100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

ED और राज्य सरकारों के बीच विवाद (Dispute between ED and state governments)

Samsul Ansari February 02, 2024 04:42 211 0

संदर्भ

उच्चतम न्यायलय ने प्रवर्तन निदेशालय (Directorate of Enforcement- ED) द्वारा की जा रही जाँचों में राजनीतिक प्रतिशोध संबंधी भावना का पता लगाने के लिए उचित कार्यप्रणाली के निर्माण पर बल दिया है।

संबंधित तथ्य 

  • अखिल भारतीय कार्यप्रणाली: उच्चतम न्यायलय ने राज्य सरकारों और प्रवर्तन निदेशालय के बीच राजनीतिक विवादों को सुलझाने के लिए अखिल भारतीय कार्यप्रणाली के निर्माण का सुझाव दिया है, ताकि मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार संबंधी अपराधों की निष्पक्ष जाँच में बाधाओं का सामना ना करना पड़े।
    • उदाहरण के रूप में भ्रष्टाचार के मामलों की जाँच के दौरान तमिलनाडु सरकार और प्रवर्तन निदेशालय (ED) के मध्य विवाद उत्पन्न हुआ था।
  • संतुलित दृष्टिकोण: उच्चतम न्यायालय की पीठ ने राज्यों एवं केंद्रीय संस्थाओं के बीच जारी संघर्षों के संबंध में चिंता व्यक्त की है तथा प्रतिशोधात्मक कार्रवाइयों को रोकने के लिए संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) 

  • उद्देश्य: इसका गठन वर्ष 1956 में मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act- PMLA), भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम (Fugitive Economic Offenders Act), विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (Foreign Exchange Management Act) और विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (Foreign Exchange Regulation Act) के तहत आर्थिक अपराधों की जाँच के लिए किया गया था।
  • यह केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है|
  • मुख्यालय: नई दिल्ली

शक्तियाँ

  • समन जारी करना: समन जारी होने की स्थिति में व्यक्ति का भौतिक रूप से उपस्थित होना  अनिवार्य है तथा आवश्यक दस्तावेज को जमा करने के साथ पूछताछ का भी सामना करना पड़ता है।
  • हिरासत: जाँच के दौरान वैध कारणों का हवाला देकर किसी प्रकार के रिकॉर्ड या संपत्ति को 180 दिनों तक हिरासत में रखा जा सकता है।
  • इसके अंतर्गत निम्नलिखित अधिनियम लागू होते हैं-
    • मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, 2000 (Prevention of Money Laundering Act, PMLA): यह एक आपराधिक कानून है, जिसका उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना, जाँच करना, संबंधित संपत्तियों का पता लगाना, अभियोग दायर करना, संपत्तियों की जब्ती करना आदि है।
    • विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (Foreign Exchange Management Act- FEMA): यह भारत के विदेशी व्यापार और भुगतान से संबंधित नियमों को नियंत्रित करने वाला एक नागरिक कानून (CIVIL LAW) है।
    • भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 (Fugitive Economic Offenders Act, FEOA): इस अधिनियम के तहत प्रवर्तन निदेशालय को आर्थिक भगौड़ों की संपत्तियों को जब्त करने का अधिकार दिया गया है ताकि देश के आर्थिक हितों की रक्षा हो सके।
    • विदेशी मुद्रा संरक्षण और तस्करी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम, 1974 (Conservation of Foreign Exchange and Prevention of Smuggling Activities Act- COFEPOSA) के तहत FEMA के उल्लंघन से संबंधित मामलों की जाँच के लिए प्रवर्तन निदेशालय को अधिकृत किया गया है।

