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भारत-ईरान संबंध (India-Iran relations)

Samsul Ansari January 17, 2024 04:44 396 0

संदर्भ

हाल ही में भारतीय विदेश मंत्री की ईरान यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों व साझा महत्त्व के अन्य मुद्दों पर चर्चा की गई।

यात्रा के मुख्य बिंदु 

  • समुद्री सुरक्षा चिंता: क्षेत्र में समुद्री नौवहन के खतरों से संबंधित चिंताओं पर चर्चा की गई।
    • लाल सागर संकट: इजरायल-हमास युद्ध के बीच हूती विद्रोहियों द्वारा लाल सागर में व्यापारिक जहाजों पर बढ़ते हमलों के मुद्दे को उठाया गया। 

चाबहार बंदरगाह के बारे में

  • यह ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान (Sistan-Balochistan) प्रांत में स्थित है, जिसे संपर्क और व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने के लिए भारत और ईरान द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।
  • भारत क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ाने, विशेष रूप से अफगानिस्तान के साथ संपर्क बेहतर बनाने के लिए इस बंदरगाह परियोजना का समर्थन कर रहा है।
  • इस बंदरगाह को अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (International North-South Transport Corridor-INSTC) परियोजना को लागू करने के लिए एक महत्त्वपूर्ण बिंदु भी माना जाता है।

चाबहार बंदरगाह का महत्त्व

  • चाबहार बंदरगाह, भारत और ईरान दोनों के लिए महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह यूरोप तक माल परिवहन के लिए स्वेज नहर पर उनकी निर्भरता को कम करता है।
  • यह भारत और अफगानिस्तान के बीच पाकिस्तान में प्रवेश किये बगैर संपर्क का वैकल्पिक मार्ग प्रदान करता है।
  • इसे चीन द्वारा विकसित किए जा रहे पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह (Gwadar Port) के लिए भारतीय रणनीतिक जवाब के रूप में देखा जाता है।

INSTC परियोजना के बारे में

  • INSTC परियोजना भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल की ढुलाई के लिए 7,200 किलोमीटर लंबी मल्टीमोड परिवहन परियोजना है।
  • भारत ने टर्मिनल में $85 मिलियन का निवेश करने का वादा किया था साथ ही भारत ने बंदरगाह के संचालन के लिये क्रेन व अन्य उपकरण प्रदान किए थे।

  • चाबहार बंदरगाह विकास योजना: भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह पर विकास को बढ़ावा देने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
    • नया दीर्घकालिक समझौता मूल अनुबंध की जगह लेगा जिसमें केवल चाबहार बंदरगाह के शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल ( Shahid Beheshti Terminal) पर भारत के संचालन को शामिल किया गया था और इसे वार्षिक रूप से नवीनीकृत किया जाता था।
    • नए समझौते की वैधता दस वर्ष की है और यह स्वत: ही विस्तारित हो जाएगा
  • संयुक्त परिवहन समिति का प्रस्ताव:  इससे दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने में मदद मिलेगी।
    • समिति पारगमन क्षमताओं को सक्रिय करने और उत्तर-दक्षिण गलियारे के उपयोग को सक्षम बनाने में सहयोग करेगी।
  • मानवीय दृष्टिकोण से गाजा की स्थिति: भारत ने गाजा की गंभीर स्थिति के बारे में चिंता व्यक्त की, जिसमें नागरिक जीवन, विशेषकर महिलाओं और बच्चों के नुकसान पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • चर्चा के अन्य क्षेत्र: दोनों पक्षों ने आतंकवाद और संगठित अपराध से मुकाबले के लिए अफगानिस्तान में स्थिरता एवं सुरक्षा स्थापित करने के लिए सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित करने के साथ राष्ट्रीय मुद्राओं के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय व्यापार को मजबूत करने जैसे क्षेत्रों पर साझा दृष्टिकोण के महत्त्व पर भी चर्चा की। 

