देश भर में 10,000 से अधिक जनऔषधि केंद्रों के विस्तार से दवा कंपनियों को घाटा हो रहा है।
गौरतलब है कि जेनरिक दवाओं तक लोगों की बढ़ती पहुँच 1.9 लाख करोड़ रुपये के घरेलू औषधि बाजार को प्रभावित कर रही है।
जनऔषधि केंद्र
जनऔषधि केंद्रों परउपलब्धजेनरिक दवाओं की कीमत लोकप्रिय ब्रांडों की तुलना में 50 से 60 प्रतिशत कम होती है।
कार्यान्वन: फार्मा एंड मेडिकल ब्यूरो ऑफ इंडिया (PMBI), रसायन और उर्वरक मंत्रालय (भारत सरकार)।
सामाजिक लाभ: केरल जैसे राज्य में कई जनऔषधि केंद्र महिलाओं द्वारा संचालित किए जा रहे हैं।
वितरण: वर्तमान में 33 प्रतिशत जनऔषधि केंद्र केवल दक्षिण भारत में स्थित हैं। उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 1,481 जनऔषधि केंद्र हैं।
दवाएँ: पूरे भारत में जनऔषधि केंद्रों पर बिकने वाली मुख्य 10 दवाओं में से पाँच मधुमेह और उच्च रक्तचाप के उपचार से संबंधित हैं।
जेनरिक दवा
जेनरिक दवाएँ ब्रांडेड दवाओं के समान संरचना वाली दवाएँ होती हैं किंतु ये दवाएँ ब्रांडेड दवाओं के पेटेंट समाप्त होने के बाद बनाई जाती हैं।
भारत मुख्य रूप से ब्रांडेड दवाओं का एक बाजार है किंतु कई दवा कंपनियाँ जेनरिक दवाएँ का निर्माण भी करती हैं।
मूल्य में कमी: जेनरिक दवाएँ सीधे अस्पतालों एवं दवाखानों को बेची जाती हैं। मार्केटिंग लागत के अभाव में गैर-ब्रांडेड जेनरिक दवाओं की कीमत बहुत कम होती है।
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