100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

विकास के लिए डिजिटल व्यापार (digital business for growth)

Samsul Ansari January 11, 2024 05:34 277 0

संदर्भ 

हाल ही में   “विकास के लिए डिजिटल व्यापार” नामक एक जारी की गई है, जो विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए डिजिटल व्यापार से उत्पन्न होने वाले अवसरों और चुनौतियों से जुड़े आँकड़े प्रस्तुत करती है।

रिपोर्ट के बारे में

प्रकाशक: इस रिपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund-IMF), आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (Organisation for Economic Co-operation and Development-OECD), संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (United Nations Conference on Trade and Development-UNCTAD), विश्व बैंक और विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization-WTO) के साझा सहयोग से प्रकाशित किया गया है। 

रिपोर्ट की मुख्य बातें

  • डिजिटल परिवर्तन: डिजिटल परिवर्तन के आगमन के साथ दुनिया एक बुनियादी बदलाव को देख रही है।
    • वर्तमान में लगभग 5.4 अरब लोग इंटरनेट से जुड़ सकते हैं, फिर भी वैश्विक आबादी का एक-तिहाई हिस्सा अभी भी इंटरनेट सेवाओं से वंचित है।
  • नए अवसर: सीमा पार से डिजिटल रूप से प्रदान की जाने वाली सेवाएँ अंतरराष्ट्रीय व्यापार का एक तेजी से बढ़ते हुए क्षेत्र के रूप में उभरी हैं, जो नए अवसर प्रस्तुत कर रहीं हैं।
    •  डिजिटल व्यापार के मूल्य में वर्ष 2005 के बाद से लगभग चार गुना वृद्धि हुई है  कुल सेवा निर्यात में 54% की हिस्सेदारी के साथ इसने वस्तुओं और पारंपरिक सेवाओं को पीछे छोड़ दिया है।
  • नीतिगत चुनौतियाँ: यह रिपोर्ट विशिष्ट नीतिगत मुद्दों का गहन विश्लेषण करती है, जिसमें WTO द्वारा इलेक्ट्रॉनिक प्रसारणों पर सीमा शुल्क लगाने पर रोक, सीमा पार डेटा प्रवाह का विनियमन, प्रतिस्पर्द्धा नीतियाँ और उपभोक्ता संरक्षण शामिल हैं।

WTO नियम और ई-कॉमर्स

  • विनियमन: वर्ष 1998 से ई-कॉमर्स पर WTO का वर्क प्रोग्राम (WTO Work Programme on E-commerce)  ई-कॉमर्स पर WTO के नियम के कार्यान्वयन की निगरानी कर रहा है, जिसे व्यापक रूप से मौजूदा डब्ल्यूटीओ समझौतों के दायरे में देखा जाता है।
    • WTO का इलेक्ट्रॉनिक प्रसारणों पर सीमा शुल्क रोक एकमात्र ऐसा प्रावधान है, जो स्पष्ट रूप से ई-कॉमर्स पर लागू होता है और यह वर्ष 1998 से लागू है।
  • समस्या: WTO के अधिकांश सदस्य मानते हैं कि व्यापार की बदलती प्रकृति पर प्रतिक्रिया देने और ई-कॉमर्स से संबंधित गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने के लिए, डिजिटल व्यापार से संबंधित मौजूदा WTO नियमों को अद्यतन करने और नए नियमों के साथ जोड़ने की आवश्यकता है।
  • वार्ता : WTO ई-कॉमर्स वार्ता, एक संयुक्त वक्तव्य पहल (Joint Statement Initiative-JSI) के माध्यम से वर्ष 2019 में शुरू हुई, जिसमें 90 सदस्य फरवरी 2024 में आयोजित होने वाले 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (MC13) तक डेटा प्रवाह, डेटा स्थानीयकरण और स्रोत कोड के संरक्षण पर आम सहमति बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
  • भारत का रुख: भारत ने बहुपक्षीय पहल का विरोध किया है और वह इस वार्ता में शामिल नहीं हुआ है। भारत डिजिटल नीति में लचीलेपन का समर्थन करता है और कुछ शीर्ष ई-कॉमर्स कंपनियों के संभावित प्रभुत्व को लेकर चिंतित है।

डिजिटल व्यापार क्या है?

