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भारत द्वारा देश की जल मांग और आपूर्ति के मध्य संतुलन स्थापित करना (India should establish a balance between the country’s water demand and supply.)

Samsul Ansari January 13, 2024 11:07 170 0

संदर्भ:

जल के संरक्षण के लिए भारत को सीमित नीतियों के बजाय एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है, क्योंकि यह हमारी खाद्य और ऊर्जा जरूरतों के लिए महत्वपूर्ण है।

मुख्य परीक्षा हेतु प्रासंगिकता : भारत में खाद्य, भूमि, जल और ऊर्जा क्षेत्र से जुड़ी चुनौतियाँ और उनका समाधान I

भोजन, भूमि, जल और ऊर्जा क्षेत्रों में अंतर्संबंध:

  • खाद्य, भूमि, जल और ऊर्जा क्षेत्र गंभीर रूप से आपस में जुड़े हुए हैं और अन्य क्षेत्रों में समझौताकारी समन्वयन पर सावधानीपूर्वक विचार किए बिना इनमें से किसी एक क्षेत्र पर कार्रवाई करने से हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है।
    • उदाहरण के लिए: भारत की हरित क्रांति के दौरान पंजाब और हरियाणा में भूजल सिंचाई के लिये बिजली सब्सिडी जैसी वनट्रैक नीतियों का  प्रभाव अभी भी  देखा जा सकता  है।

कृषि क्षेत्र में जल की भारी मांग:

  • वर्ष 2020 में, जबकि भारत के घरेलू क्षेत्र को 54,000 बिलियन लीटर पानी की आवश्यकता थी, कृषि क्षेत्र को 14 गुना अधिक – 776,000 बिलियन लीटर पानी की आवश्यकता थी।
  • ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (CEEW) के अनुमान के अनुसार, वर्ष 2030 तक भारत की जल की मांग का 87% हिस्सा कृषि क्षेत्र का होगा।

भारत की जल सुरक्षा में सुधार के लिए उठाये जाने वाले कदम:

  • कृषि स्थिरता में वृद्धि करना: राज्यों की सरकारों को कृषि सिंचाई और विभिन्न जल अभ्यासों जैसे कि परिशुद्ध कृषि (Precision Agriculture), सूक्ष्म सिंचाई और मल्चिंग (Mulching) में सुधार करने की आवश्यकता है
  • समग्र गठजोड़ की नीति : खाद्य, भूमि, जल और ऊर्जा नीतियों को सभी चरणों में डिजाइन, कार्यान्वयन, निगरानी और प्रभाव मूल्यांकन के गठजोड़ को एक साथ लाना चाहिए।
  • नीति नियोजन और समन्वय को मजबूत करना: सांठगांठ की आवश्यकता वाले  मंत्रालयों जैसे जल शक्ति मंत्रालय, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय और बिजली मंत्रालय द्वारा प्रशासित योजनाओं और नीतियों की योजना प्रक्रियाओं का मार्गदर्शन सरकार के भीतर एक स्वतंत्र निकाय द्वारा कराया जा सकता है।
  • समुदायप्रबंधित भूजल अभ्यासों को बढ़ावा देना: इस महत्वपूर्ण संसाधन को टिकाऊ बनाने के लिए समुदायप्रबंधित भूजल अभ्यासों को बढ़ावा देना आवश्यक है
    • उदाहरण के लिए: अटल भूजल योजना में जल सुरक्षा की योजना बनाना और समुदाय द्वारा ग्राम पंचायत स्तर पर आवश्यक डेटा को एकत्र किया जाना।

News Source: Financial Express

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