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नागरिकता अधिनियम की धारा 6A (Section 6 A of the Citizenship Act)

Lokesh Pal December 07, 2023 05:53 164 0

संदर्भ

  • भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पाँच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने नागरिकता अधिनियम की धारा 6A की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की फिर से शुरू हुई सुनवाई के दौरान मौखिक रूप धारा 6 ए को एक “लाभकारी प्रावधान” बताया है।

नागरिकता अधिनियम की धारा 6A 

  • नागरिकता अधिनियम की धारा 6A के अनुसार, जो लोग 1 जनवरी, 1966 और 25 मार्च, 1971 के बीच भारत में आए और असम में रह रहे हैं, उन्हें खुद को नागरिक के रूप में पंजीकृत करने की अनुमति दी जाएगी।
  • धारा 6A के तहत, 1 जनवरी, 1966 से पहले असम में प्रवेश करने वाले और राज्य में “सामान्य रूप से निवासी” रहे विदेशियों के पास भारतीय नागरिकों के सभी अधिकार और दायित्व होंगे। 
    • जिन लोगों ने 1 जनवरी, 1966 और 25 मार्च, 1971 के बीच प्रवेश किया था, उनके पास समान अधिकार और दायित्व होंगे, सिवाय इसके कि वे 10 वर्षों तक मतदान नहीं कर सकेंगे।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • असम समझौते के तहत नागरिकता अधिनियम में धारा 6A को चुनौती के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि ऐसे ऐतिहासिक कारण थे, जिनकी वजह से धारा 6 ए को शामिल किया गया। 
  • अगर संसद केवल अवैध आप्रवासियों के एक समूह को माफी दे देती तो स्थिति अलग होती। 
    • धारा 6 ए उस समय लागू की गई थी जब एक अलग इतिहास था और बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भारत की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी।
  • सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6 A, असम समझौते के तहत आने वाले अप्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने से संबंधित है, आंशिक रूप से 1971 की बांग्लादेश मुक्ति के बाद पूर्वी बंगाल की आबादी पर किए गए अत्याचारों को दूर करने के लिए पेश की गई थी।
    • इसलिए, इसकी तुलना आम तौर पर अवैध आप्रवासियों के लिए माफी योजना से नहीं की जा सकती।

नागरिकता अधिनियम, 1955 

  • भारतीय संविधान का भाग II, अनुच्छेद 5-11, नागरिकता से संबंधित है। हालाँकि, इसके अंतर्गत इस संबंध में कोई स्थायी और कोई विस्तृत प्रावधान नहीं किए गए हैं।
  • यह केवल उन व्यक्तियों की पहचान करता है जो संविधान लागू होते समय (यानी 26 जनवरी, 1950 को) भारत के नागरिक बन गए थे।
  • यह संसद को ऐसे मामलों और नागरिकता से संबंधित किसी भी अन्य मामले के लिए कानून बनाने का अधिकार देता है। 
  • इसी आधार पर संसद ने यह अधिनियम बनाया जो संविधान के लागू होने के बाद भारतीय नागरिकता को ग्रहण करने और निरसन से संबंधित प्रावधान करता है।
  • इस अधिनियम के अंतर्गत पाँच प्रकार से भारतीय नागरिकता ग्रहण करने का प्रावधान किया गया है-,
    • जन्म, 
    • वंश, 
    • पंजीकरण, 
    • देशीयकरण और 
    • क्षेत्र का समावेश।
  • इस अधिनियम में वर्ष 1986, 1992, 2003, 2005, 2015 और 2019 में संशोधन किया गया है। 

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