  • डिजिटल व्यापार: OECD  के अनुसार, डिजिटल व्यापार में वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार के डिजिटली-इनेबल्ड ट्रांजेक्शन (Digitally-enabled Transactions) शामिल हैं जिन्हें या तो डिजिटल अथवा भौतिक रूप से वितरित किया जा सकता है और इसमें उपभोक्ता, कंपनियाँ और सरकारें शामिल हैं।
    • उदाहरण के लिए
      • ऑनलाइन मार्केटप्लेस के माध्यम से पेपर बुक की खरीद और भौतिक वितरण।
      • ई-पुस्तक की खरीद और डिजिटल वितरण।

  • डिजिटल अर्थव्यवस्था: इसमें डिजिटल प्रौद्योगिकियों के माध्यम से संचालित या सक्षम की गई आर्थिक गतिविधियाँ शामिल हैं।
  • डिजिटलीकरण और बदलता व्यापार: डिजिटलीकरण से व्यापार का आकार, दायरा और गति बढ़ती है और कंपनियों को दुनिया भर में डिजिटल रूप से जुड़े अधिक ग्राहकों के लिए नए उत्पाद और सेवाएँ प्रस्तुत करने का मौका मिलता है।

भारत में डिजिटल व्यापार की स्थिति

  • भारत का ट्रिलियन डॉलर डिजिटल अवसर: यह केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology-MeitY) का एक प्रयास है, जो भारत के डिजिटल विजन और वर्ष 2025 तक डिजिटल अर्थव्यवस्था के $1 ट्रिलियन के आर्थिक मूल्य को प्राप्त करने की भारत की क्षमता को प्रस्तुत करता है। 
  • डिजिटल व्यापार का आर्थिक मूल्य: अखिल भारतीय प्रबंधन संघ और हाइनरिक फाउंडेशन (Hinrich Foundation) के शोध के अनुसार, यदि सीमा पार डेटा प्रवाह और भंडारण को पूरी तरह से सुगम बनाया जाता है, तो वर्ष 2030 तक भारत में डिजिटल व्यापार का आर्थिक मूल्य 14 गुना बढ़कर $512 बिलियन तक पहुँच सकता है, जिसमें निर्यात भी शामिल है।

भारत में डिजिटल व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सरकारी पहल

  • डिजिटल इंडिया कार्यक्रम: इस कार्यक्रम का उद्देश्य ई-सेवाओं के माध्यम से नागरिकों और सरकार के बीच बेहतर संबंध स्थापित करना तथा सरकारी सेवाओं को लागत प्रभावी एवं पारदर्शी तरीके से उपलब्ध कराना है।
    • उदाहरण के लिए, वित्त वर्ष 2022-23 की बजट घोषणा के अनुसार, पीएम ई-विद्या (PM e-Vidya) पहल को 12 DTH चैनलों से बढ़ाकर 200 DTH टीवी चैनलों तक विस्तारित किया जाएगा, जिससे ई-सेवा वितरण सुनिश्चित होगा।
  •  एआई फॉर आल रणनीति:  ‘एआई फॉर आल’ (AI For All) AI के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने के लिए बनाया गया एक स्व-शिक्षण ऑनलाइन कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों के लिए AI को आसान बनाना और ‘डिजिटल फर्स्ट माइंडसेट’ बढ़ावा देना है।
  • इंडिया स्टैक पर निर्मित डिजिटल अवसंरचना: इंडिया स्टैक ओपन एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (Application Programming Interfaces-APIs) का एक समूह है जो पहचान, डिजिटल भुगतान और डेटा जैसे आवश्यक आर्थिक तत्त्वों को अनलॉक करता है। यह आसान लेनदेन और वस्तुओं तथा सेवाओं के वितरण के लिए एक मंच तैयार करता है।
    • आधार प्रणाली व्यक्तियों को ऑनलाइन बायोमेट्रिक आधारित डिजिटल पहचान प्रदान करती है।
  • गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM): सरकार ने वस्तुओं और सेवाओं की खरीद को डिजिटल करने के लिए एक केंद्रीकृत प्रबंधन वाला GeM बनाया है , जो सबसे बड़े खरीद प्लेटफॉर्मों में से एक है।
    • GeM ने चालू वित्त वर्ष (2023-24) के शुरुआती 8 महीनों से भी कम समय में सकल व्यापारिक मूल्य (Gross Merchandise Value-GMV) में ₹2 लाख करोड़ का आँकड़ा पार कर लिया है, जो पिछले वित्त वर्ष के अंत में दर्ज किए गए कुल GMV से भी अधिक है।
  • महामारी राहत सेवाएँ: भारत में कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों को राहत पहुँचाने का कार्यक्रम बड़े पैमाने पर देश के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे के माध्यम से ही चलाया गया। COWIN, दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रम के रोलआउट को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार द्वारा बनाया गया एक प्रौद्योगिकी मंच है।