भारत-ईरान द्विपक्षीय संबंध

  • ऐतिहासिक संबंध: भारत और ईरान के संबंधों का इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता के प्राचीन काल से ही मिलता है। उस समय भारत और दक्षिणी ईरान के तट के बीच फारस की खाड़ी और अरब सागर के माध्यम से व्यापार होता था।
  • राजनीतिक आयाम: भारत और ईरान ने 15 मार्च, 1950 को एक मैत्री संधि पर हस्ताक्षर किए थे।
    •  दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित तेहरान घोषणा-पत्र “समान, बहुलवादी और सहकारी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था” (Equitable, Pluralistic and Co-operative International Order) के लिए दोनों देशों के साझा दृष्टिकोण की पुष्टि करता है।
  • भू-रणनीतिक स्थिति: ईरान की अद्वितीय भौगोलिक स्थिति भारत को मध्य एशिया, अफगानिस्तान और यूरेशिया के बाजारों तक पहुँच प्रदान करती है।
    • भारत और ईरान दक्षिण-पश्चिम एशिया में क्षेत्रीय स्थिरता के एक समान रणनीतिक उद्देश्य को साझा करते हैं।
    • भारत हाल ही में ईरान की निंदा करने के लिए अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा लाए  IAEA में गए प्रस्ताव पर मतदान के दौरान अनुपस्थित रहा।
  • आर्थिक संबंध: वर्ष 2022 में भारत और ईरान के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2021 के $1.693 बिलियन से 48% की वृद्धि के साथ $2.5 बिलियन तक पहुँच गया।
    • वर्ष 2022 में, भारत को ईरानी तेल उत्पादों का निर्यात $175 मिलियन था।
    • जुलाई 2022 में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भारतीय रुपये (INR) में निर्यात और आयात के निपटान, बिलिंग और भुगतान के लिए एक प्रणाली शुरू की है।
    • अन्य प्रमुख भारतीय निर्यात: चीनी, मानव निर्मित स्टेपल फाइबर, विद्युत मशीनरी और कृत्रिम आभूषण।
    • ईरान से प्रमुख आयात: सूखे मेवे, रसायन और काँच के बर्तन आदि।
    •  हाल ही में ईरान ने भारत को उन देशों की सूची में शामिल किया है, जिनके नागरिकों को ईरान की यात्रा के लिए वीजा की आवश्यकता नहीं होगी।
  • ऊर्जा सुरक्षा: ईरान गैस भंडार के मामले में विश्व में दूसरे स्थान पर है, जो ईंधन विविधीकरण, डीकार्बोनाइजेशन और वर्ष 2030 तक भारत के ऊर्जा मिश्रण में गैस की हिस्सेदारी बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
  • सांस्कृतिक संबंध: भारतीय सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना वर्ष 2013 में हुई थी और वर्ष 2018 में इसका नाम बदलकर स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र (SVCC) कर दिया गया।
    • हाल ही में भारत ने नई शिक्षा नीति के तहत फारसी को भारत की नौ शास्त्रीय भाषाओं में से एक के रूप में शामिल करने का निर्णय लिया है।

संबंधों में चुनौतियाँ

  • ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध:  भारत ने ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों और ईरान परमाणु समझौते से अमेरिका के हटने के कारण ईरानी तेल का आयात बंद कर दिया था।
    • इसका असर चाबहार परियोजना पर भी पड़ा, हालाँकि यह परियोजना प्रतिबंधों से मुक्त थी।
    • अमेरिकी प्रतिबंधों ने ईरानी तेल निर्यात को प्रभावित किया है और ईरान के दक्षिण-पूर्वी चाबहार बंदरगाह के विकास पर भारत-ईरानी सहयोग में बाधा उत्पन्न की है।
  • चीन की बढ़ती उपस्थिति: चीन ने 25 वर्षीय व्यापक सहयोग समझौते (Comprehensive Co-operation Agreement) पर हस्ताक्षर करके ईरान के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया है।
    • अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद चीन ने ईरान से कच्चे तेल की खरीद जारी रखी है। चीन का अपने समुद्री व्यापार नेटवर्क को विस्तारित करने और वैश्विक  शिपिंग मार्गों तक पहुँच प्राप्त करने का लक्ष्य भारत की आकांक्षाओं के साथ टकराव पैदा कर रहा है।
  • इजरायल: भारत के इजरायल के साथ घनिष्ठ संबंध हैं और यह ईरान के साथ भारत के संबंधों को संतुलित करने के लिए एक चुनौती प्रस्तुत करता है।
    • इजरायल के ईरान के साथ तनावपूर्ण संबंध हैं और भारत तथा ईरान के बीच मौजूदा संबंधों के कारण, इजरायल ने भारत से ईरान को सैन्य उपकरण या प्रौद्योगिकी के संभावित हस्तांतरण के बारे में चिंता व्यक्त की है।
  • सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: हमास, हिजबुल्लाह और हूती विद्रोही समूहों को ईरान का समर्थन प्राप्त है।
    • हूती विद्रोही लाल सागर और अरब सागर में वाणिज्यिक शिपिंग के खिलाफ कामिकाजी (Kamikaze) ड्रोन, मिसाइलों और अन्य हथियारों का उपयोग कर रहे हैं।
    • हाल ही में, कुछ समुद्री आतंकियों द्वारा ईरानी हथियारों का प्रयोग करते हुए द्वारका  (गुजरात) के तट पर एमवी कैंप प्लेटो (MV Camp Plato) नामक एक टैंकर को निशाना बनाया गया, जिससे भारत के लिए समुद्री शिपिंग के समक्ष चुनौतियाँ पैदा हो गई हैं।
  • अफगानिस्तान का मुद्दा: अमेरिका की अफगानिस्तान से वापसी ने भारत की अफगान रणनीति के लिए चुनौतियाँ पैदा कर दी है, जो अपने अफगान हितों के लिए अमेरिका-ईरान सहयोग पर निर्भर थी।

