भारतीय फार्माकोपिया आयोग (The Indian Pharmacopoeia Commission- IPC) ने डॉक्टर्स और लोगों को दर्द निवारक दवा मेफ्टाल (Meftal) को लेकर सेफ्टी अलर्ट जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि मेफ्टाल के ज्यादा सेवन से DRESS सिंड्रोम जैसी गंभीर एलर्जी प्रतिक्रियाओं को ट्रिगर मिलता है।
मेफ्टाल (Meftal)
मेफ्टाल का प्राथमिक घटक मेफेनैमिक एसिड है, जो मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द के साथ-साथ मासिक धर्म के दर्द को कम करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला दर्द निवारक एजेंट है।
इसके अतिरिक्त, यह गले में खराश, तंत्रिका दर्द और मांसपेशियों में दर्द को कम करने में प्रभावकारिता प्रदर्शित करता है।
संबंधित तथ्य
आयोग द्वारा स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों, रोगियों और उपभोक्ताओं को सलाह दी गई है कि वे उपर्युक्त संदिग्ध दवा के उपयोग से जुड़ी उपर्युक्त एडवर्स ड्रग रिएक्शन्स (एडीआर) की संभावना पर बारीकी से नजर रखें।
इसके अंतर्गत व्यक्तियों को वेबसाइट www.ipc.gov.in पर एक फॉर्म जमा करके या एंड्रॉइड मोबाइल एप्लिकेशन ADR PvPI और PvPI हेल्पलाइन नंबर 1800-180-3024 का उपयोग करके आयोग के भीतर भारतीय फार्माकोविजिलेंस प्रोग्राम (PvPI) के राष्ट्रीय समन्वय केंद्र को सूचित करने की सलाह दी गई है।
PvPI एक सरकारी संगठन है, जो दवाइयों की सुरक्षा से जुड़ी समस्याओं पर काम करता है।
ये दवाइयों के उल्टे असर से जुड़ी घटनाओं की रिपोर्ट लेता है और उसके समाधान के लिए जरूरी कार्रवाई करता है।
भारतीय फार्माकोपिया आयोग की ओर से यह चेतावनी जारी करने का मुख्य कारण, घरों में एक आम दर्द निवारक दवा के रूप में मेफ्टाल का तेजी से होता उपयोग है।
लोग मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए बिना ज्यादा सावधानी के इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।
DRESS सिंड्रोम के बारे में
DRESS सिंड्रोम (Drug Rash with Eosinophilia and Systemic Symptoms) एक एलर्जी रिएक्शन है।
दवाओं के कारण होने वाली ये एलर्जी कई बार घातक साबित होती है।
दवा लेने के बाद 2 से 8 हफ्ते में इस एलर्जी के लक्षण नजर आने लगते हैं।
इसमें बुखार, त्वचा पर लाल चकत्ते, लिम्फैडेनोपैथी, खून संबंधी परेशानी और कई बार अंदरूनी अंग भी प्रभावित हो सकते हैं।
विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, DRESS सिंड्रोम की अनुमानित मृत्यु दर लगभग 10% है और यह काफी जीवन-घातक जोखिम पैदा करता है।
भारतीय फार्माकोपिया आयोग (IPC)
यह भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली स्वायत्त संस्था है।
इसका मूल कार्य नियमित रूप से इस क्षेत्र में प्रचलित रोगों के उपचार के लिए आवश्यक दवाओं के मानकों को अद्यतन करना है।
यह आयोग 1 जनवरी, 2009 से एक स्वायत्त निकाय के रूप में कार्य कर रहा है।
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