भारत में डिजिटल व्यापार और संबद्ध अवसर

  • दक्षता में वृद्धि : डिजिटल प्रौद्योगिकियों को अपनाने से मैनुअल कार्यों में कमी आती है और संचालन में वृद्धि होती है, जिससे लागत में कमी के साथ त्वरित निर्णय लेने तथा प्रतिस्पर्द्धा में बढ़त प्राप्त होती है।
    • उदाहरण के लिए, AI, मशीन लर्निंग (Machine Learning), ब्लॉकचेन (Blockchain) और क्लाउड कंप्यूटिंग (Cloud Computing) जैसी उन्नत तकनीकों को अपनाने से भारतीय व्यवसायों की दक्षता में सुधार होगा, जिससे वे विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनने में सहायता प्राप्त होगी।
  • नवाचार और प्रतिस्पर्द्धात्मकता: डिजिटल व्यापार फर्मों को विकास की बाधाओं को दूर करने, भुगतान की सुविधा प्रदान करने, सहयोग को सक्षम करने, क्लाउड-आधारित सेवाओं के माध्यम से अचल संपत्तियों में निवेश से बचने और क्राउडफंडिंग जैसे वैकल्पिक फंडिंग तंत्र का उपयोग करने के लिए नए और अभिनव डिजिटल टूल का उपयोग करने में सक्षम बनाता है।।
  • बेहतर ग्राहक अनुभव: डिजिटल परिवर्तन, व्यवसायों को ग्राहकों की जरूरतों के अनुरूप सेवाएँ प्रदान करने में सक्षम बनाता है, व्यक्तिगत अनुभव तथा निरंतर डिजिटल समर्थन प्रदान करता है, जिससे ग्राहकों की संतुष्टि एवं वफादारी बढ़ती है।
  • व्यावहारिक डेटा विश्लेषण: डिजिटल माध्यमों से उत्पन्न व्यापक डेटा उपभोक्ता प्राथमिकताओं और बाजार गतिविधियों के बारे में महत्त्वपूर्ण समझ प्रदान करता है, जिससे डेटा संचालित निर्णय लेने और व्यापार प्रगति को बढ़ावा मिलता है।
    • उदाहरण के लिए, तकनीक और डेटा का उपयोग करके निजीकृत विज्ञापन (Personalised Advertisement) के जरिए, खुदरा विक्रेता सही समय पर, सही जगह पर, सही व्यक्ति को सही उत्पाद दिखाने में सफल रहते हैं।
  • विस्तारित वैश्विक पहुँच: डिजिटल परिवर्तन अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुँच प्रदान करता है, जिससे व्यवसायों को अपनी पहुँच बढ़ाने और नई राजस्व धाराओं तथा वैश्विक अवसरों का पता लगाने की अनुमति मिलती है।

भारत में डिजिटल व्यापार से जुड़ी चुनौतियाँ

  • वैश्विक डिजिटल तैयारी में असमानताएँ: विकसित देश डिजिटल रूप से वितरण योग्य सेवाओं में व्यापार पर हावी हैं। इसके विपरीत, अंतरराष्ट्रीय डिजिटल व्यापार क्षेत्र में  अल्प विकसित देशों (Least Developed Countries – LDCs) और  स्थलरुद्ध विकासशील देशों (Landlocked Developing Countries-LLDC)  देशों की भागीदारी अपेक्षाकृत काफी कम है।
    • उदाहरण के लिए, वर्ष 2022 में, उच्च आय वाले देशों ने विश्व स्तर पर डिजिटल रूप से वितरित सेवाओं के निर्यात में 82% से अधिक का योगदान दिया, जबकि मध्यम आय वाले देशों से यह  मात्र 17% था, जिसमें चीन और भारत का योगदान क्रमशः 6% और 5% था।
  • घरेलू नियामक: भारत के विकसित हो रहे डेटा प्रशासन ढाँचे को कई नीतिगत चिंताओं को उजागर किया है, जिसमें स्वदेशी डेटा भंडारण का निर्माण, घरेलू डिजिटल निवेश को बढ़ावा देना, डेटा पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाना आदि शामिल है। 
    • यह जटिल ढाँचा कंपनियों के लिए डिजिटल व्यापार में संलग्न होने को और अधिक बोझिल एवं महंगा बनाता है। 
    • उदाहरण के लिए, डिजिटल व्यापार   क्षेत्र में सक्रिय अमेरिका की कुछ सबसे बड़ी तकनीकी कंपनियों जैसे अमेजन, गूगल, मेटा, इंटेल आदि ने “डिजिटल व्यापार के लिए प्रमुख खतरे 2023” नामक एक नोट में भारत के साथ व्यापार करने में आने वाली कई नीतिगत बाधाओं को रेखांकित किया है। 
  • डिजिटल विभाजन: भारत में एक व्यापक डिजिटल विभाजन देखा गया है, जहाँ इंटरनेट उपयोग और डिजिटल बुनियादी ढाँचे तक पहुँच में अंतराल मौजूद हैं तथा आबादी का एक बड़ा हिस्सा इंटरनेट तक पहुँच से वंचित है।
    • इंटरनेट इन इंडिया रिपोर्ट 2022 के अनुसार, भारत में राज्यों के बीच डिजिटल विभाजन एक चिंताजनक मुद्दा है। उदाहरण के लिए, बिहार में इंटरनेट पहुँच केवल 32% है, जबकि अग्रणी राज्य गोवा में यह 70% है अर्थात् बिहार में गोवा की तुलना में आधे से भी कम लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर पाते हैं।

