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शक्ति के बिना न्याय (Justice Without Power)

Samsul Ansari January 17, 2024 05:04 171 0

संदर्भ:

  • हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की सर्वोच्च न्यायिक संस्था इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) दक्षिण अफ्रीका द्वारा शुरू किए गए एक मामले की सुनवाई के कारण सुर्खियों में है, जिसमें इज़राइल पर गाजा में नरसंहार करने का आरोप लगाया गया है।
  • हमास के हमले के बाद शुरू हुए इजराइल के हमले में 23,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं और गाजा की 90% आबादी विस्थापित हो गई है, लेकिन इजराइल ने नरसंहार के इन आरोपों को खारिज कर दिया है।

प्रारंभिक परीक्षा की प्रासंगिकता: अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) – महत्व, चुनौतियाँ और आगे की राह।

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के बारे में:

  • स्थापना: दो विश्व युद्धों के रूप में दशकों के अंतर्राष्ट्रीय संघर्षों के बाद जून 1945 में संयुक्त राष्ट्र के चार्टर द्वारा इसकी स्थापना की गई थी
  • अवस्थिति : यह हेग, नीदरलैंड्स के पीस पैलेस(Peace Palace) में स्थित है I
  • न्यायाधीश: न्यायालय में कुल 15 न्यायाधीश हैं जिन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में अलगअलग परन्तु एकसाथ चुनावों के माध्यम से नौ साल के लिए नियुक्त किया जाता है।
    • हालाँकि, तदर्थ न्यायाधीशों को कभीकभी ऐसे मामलों में नियुक्त किया जाता है जिनके लिए संबंधित विवाद के बारे में विशेष ज्ञान की आवश्यकता होती है।
  • क्षेत्राधिकार शक्तियाँ:
    • सलाहकार क्षेत्राधिकार: यह संयुक्त राष्ट्र के अंगों और विशेष एजेंसियों द्वारा संदर्भित मामलों पर कानूनी राय प्रदान करने हेतु न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से संबंधित है।
    • विवादास्पद मामलों में क्षेत्राधिकार: इसमें देशों के मध्य विवादों का निपटारा करना और अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन के संबंध में किए गए अपराधों के लिएराज्य की जिम्मेदारीनिर्धारित करना शामिल है।

 न्यायालय की प्रभावकारिता के साथ चुनौतियाँ:

  • कोई प्रवर्तन शक्तियाँ नहीं: संयुक्त राष्ट्र चार्टर यूएनएससी को अदालत के निर्णयों को लागू करने के लिए अधिकृत करता है। हालाँकि, इसका अनुपालन अक्सर सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों की शक्ति की राजनीति की दया पर निर्भर करता है।
  • इसकी कार्यवाही में शक्तिशाली सदस्य राज्यों की भागीदारी: उदाहरण2022 में रूस के खिलाफ यूक्रेन द्वारा शुरू की गई कार्यवाही में रूस ने अग्रिम प्रस्तुतियाँ देने से इनकार कर दिया था
    • इसी प्रकार , प्रसिद्ध निकारागुआ बनाम यू.एस. मामले में, यू.एस. ने अदालत के अधिकार क्षेत्र के अधीन होने और उसके बाद के फैसले को लागू करने से इनकार कर दिया था
  • धीमी और नौकरशाही प्रक्रिया: न्यायिक प्रक्रियाओं का धीमा होना और नौकरशाही की प्रकृति अक्सर आलोचना का विषय भी रही है।
    • उदाहरण रोहिंग्या शरणार्थियों पर सैन्य कार्रवाई के लिए गाम्बिया द्वारा म्यांमार के खिलाफ दर्ज किया गया 2019 का मामला अभी भी सुनवाई में है।
    • नरसंहार कन्वेंशन से जुड़े दो पूर्व मामलों, क्रोएशिया बनाम सर्बिया और बोस्निया और हर्जेगोविना बनाम सर्बिया और मोंटेनेग्रो, को भी हल करने में एक दशक से अधिक समय लगा

न्यायालय की प्रासंगिकता:

  • क्षेत्राधिकार का विस्तार: कई वर्षों से राज्यों द्वारा मानवाधिकार, पर्यावरण संबंधी मुद्दों और विवाद निपटान जैसे विविध अंतरराष्ट्रीय मामलों के लिए ICJ से संपर्क किया जाता रहा है।
    • उदाहरण: रोमानिया ने हाल ही में अदालत के अधिकार क्षेत्र के समर्थन में एक घोषणा की है जिसमें अब तक 30 से अधिक राज्य शामिल हो चुके हैं।
  • सफल क्षतिपूर्ति: कई क्षतिपूर्ति संबंधित प्रमुख फैसलों का भी संबंधित पक्षों द्वारा पालन किया गया है।
    • उदाहरण: डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC) बनाम युगांडा के मामले में, अदालत द्वारा दिए गए अपने 2022 के फैसले में  युगांडा को DRC को कुल $325 मिलियन का भुगतान करने का आदेश दिया था जिसके बाद युगांडा ने फैसले का अनुपालन भी किया था
  • सलाहकारी भूमिका: न्यायालय ने संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान को आगे बढ़ाने और राजनयिक प्रयासों का समर्थन करने में भी बहुत बड़ी भूमिका निभाई है।
    • उदाहरण: 1996 मेंपरमाणु हथियारों के उपयोग की वैधता‘, और 2004 में कानूनी परिणाम के फलस्वरूपकब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र में एक दीवार का निर्माण

निष्कर्ष:

  • नई अदालतों और न्यायाधिकरणों के उद्भव के बावजूद आईसीजे अंतरराष्ट्रीय न्यायिक निर्णय में एक विशिष्ट स्थान बनाने में सक्षम रहा है। 
  • हालाँकि, विभिन्न न्यायिक निकायों के विरोधाभासी फैसलों के कारण अंतर्राष्ट्रीय कानून के संभावित विखंडन के बारे में भी चिंताएँ बढ़ी हैं।
  • एक विकेन्द्रीकृत न्यायपालिका के अनुपालन का अब समय गया है जिससे न्यायिक स्वतंत्रता को और अधिक बढ़ावा मिल सकेगा क्योंकि सदा से अंतरराष्ट्रीय कानून ही विश्व के हितों की रक्षा के लिए अंतिम उपाय के रूप में कार्य करता रहा है।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न : वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं के मद्देनज़र अंतर्राष्ट्रीय न्यायलय की प्रासंगिकता और उसकी प्रभावकारिता के मध्य आने वाली बाधाओं का वर्णन कीजिये I

                                                                                                                                              News Source: The Hindu

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