आगे की राह 

  • ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना: भारत को एक संस्थागत ढाँचा स्थापित करने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए और ऊर्जा सुरक्षा की गारंटी के लिए तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत (TAPI) गैस पाइपलाइन परियोजना को आगे बढ़ाने पर जोर देना चाहिए।
    • अमेरिका के एकतरफा प्रतिबंधों से बाहर प्राकृतिक गैस सहयोग पर एक दीर्घकालिक आपूर्ति समझौते को अंतिम रूप दिया जा सकता है।
  • व्यापार बढ़ाना: भारत को द्विपक्षीय व्यापारिक संबंधों को बढ़ाने के लिए ईरानी कृषि उत्पादों पर शुल्कों को कम करने की आवश्यकता है। इसे विशेष आर्थिक तंत्रों, जैसे कि अधिमान्य व्यापार समझौतों (Preferential trade Agreements) पर हस्ताक्षर करके प्राप्त किया जा सकता है।
    • चीन और ईरान के बीच हुए 25 वर्षीय निवेश समझौते के समान भारत को भी एक समझौते को लागू करने पर विचार करना चाहिए।
  • बुनियादी ढाँचा सहयोग: भारत का ईरानी तेल और पेट्रो रसायनों में निवेश, समुद्री मार्गों का विकास और तकनीकी तथा इंजीनियरिंग सेवाओं का निर्यात दोनों देशों के बीच व्यापार के विस्तार को बढ़ावा देगा। 
    • फरजाद बी (Farzad B) जैसे अपतटीय गैस क्षेत्रों और उर्वरक उद्योगों के विकास से भारत तथा ईरान के बीच सहयोग की संभावना है।
    • भारतीय लघु और मध्यम उद्यम (Small &  Medium-Sized Enterprises-SMEs) चाबहार आर्थिक मुक्त क्षेत्र (Economic Free Zone-EFZ) में पेट्रोकेमिकल और उर्वरक संयंत्र स्थापित करने के लिए स्वतंत्र रूप से या ईरानी सार्वजनिक-निजी कंपनियों के साथ संयुक्त उद्यम के माध्यम से निवेश कर सकते हैं।
  • आतंकवाद पर अंकुश: दोनों देशों को आतंकवाद से लड़ने और क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सुरक्षा बनाने के लिए सहयोग करने की आवश्यकता है।
    • पाक-अफगान सीमा क्षेत्र में बढ़ती आतंकवादी गतिविधयों के आलोक में यह और भी महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
  • कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना: भारत और ईरान को रूसी संघ तथा अन्य मध्य एशिया एवं काकेशस (Caucasus) देशों के साथ मिलकर मौजूदा परिवहन गलियारों, विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) को अपग्रेड करने के लिए संयुक्त प्रयासों को बढ़ावा देना चाहिए।
  • बहुपक्षीय मंचों के माध्यम से क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाना: भारत महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा करने के लिए ब्रिक्स (BRICS) और शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organization-SCO) के मंचों का उपयोग कर सकता है।

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