आगे की राह

  • विनियामक वातावरण को सुविधाजनक बनाना: नीतियों और नियमों द्वारा दूरस्थ लेनदेन को सक्षम करना चाहिए, डिजिटल बाजारों में विश्वास बढ़ाना चाहिए, किफायती पहुँच को बढ़ावा देना चाहिए तथा सीमा पार वितरण का समर्थन करना चाहिए।
    • डिजिटल व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र की प्रगति के लिए एक पूर्वानुमान योग्य और अंतरसंचालनीय वातावरण बनाना आवश्यक है, जो ऑनलाइन लेनदेन (जैसे डेटा गोपनीयता, उपभोक्ता संरक्षण और साइबर सुरक्षा) से संबंधित उपयुक्त सुरक्षा प्रदान करता है।
    • अनुमानों के अनुसार, मध्यम और निम्न आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में जहाँ डिजिटल रूप से प्रदत्त सेवाओं के लिए एक सक्षम नियामक वातावरण है, वहाँ बेहतर डिजिटल कनेक्टिविटी व्यापार लागत को कम करने में दोगुनी प्रभावी है।
  • डिजिटल विभाजन को पाटना: भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में कनेक्टिविटी और कौशल को बेहतर बनाने तथा डिजिटल व्यापार से संबंधित क्षेत्रों में विनियमन करने की क्षमता निर्माण के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय और तकनीकी सहायता की आवश्यकता है।
    • उदाहरण के लिए, WTO के नेतृत्व में ऐड फॉर ट्रेड (Aid for Trade), अंकटाड (UNCTAD) के नेतृत्व में ई-ट्रेड फॉर ऑल और विश्व बैंक के नेतृत्व में डिजिटल सलाहकार एवं व्यापार सहायता (Digital Advisory and Trade Assistance-DATA) फंड जैसी पहल इस दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम हैं।
    • डिजिटल कनेक्टिविटी, WTO के वित्त वर्ष 2023-24 के एड फॉर ट्रेड कार्यक्रम के तीन प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में से एक है, और ICT क्षेत्र की व्यापार प्रतिबद्धताओं के लिए सहायता वित्त वर्ष 2021-22 में $2.16 बिलियन तक पहुँच गई है।
  • डिजिटल व्यापार में अंतरराष्ट्रीय सहयोग: अंतरराष्ट्रीय सहयोग तेजी से डिजिटल व्यापार पर नियमों को संबोधित कर रहा है, जिसमें मुख्य रूप से प्रगति द्विपक्षीय और क्षेत्रीय व्यापार समझौतों के क्षेत्र में देखी जा रही है।
    • उदाहरण के लिए, वर्ष 1998 में शुरू किया गया ई-कॉमर्स पर WTO वर्क प्रोग्राम (Work Programme) डिजिटल व्यापार की विकसित होती प्रकृति को समायोजित करने के लिए मौजूदा नियमों को अद्यतन करने की आवश्यकता पर जोर देता है।
  • व्यापार से परे नियामक मुद्दे: संतुलित वैश्विक डेटा प्रशासन पर सहयोग, डिजिटल बाजारों में बाजार की शक्ति का प्रभावी विनियमन और मजबूत उपभोक्ता संरक्षण ढाँचे पर सहयोग आवश्यक हैं।
    • सीमा पार डेटा प्रवाह, प्रतिस्पर्द्धा और उपभोक्ता संरक्षण जैसे नियामक मुद्दों के लिए वैश्विक समाधान की आवश्यकता है।
  • डिजिटल व्यापार के सकारात्मक प्रभाव को अधिकतम करना: ‘डेटा  ऑपर्च्युनिटी: द प्रॉमिस ऑफ डिजिटल ट्रेड’ (Data Opportunity: The Promise Of Digital Trade) रिपोर्ट के अनुसार, अधिकतम सकारात्मक प्रभाव के लिए डिजिटल उद्यमों पर नौकरशाही, सीमा पार डेटा प्रवाह पर रोक और असंतुलित कॉपीराइट तथा मध्यस्थ देयता विनियमों जैसे मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.