चुनौतियाँ

  • शक्तियों का दुरुपयोग: प्रवर्तन निदेशालय अपने अप्रतिबंधित अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए राज्य सरकार की पूर्व अनुमति के बिना राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों पर मुकदमा चला रही है, जिसके कारण उसे आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
    • प्रारंभ में मादक पदार्थों की तस्करी पर केंद्रित ‘मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम’ के तहत छोटे अपराधों में भी कारवाई की जा रही है, जिसकी आलोचना हो रही है।
  • अपारदर्शी कार्यप्रणाली: प्रवर्तन निदेशालय द्वारा केवल विपक्षी दलों से संबंधित मामलों में की जा रही कारवाईयों से संस्था की अपारदर्शी कार्यप्रणाली का पता चलता है।
  • आरोप सिद्ध करने में असफलता: संस्था द्वारा दर्ज कम ही मामलों में आरोप सिद्ध हो पाते हैं जिसके कारण संस्था को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। वर्ष 2005 और 2013-14 के बीच कोई भी आरोप सिद्ध नहीं हो पाया तथा 2014-15 से 2021-22 के बीच दर्ज 888 मामलों में से केवल 23 मामलों में आरोप सिद्ध हुए हैं।
  • राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोप: प्रवर्तन निदेशालय को राजनीतिक हस्तक्षेप, सत्तारूढ़ दल पर कारवाई न करने, विपक्षी दलों के साथ पक्षपातपूर्ण व्यवहार, पूर्वाग्रह और उनके कार्यप्रणाली में स्वतंत्रता की कमी आदि आरोपों का सामना करना पड़ रहा है।
  • संसाधन की कमी: प्रवर्तन निदेशालय का बजट बहुत कम है, जिससे आर्थिक अपराधों की गहन जाँच और मुकदमा चलाने की उसकी क्षमता सीमित हो जाती है।
  • अंतर-संस्थागत सहयोग चुनौतियाँ: प्रवर्तन निदेशालय को राज्य पुलिस और केंद्रीय अन्वेषण अभिकरण (CBI) सहित अन्य कानून प्रवर्तन संस्थाओं से सहयोग प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
आधार  प्रवर्तन निदेशालय (ED)  राज्य पुलिस 
क्षेत्राधिकार प्रवर्तन निदेशालय राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत एक विशेष कानून प्रवर्तन संस्था के रूप में कार्य करता है। राज्य पुलिस अपनी-अपनी राज्य सरकारों के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करती है।
कार्य  प्रवर्तन निदेशालय का प्राथमिक कार्य PMLA और FEMA के तहत मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी मुद्रा उल्लंघन से संबंधित मामलों पर संज्ञान लेना तथा आर्थिक कानूनों को लागू करना है। राज्य पुलिस का कार्य कानून व्यवस्था बनाए रखना, अपराधों को रोकना, उनका पता लगाना और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करना आदि है, क्योंकि पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था को भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में राज्य के विषय के अंतर्गत रखा गया है।
जाँच- पड़ताल  प्रवर्तन निदेशालय आर्थिक अपराधों, वित्तीय घोटालों, मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी मुद्रा उल्लंघन से संबंधित मामलों की जाँच करता है, जिसका उद्देश्य अपराध में सहायक आय का पता लगाना, उसे पहचानना तथा जब्त करना है। राज्य पुलिस चोरी, डकैती, हमला, हत्या, अपहरण, मादक पदार्थों की तस्करी और भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code- IPC) एवं संबंधित राज्य में उल्लिखित अन्य अपराधों की जाँच करती है।
मामलों का पंजीकरण प्रवर्तन निदेशालय जाँच प्रक्रियाओं के बाद समन जारी करते हैं, लेकिन वे स्वतंत्र रूप से मामला दर्ज नहीं कर सकते हैं। इसके बजाय वे अपराध दर्ज करने के लिए CBI या राज्य पुलिस जैसी संस्थाओं पर निर्भर हैं, जिसके रिपोर्ट के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय मामला दर्ज करता है। दूसरी ओर, राज्य पुलिस न्यायालय के आदेशों की आवश्यकता के बिना संज्ञेय मामलों में स्वतंत्र रूप से जाँच शुरू कर सकती है।
बयान की स्वीकार्यता  मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के प्रावधान पुलिस की तुलना में प्रवर्तन निदेशालय को अधिक शक्ति प्रदान करते हैं। PMLA के तहत, एक जाँच अधिकारी के समक्ष दिया गया बयान न्यायालय में साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य होता है। किसी अभियुक्त द्वारा पुलिस को दिया गया बयान आमतौर पर न्यायालय में साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य नहीं होता है।

आगे की राह 

  • राजनीतिक उद्देश्यों से दूरी बनाना: प्रवर्तन निदेशालय (ED) को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए अपनी व्यापक शक्तियों के दुरुपयोग से बचना चाहिए।
  • मामलों की त्वरित और निष्पक्ष जाँच: प्रवर्तन निदेशालय की जाँच प्रक्रिया द्वेषपूर्ण नहीं होनी चाहिए तथा मामलों के त्वरित जाँच एवं सजा के लिए समाधान की आवश्यकता है।
  • प्रणालीगत सुधारों पर जोर: प्रवर्तन निदेशालय को प्रणालीगत सुधारों की आवश्यकता पर जोर देते हुए त्वरित कार्यवाही और निष्पक्षता के बीच संतुलन बनाना होगा।
  • प्रामाणिकता की स्थापना: प्रवर्तन निदेशालय का लक्ष्य जाँच और न्यायालयी प्रक्रियाओं में तेजी लाकर अपनी प्रामाणिकता को स्थापित करना है।

निष्कर्ष

प्रमुख जाँच संस्थानों की विश्वसनीयता की समीक्षा की जा रही है। भ्रष्टाचार संबंधी मामलों की जाँच प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता के लिए निर्णय लेने वाले अधिकारियों के बीच सहयोग की आवश्यकता होती है। उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रवर्तन निदेशालय और राज्य सरकारों के मध्य संघर्ष के संबंध में एक ‘स्क्रीनिंग’ प्रक्रिया की वकालत करने को एक सकारात्मक पहल के रूप में देखा जा रहा है, जिससे कथित या वास्तविक राजनीतिक प्रतिशोध की घटनाएँ कम हो सकती हैं

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.