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कश्मीर में शीतकालीन शुष्क मौसम (winter dry season in kashmir)

Samsul Ansari January 16, 2024 03:58 287 0

संदर्भ 

संपूर्ण पश्चिमी हिमालय लंबे समय से सूखे का सामना कर रहा है तथा अगले दो सप्ताह तक मौसम में परिवर्तन की कोई उम्मीद नहीं है।

संबंधित तथ्य 

दिसंबर और जनवरी के दौरान कश्मीर में लगभग 75 प्रतिशत कम वर्षा होने के कारण गंभीर सूखा पड़ा है, जिससे भू-जल, बागवानी और पर्यटन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

कश्मीर में शीत ऋतु 

  • कश्मीर में शीत ऋतु लगभग 70 दिनों का होती है, जिसका आगमन प्रत्येक वर्ष लगभग 22 दिसंबर से होती है। पहले चालीस दिनों को ‘चिल्ला कलाँ’ कहा जाता है, अगले बीस दिनों को ‘चिल्ला खुर्द’ तथा आखिरी दस दिनों को ‘चिल्ला बची’ के नाम से जाना जाता है। शीतकाल की बर्फबारी से ही हिमालयी नदियों को वर्ष भर जल प्राप्त होता है।
  • हालाँकि, इस वर्ष नमी और बर्फबारी दोनों में गिरावट आई है तथा विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले 2 सप्ताह में मौसम यथास्थिति बना रहेगा।

शुष्क मौसम के कारण

  • पश्चिमी विक्षोभ (WD) की अनुपस्थिति: पश्चिमी विक्षोभ के आने में देरी के कारण बर्फबारी नहीं हुई है क्योंकि पश्चिमी विक्षोभ की वजह से ही हिमालय के उत्तर-पश्चिम भाग में बर्फबारी होती है।
  • अल-नीनो (EL-Nino) के साथ संबंध: मुख्य रूप से ‘अल-नीनो वर्ष’ में अल-नीनो से पहले पश्चिमी विक्षोभ का लगातार आगमन होता है किंतु इस वर्ष ग्लोबल वार्मिंग जैसे कारकों के कारण मौसमी स्थिति बदलती दिख रही है।
  • ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव: ग्लोबल वार्मिंग के कारण पश्चिमी विक्षोभ के आने की आवृत्ति कम हो गई है क्योंकि मध्य अक्षांशीय जेट धाराएँ, जो पश्चिमी विक्षोभ के बहाव का कारण हैं, उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र की ओर बढ़ रही हैं, जिसके कारण देश में  शीतकालीन वर्षा तथा बर्फबारी में उल्लेखनीय कमी आई है।
  • उत्तरी अटलांटिक दबाव क्षेत्र: विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तरी अटलांटिक दबाव क्षेत्र (NAO) तथा कश्मीर क्षेत्र की शीतकालीन वर्षा के बीच एक मजबूत सकारात्मक सहसंबंध है।
    • उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र में दबाव परिवर्तन के कारण पश्चिमी विक्षोभ (WDs) की सक्रियता बढ़ जाती है जो कश्मीर क्षेत्र में शीतकालीन वर्षा का कारण है।
    • दिसंबर 2023 के दौरान उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र में अनियमित दबाव बना है, जिसके कारण जनवरी 2024 में नकारात्मक मौसमी प्रभाव जैसे कम बर्फबारी देखने को मिली है।
  • पर्यावरणीय कारण: गुलमर्ग में पर्यटन विकास के नाम पर जंगलों को लगातार काटा जा रहा है। इसके अलावा जंगलों में प्लास्टिक सहित विभिन्न तरह का कचरा जमा हो रहा है, जिससे जलवायु तथा पारिस्थितिक संतुलन प्रभावित हो रहा है।

पश्चिमी विक्षोभ (WD)

  • पश्चिमी विक्षोभ एक तूफान है, जो भूमध्य सागर से उत्पन्न होकर पूरे एशिया में आता है। ये तूफान जिन क्षेत्रों से गुजरता है, वहाँ की जलवायु को प्रभावित करता है।
  • मध्य अक्षांशीय उपोष्णकटिबंधीय पश्चिमी जेट धाराओं के अतर्गत पश्चिमी विक्षोभ आता है।

जेट धाराएँ 

  • जेट धाराएँ वायुमंडल में तेजी से बहने वाली घुमावदार धाराएँ हैं, जो स्थानीय मौसम को उल्लेखनीय रूप से प्रभावित करती हैं।

विभिन्न क्षेत्रों पर शुष्क मौसम का प्रभाव

  • पर्यटन में गिरावट: गुलमर्ग में पर्यटकों के आगमन में 70% की गिरावट आई है, जहाँ सर्दियों में बर्फबारी के बीच स्कीइंग जैसे कई खेलों का आयोजन किया जाता रहा है।
  • शीतकालीन साहसिक खेलों पर प्रभाव: फरवरी के पहले सप्ताह में गुलमर्ग में प्रस्तावित चौथे ‘खेलो इंडिया विंटर गेम्स’ को भी स्थगित किया जा सकता है।
  • जल संसाधन: बर्फ की कमी का सीधा तात्पर्य जल स्रोतों की कमी से है क्योंकि पिघलता बर्फ ही नदियों और झीलों के पानी का स्रोत है, जिस पर मानव सभ्यता निर्भर होती है।
  • पेयजल: नदियों, झरनों और नहरों के सूखने के कारण पेयजल आपूर्ति भी प्रभावित हुई है।
  • जलविद्युत: पिछले कुछ महीनों में लंबे समय तक कम बारिश की वजह से जम्मू-कश्मीर में जलविद्युत परियोजनाओं से विद्युत उत्पादन भी कम हो गया है।
  • सेब की उपज: बर्फबारी की कमी से सेब की उपज प्रभावित हुई है क्योंकि बर्फ की परत एक सुरक्षात्मक कवच के रूप में काम करती है, जो पेड़ों को अत्यधिक ठंड से बचाती है।

भविष्य की राह 

  • जल प्रबंधन विधियों को अपनाना: कृषि पर नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए जल प्रबंधन विधियाँ, सूखा प्रतिरोधी फसल की किस्मों तथा अनुकूली कृषि तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता है।
  • अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी के बीच संतुलन: प्रमुख पारिस्थितिकी क्षेत्रों में भवन सहित अन्य निर्माणों की अनुमति न देकर अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी के बीच संतुलन को बेहतर बनाया जा सकता है ताकि पर्यटन में स्थायित्व बना रहे।

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