती:

  • देश के अधिकांश युवा उच्च शिक्षा में प्रवेश नहीं कर पाते हैं।
  • उच्च शिक्षा नामांकन दर अभी भी लगभग 27% (18-23 वर्ष के बच्चे) है।
  • चिंताजनक आंकड़े : देश में वर्ष 2012 में, स्नातकों के मध्य बेरोजगारी दर 20% थी, जो 2021 में बढ़कर 34% हो गई। 
  • स्नातकोत्तर छात्रों के मध्य, यह दर 2012 में 18% थी जो  दोगुनी होकर लगभग 37% हो गई।

निजी महाविद्यालयों की उच्च संख्या संबंधी  चुनौती:

  •  वर्ष 2006 से 2018 के मध्य उच्च शिक्षा का बड़े पैमाने पर प्रसार हुआ। 
    • निजी कॉलेजों की संख्या बढ़ी और गुणवत्ता में गिरावट आई और वे सिर्फ परीक्षा देने वाले संस्थान बनकर रह गए।
  • विनियमन का मुद्दा: राज्य सरकारों, केंद्र सरकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पास इन बढ़ते निजी संस्थानों को विनियमित करने की क्षमता नहीं थी।
  • औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITI) और पॉलिटेक्निक कॉलेज: मान्यता प्राप्त  कॉलेजों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि के कारण आईटीआई की संख्या में वृद्धि हुई है लेकिन अब गुणवत्ता का मुद्दा उठने लगा है।

ऑनलाइन शिक्षा का प्रभाव:

  • सीखने में कमी : ऑनलाइन चीजें सीखने के कारण सीखने की गुणवत्ता की  हानि हुई है एडटेक कंपनियाँ( जो कंपनियाँ शिक्षा हेतु तकनीकी प्रदान करती हो: Ed-tech ) अपने आकार में कटौती कर रही हैं।
  • इसका कारण यह है कि छात्रों को खुद ही एहसास हो रहा है कि ऐसी कंपनियाँ उनके उद्देश्य को पूरा नहीं करेंगी।
  • गुणवत्ता संबंधी चिंता: महामारी के दौरान कॉलेज में दाखिला लेने वाले छात्र अब स्नातक हो चुके हैं और अब उनकी रोजगार क्षमता और ऑनलाइन शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर चिंता जताई जा रहीं है।

रोजगार सृजन की चुनौती:

  • अपर्याप्त नौकरियाँ: अर्थव्यवस्था द्वारा पर्याप्त नौकरियों का सृजन  नहीं हो पा रहा है और इसलिए कई स्नातक विदेश में बेहतर अवसरों की तलाश में देश छोड़ रहे हैं।
    • भारत में  कृषि सबसे बड़ा रोजगार प्रदान करने वाला क्षेत्र है, हालाँकि भारत में यह क्षेत्र उच्च तकनीकी युक्त नहीं बन पाया है, इसलिए स्नातक छात्र कृषि व्यवसायों में शामिल नहीं होते हैं।
  • ज्ञान की कमी: सेवा क्षेत्र में भी जो नौकरियाँ सृजित हो रही हैं, उनके लिए उच्च स्तर के ज्ञान की आवश्यकता होती है। 
    • लेकिन अधिकांश नौकरियाँ, जैसे कि डिलीवरी बॉय, आदि शिक्षित लोगों के लिए पसंदीदा नौकरियाँ नहीं हैं
    • हालांकि नौकरियों के अभाव में उन्हें इन नौकरियों को भी करते देखा जा रहा  है

अनुसंधान एवं विकास की चुनौती:

  • कम व्यय: भारत में सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में अनुसंधान और विकास (R&D) व्यय केवल 0.7% है, जबकि कोरिया में यह 4% है।
  • संस्थानों के अनुसंधान एवं विकास व्यय में समानता: विश्व स्तर पर, कुल अनुसंधान एवं विकास व्यय में निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र का लगभग 70% हिस्सा है और केवल 30% सरकार का है। 
    • लेकिन, भारत में, कुल R&D व्यय में सार्वजनिक क्षेत्र का लगभग 70% हिस्सा है और निजी क्षेत्र का योगदान अपेक्षाकृत छोटा है।
    • सार्वजनिक अनुसंधान संस्थानों के पास अपने अनुसंधान आउटपुट को वास्तविक उपयोग योग्य उत्पादों और प्रक्रियाओं में परिवर्तित करने की व्यवस्था नहीं है जिससे लोगों की मदद हो सके।

सरकारी नीतियों की चुनौती:

  • भारत में औद्योगिक नीति या विनिर्माण रणनीति का अभाव।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का प्रभाव: ज़मीनी स्तर पर शिक्षा व्यवस्था में कोई ठोस बदलाव नहीं हुआ है। 
  • इसके बजाय, इससे विवाद और भ्रम पैदा हो गया है कि उच्च शिक्षण संस्थानों को क्या करना चाहिए।
  • उदाहरण: छात्रों को दाखिला मिलने के सम्बन्ध में  राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी, केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा औरएक राष्ट्र, एक परीक्षाने सिस्टम  में भ्रम पैदा कर दिया है।
  • इस  नीति में विशिष्ट निष्पक्षता कार्यों के बारे में कहीं वर्णन नहीं है।
  • उदाहरण: देश में महिलाओं, अनुसूचित जातियों, मुसलमानों और अनुसूचित जनजातियों का प्रतिनिधित्व, उनकी जनसंख्या में हिस्सेदारी की तुलना में बहुत कम है।

क्या करने की आवश्यकता है:

  • गुणवत्ता में सुधार: कक्षा 10 और कक्षा 12 पास करने के उपरान्त  छात्रों को उच्च शिक्षा के बजाय  आईटीआई और बेहतर व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों की ओर मोड़ना और उद्योग तथा  नियोक्ताओं के साथ जुड़कर उनकी गुणवत्ता में सुधार करना।
  • व्यावहारिक अनुसंधान: ऐसे संस्थान बनाना जो पेटेंट या शोध वैज्ञानिक शोध पत्रों को उत्पादों और प्रक्रियाओं में परिवर्तित करते हैं।
    • विश्वविद्यालयों और उद्योग को इसके लिये अधिक फंडिंग उपलब्ध करनी  होगी।
  • हस्तक्षेप की रणनीतियाँ: समावेशन को बढ़ावा देने के लिए हस्तक्षेप आवश्यक हैं और लोगों के विभिन्न समूहों के लिए समानताएँ अलगअलग होनी चाहिए।

निष्कर्ष:

उच्च शिक्षा संस्थान मूलतः ज्ञान संस्थान हैं। जब वे नए  ज्ञान का निर्माण करते  हैं, तो इससे नई तकनीकों का विकास, नए व्यवसायों, नवाचार, उद्यमिता और स्टार्टअप की संभावनाएँ पैदा होती हैं। यह सरकार की जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वह उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए उचित कार्रवाई करे, जिससे अंततः भारत का भविष्य संवरेगा।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न : क्या उद्द्योग-अकादमिक सहयोग छात्रों को नौकरी-प्रासंगिक कौशल और व्यवहारिक अनुभव से लैस कर उन्हें स्नातक स्तर की शिक्षा के उपरान्त कार्यबल में प्रवेश दिलाने में क्या मदद कर सकता है ? उच्च शिक्षा और कौशल विकास के सन्दर्भ में इसका सत्यापन कीजिये I

                                                                                                                                                News Source: The Hindu

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