हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने ओजोन क्षयकारी पदार्थ और जलवायु को गर्म करने वाले रसायन एचसीएफसी 141बी (HCFC 141B) को चरणबद्ध तरीके से सफलतापूर्वक समाप्त कर दिया है और ऐसी अन्य गैस, एचसीएफसी (HCFC) को समाप्त करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु:
यह प्रकाशन अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण प्रतिबद्धताओं के साथ भारत की पहल और तालमेल की अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, जो शीतलन के लिए एक स्थायी और जिम्मेदार दृष्टिकोण की दिशा में देश के प्रयासों को प्रदर्शित करता है।
वार्षिक जलवायु वार्ता COP-28 के इतर एक कार्यक्रम के दौरान पर्यावरण मंत्रालय और यूएनडीपी द्वारा संयुक्त रूप से पर्यावरण मंत्रालय और UNDP द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सहयोग और नवाचार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है।
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP)
एक संयुक्त राष्ट्र संघ का वैश्विक विकास कार्यक्रम है।
यह गरीबी कम करने, आधारभूत ढाँचे के विकास और प्रजातंत्र को प्रोत्साहित करने का काम करता है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम, संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक विकास नेटवर्क का हिस्सा है।
स्थापना: 1965 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा
मुख्यालय: न्यूयॉर्क
UNDP द्वारा प्रकाशन: मानव विकास रिपोर्ट
भारत का प्रदर्शन
भारत ने HCFC के लिए 35 प्रतिशत के लक्ष्य को चरणबद्ध तरीके से पार करते हुए, 44 प्रतिशत की प्रभावशाली कटौती की है।
एचसीएफसी प्रबंधन योजना (HCFC Phase-out Management Plan-HPMP) के द्वितीय चरण में उल्लिखित भारत के सक्रिय उपायों ने वैश्विक जलवायु कार्रवाई के लिए उल्लेखनीय उदाहरण स्थापित किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने ओजोन क्षयकारी और जलवायु को गर्म करने वाले रसायन 1,1-डाइक्लोरो-1-फ्लोरोइथेन (एचसीएफसी-141बी) को सफलतापूर्वक चरणबद्ध तरीके से खत्म कर दिया है और नए उपकरण निर्माण में ऐसी ही एक अन्य गैस हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन को खत्म करने में समय से आगे है।
ई-कचरा प्रबंधन नियमों और विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व (Extended Producer Responsibility-EPR) दिशा-निर्देशों के अनुरूप, एंड-ऑफ़-लाइफ रेफ्रिजरेशन और एयर कंडीशनिंग (Refrigeration and Air Conditioning-RAC) उपकरणों में रेफ्रिजरेंट के अनुपालन प्रबंधन और निपटान के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण और जलवायु शमन के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला।
भारत ने वर्ष 2019 में अर्थव्यवस्था की उत्सर्जन तीव्रता में 33 प्रतिशत की उल्लेखनीय कमी हासिल की है, जो वर्ष 2030 के लिए निर्धारित लक्ष्य को पार कर गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक विकास, प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि, जनसंख्या वृद्धि और शहरीकरण के कारण आवासीय और वाणिज्यिक भवनों, कोल्ड-चेन, प्रशीतन, परिवहन और उद्योगों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में शीतलन के माँग में वृद्धि होगी।
इस एकीकृत दीर्घकालिक दृष्टिकोण ने इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (India Cooling Action Plan) को जन्म दिया है।
इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान
यह बहु-हितधारक पहल सभी क्षेत्रों में प्रयासों को सिंक्रनाइज करने, शीतलन माँग को स्थायी रूप से संबोधित करने और कुशल शीतलन विधियों तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए एक परामर्शी दृष्टिकोण अपनाती है।
इंडिया कूलिंग एक्शन के लक्ष्य है-
वर्ष 2037-38 तक सभी सेक्टरों में कूलिंग की माँग को 20% से 25% तक घटाना।
वर्ष 2037-38 तक रेफ्रिजरेटर की माँग को 25% से 30% तक घटाना।
वर्ष 2037-38 तक कूलिंग एनर्जी की माँग को 25% से 40% तक घटाना।
कूलिंग और उससे जुड़े क्षेत्रों को राष्ट्रीय विज्ञान और तकनीक प्रोग्राम के तहत अनुसंधान के लिए प्रमुख क्षेत्र के रूप में पहचान दिलाना।
स्किल इंडिया मिशन के साथ तालमेल कर वर्ष 2022-23 तक इस क्षेत्र में 1,00,000 सर्विसिंग टेक्निशियन को ट्रेनिंग और सर्टिफिकेट देना। इन कदमों से पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काफी लाभ मिलेगा।
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