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आंध्र प्रदेश में जाति जनगणना की शुरुआत (Caste census begins in Andhra Pradesh)

Samsul Ansari January 22, 2024 01:34 165 0

संदर्भ

आंध्र प्रदेश सरकार ने लोगों का जाति-आधारित व्यापक डेटाबेस तैयार करने के लिए 10 दिवसीय ‘जाति सर्वेक्षण’ शुरू किया है।

संबंधित तथ्य

  • कार्यप्रणाली और सत्यापन प्रक्रिया: नागरिकों की जानकारी को सत्यापित करने और सही करने में ग्राम सचिवालय प्रणाली की भूमिका पर जोर देते हुए, वालंटियर जाति संबंधी विवरण एकत्र करने के लिए प्रत्येक घर का दौरा करेंगे।
  • जाति जनगणना करने वाला यह दूसरा राज्य: जाति जनगणना करने वाला आंध्र प्रदेश बिहार के बाद दूसरा राज्य है।
  • जाति जनगणना का पैमाना और कवरेज: जाति सर्वेक्षण के व्यापक कवरेज के लिए वालंटियर, ग्राम सचिवालय कर्मचारियों और ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों में लाखों परिवारों को शामिल किया गया है।
  • उद्देश्य और कल्याणकारी लक्ष्य: उन जातियों की कल्याणकारी संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करना, जिन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। समावेशी शासन और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने में जाति जनगणना का अधिक महत्त्व है।

जाति जनगणना के विषय में

  • जाति जनगणना का अर्थ ‘भारत की जनसंख्या का जातिवार सारिणीकरण करना शामिल है।
  • भारत ने वर्ष 1951 से 2011 तक केवल अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के जाति आँकड़ों की गणना और प्रकाशन किया है।
  • जाति जनगणना की माँग: पहले इसमें निचली और मध्यवर्ती जातियों की आबादी के बारे में जानकारी शामिल नहीं थी, जिन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के रूप में जाना जाता है, जो आबादी का लगभग 52% हिस्सा हैं।
  • इसके चलते ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आबादी के बारे में डेटा इकट्ठा करने के लिए एक अलग जनगणना की माँग उठने लगी है।
  • इससे पहले अंतिम बार जाति जनगणना वर्ष 1931 में आयोजित की गई थी, जो मंडल आयोग के तहत आरक्षण सीमा का आधार बना था।
  • वर्ष 2011 की जनगणना के लिए जाति संबंधी आँकड़े एकत्र किए गए थे लेकिन ये आँकड़े कभी सार्वजनिक नहीं किए गए थे।

जनगणना और सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना के बीच अंतर

अंतर जनगणना सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (Socio Economic Caste Census- SECC)
कानूनी आधार जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत आयोजित किया गया था। किसी विशिष्ट अधिनियम के तहत आयोजित नहीं किया गया था।
डेटा की गोपनीयता व्यक्तिगत डेटा गोपनीय है। परिवारों को लाभ आवंटन/प्रतिबंध के लिए सरकारी विभागों द्वारा व्यक्तिगत जानकारी उपयोग के लिए उपलब्ध है ।
अवधि प्रत्येक 10 वर्ष में आयोजित की जाती है (उदाहरण के लिए 2011) अंतिम सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC) वर्ष 2011 में आयोजित किया गया था
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भारत में पहली समकालिक जनगणना 1881 ईसवी में हुई। पहली सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC) वर्ष 1931 में और बाद में वर्ष 2011 में आयोजित की गई थी।

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