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संसद में ध्वनि मत लोकतंत्र के लिए हानिकारक क्यों हैं? (Why is voice vote in Parliament harmful for democracy?)

Samsul Ansari January 08, 2024 04:14 121 0

संदर्भ:

समसामयिक रुझान मतदान रिकॉर्ड परध्वनि मतके रूप में एक चिंताजनक पैटर्न दिखाते हैं।

प्रीलिम्स के लिए प्रासंगिकता: ध्वनि मत

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: ध्वनि मत चुनौतियाँ और आगे की राह।

हालिया संबंधित परिदृश्य:

  • निलंबित सांसद और विधेयक का पारित होना: हाल ही में संपन्न संसद सत्र में लोकसभा और राज्यसभा दोनों में 19 विधेयक पारित हुए, वही  इस सत्र में दोनों सदनों में 146 संसद सदस्यों (सांसदों) को निलंबित कर दिया गया।
  • जन विश्वास विधेयक, 2023 का पारित होना: मणिपुर मुद्दे पर विपक्ष के विरोध के मध्य इसे ध्वनि मत से पारित किया जाना
  • कृषि विधेयकों का पारित होना, 2020: विपक्ष के लगातार विरोध के बावजूद विवादास्पद कृषि विधेयक का  राज्यसभा में पारित होना

दलबदल विरोधी कानून, 1985 में कमी:

  • उद्देश्य: राजनीतिक दलबदल पर अंकुश लगाना।
  • उपलब्धियाँ: इसने सफलतापूर्वक फ़्लोरक्रॉसिंग(विपक्षी पार्टी को छोड़ कर सत्तारूढ़ पार्टी को ज्वाइन करना या इसके विपरीत की स्थिति) को रोक दिया और पार्टी लाइनों के अनुसार वोट देने का आह्वान किया।
  • चिंता: इसने सांसदों  की असहमति संबंधी  महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक सिद्धांत को कमजोर कर दिया है।
    • गुणवत्तापूर्ण बहसें किसी  महत्वपूर्ण मुद्दे पर एक सांसद के रुख का एक मापदंड  होता हैं, लेकिन सभी विचारविमर्श वोट के माध्यम से ठोस कार्रवाई में बदल दिएजाते हैं और दुर्भाग्य से, दलबदल विरोधी कानून ने इसे केवल औपचारिकता में बदल दिया है।

संसदीय निर्णयों पर कन्वेंशन:

  • बहस और निर्णय: संविधान के अनुसार दोनों सदनों के निर्णय उपस्थित और मतदान करने वालों के साधारण बहुमत या संवैधानिक संशोधनों के लिए विशेष बहुमत के माध्यम से किए जाएंगे।
  • ध्वनि मत: बहस की समाप्ति के बाद, मौखिक रूप से सहमत या असहमत होने की स्थिति में परंपरागत रूप से  ध्वनि मत का उपयोग किया जाता है।
    • यह विधायी प्रस्तावों को पारित करने का एक लोकप्रिय  तरीका है, हालाँकि इसमें सांसदों की उपस्थिती का रिकॉर्ड नहीं होता है
    • यह व्यक्तिगत रुझान  को प्रतिबिंबित नहीं करता है और गलत भी हो सकता है।
  • अध्यक्ष द्वारा निर्णय: अध्यक्ष/सभापति, सांसदों से हाँ या ना कहने के लिए कहते हैं, फिर कथित तौर पर तीव्र ध्वनि मत के आधार पर निर्णय लेते हैं।
    • दोनों सदनों की प्रक्रिया के नियमों में कहा गया है कि आह्वाहन किये जाने पर तभी विभाजन किया जाएगा जब तक कि अध्यक्ष/सभापति इसेअनावश्यक रूप से किया गया दावा समझें।

वोट के सटीक रिकॉर्ड की आवश्यकता:

  • 1836 में, हाउस ऑफ कॉमन्स ने लंदन और ब्राइटन रेलवे बिल पर मतदान किया यह संसदीय इतिहास में महत्वपूर्ण था क्योंकि यह इस बात पर केंद्रित था कि मतदान कैसे किया जाता है।
    • वोटों के सटीक रिकॉर्ड की चाहत ने मत विभाजन की एक सटीक सूची तैयार की। 
    • यह प्रक्रियात्मक बदलाव संभवतः सुधार पर सांसदों की चुनावी प्रतिज्ञाओं की पुष्टि करने के लिए था।
  • वेस्टमिंस्टर के हॉल से वोटों की गिनती द्वारा विभाजन याडिवीजन: यह एक वैकल्पिक मतदान पद्धति है जहाँ एक सांसद द्वारा वोट रिकॉर्ड करने के लिए कहा  जा  सकता है। 
    • अध्यक्ष काक्लियरिंग लॉबीजका आह्वान वोटों को रिकॉर्ड करने का संकेत देता है जहाँ सांसद कागज़ की पर्चियों या स्वचालित वोट रिकॉर्डर का उपयोग करके किसी प्रस्ताव की पुष्टि कर सकते हैं, अस्वीकार कर सकते हैं या अनुपस्थित रह सकते हैं।
  • दुनिया भर में, मतदान रिकॉर्ड विधायी प्रक्रियाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं: यह विधायी पारदर्शिता और जवाबदेही को आगे बढ़ाता है और महत्वपूर्ण मुद्दों पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है, जो उम्मीदवारकेंद्रित मतदान प्रणाली में महत्वपूर्ण है। 

भारत में डिवीजन कॉल (मत विभाजन की मांग):

  • उपयोग: वर्ष 2023 में, दिल्ली सेवा विधेयक ने राज्यसभा मेंविभाजन कॉलको जन्म दिया, जहां वोटों की गिनती की गई और उसे रिकॉर्ड किया गया।
  • चुनौती: सामूहिक विनाश के हथियार विधेयक (Weapons of Mass Destruction Bill) और विद्युत संशोधन विधेयक (Electricity Amendment Bill) के पारित होने के दौरान लोकसभा (2022) में डिवीजन कॉल को खारिज कर दिया गया था।

क्या किया जाना चाहिये:

  • विधायी मतदान: इसे  एक अच्छा विकल्प माना जाता है क्योंकि यह विपक्षी दलों को विभिन्न नीतियों पर  लोगों के विचारों को आकार देते हुए  मतदाताओं को उस पर उनके रुख  बताने में  मदद करता है।
  • अधिक पारदर्शिता की आवश्यकता: भारत में, फर्स्टपास्टपोस्ट प्रणाली प्रचलित है, जहाँ मतदाता पार्टी के बजाय उम्मीदवार को वोट देते हैं, जिसके लिए मतदान रिकॉर्ड के संदर्भ में अधिक पारदर्शिता और स्पष्टता की आवश्यकता होती है। 
    • क्योंकि इसके बिना की गयी  “हाँअर्थहीन गूँज बन जाती है।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न: ध्वनि मत तभी मान्य होता है जब उस पर कोई सवाल नहीं उठाता’ I क्या यह लोकतंत्र के लिये हानिकारक है? टिपण्णी कीजियेI

News Source: The Indian Express

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