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ब्लू इकोनॉमी (नीली अर्थव्यवस्था) 2.0

Lokesh Pal February 03, 2024 06:57 220 0

संदर्भ

हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत अंतरिम बजट 2024-25 में ‘ब्लू इकोनॉमी’ (नीली अर्थव्यवस्था-Blue Economy) को बढ़ावा देने के माध्यम से पर्यावरण-अनुकूल विकास पर जोर दिया गया।

संबंधित तथ्य

  • G20 शिखर सम्मेलन के मेजबान के रूप में भारत ने नीली अर्थव्यवस्था पर चर्चा को प्राथमिकता दी।
  • भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने जून 2023 में सदस्य देशों के सर्वोच्च लेखा परीक्षा संस्थानों (SAls) के लिए ‘एंगेजमेंट ग्रुप’ की अध्यक्षता की, जिसमें दो प्राथमिकताएँ ‘ब्लू इकोनॉमी’ और ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ थीं।

 ‘ब्लू इकोनॉमी’

  • ‘ब्लू इकोनॉमी’ की अवधारणा को गुंटर पॉली ने अपनी वर्ष 2010 की पुस्तक ‘द ब्लू इकोनॉमी: 10 इयर्स, 100 इनोवेशंस, 100 मिलियन जॉब्स’ में प्रस्तुत किया था।
  • विश्व बैंक के अनुसार, ‘ब्लू इकोनॉमी’ ‘समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को संरक्षित करते हुए आर्थिक विकास, बेहतर आजीविका और नौकरियों के लिए समुद्री संसाधनों का सतत् उपयोग’ है।
  • जलीय कृषि: एक व्यापक शब्द जो जलीय पौधों और जंतुओं की कृषि को संदर्भित करता है।
  • समुद्री कृषि: इसका तात्पर्य खारे पानी में समुद्री जीवों के पालन और संचयन से है।

अंतरिम बजट 2024-25 में ‘ब्लू इकोनॉमी’ 2.0

  • नवीनीकरण और अनुकूलन: नवीनीकरण और अनुकूलन उपायों तथा एकीकृत एवं बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण के साथ तटीय जलीय कृषि व समुद्री कृषि के लिए एक योजना शुरू की जाएगी।
  • एकीकृत एक्वा पार्क: पाँच एकीकृत एक्वा पार्क की स्थापना की भी घोषणा की गई है।
  • प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY): निर्यात को दोगुना कर 1 लाख करोड़ रुपये करने और 55 लाख रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए PMMSY में वृद्धि की जाएगी।

भारत की ‘ब्लू इकोनॉमी’ पर नीतिगत ढाँचा

  • भारत की नीली अर्थव्यवस्था पर एक मसौदा नीति रूपरेखा पहली बार जुलाई 2022 में जारी की गई थी।
  • केंद्रित क्षेत्र: विनिर्माण, उभरते उद्योग, व्यापार, प्रौद्योगिकी, सेवाएँ और कौशल विकास, रसद, बुनियादी ढाँचा तथा शिपिंग, तटीय एवं गहरे समुद्र में खनन व अपतटीय ऊर्जा एवं सुरक्षा, रणनीतिक आयाम और अंतरराष्ट्रीय जुड़ाव।
  • सिफारिशें: इसमें ब्लू इकोनॉमी और महासागरीय प्रशासन, तटीय समुद्री स्थानिक योजना, पर्यटन प्राथमिकता, समुद्री मत्स्यपालन, जलीय कृषि और मत्स्य प्रसंस्करण के लिए राष्ट्रीय लेखा ढाँचे से संबंधित प्रमुख सिफारिशें शामिल थीं।

ब्लू इकोनॉमी के संदर्भ में भारत द्वारा उठाए गए कदम

  • डीप ओशन मिशन (Deep Ocean Mission): इसे भारत के समुद्री बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा देने और गहरे महासागरों से जीवित और गैर-जीवित संसाधनों का दोहन करने के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था।
  • ब्लू इकोनॉमी विजन 2025 (Blue Economy Vision 2025): यह ‘इंडिया इंक’ और अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के लिए व्यावसायिक संभावनाओं, समुद्री संसाधनों के दोहन की स्थिरता पर बढ़ते वैश्विक और क्षेत्रीय कार्यों के बारे में जागरूक करने के लिए फिक्की का एक अग्रणी प्रयास है।
  • भारत की राष्ट्रीय मत्स्यपालन नीति: यह समुद्री और अन्य जलीय संसाधनों से मत्स्य संपदा के सतत् उपयोग पर केंद्रित है।
  • सागरमाला परियोजना: यह बंदरगाहों के आधुनिकीकरण के लिए IT सक्षम सेवाओं के व्यापक उपयोग के माध्यम से बंदरगाह के नेतृत्व वाले विकास के लिए रणनीतिक पहल है।
  • O-स्मार्ट (O-SMART): इसका उद्देश्य सतत विकास के लिए महासागरों, समुद्री संसाधनों का विनियमित उपयोग करना है।
  • एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन: यह तटीय और समुद्री संसाधनों के संरक्षण और तटीय समुदायों के लिए आजीविका के अवसरों में सुधार आदि पर केंद्रित है।
  • सतत् विकास के लिए ब्लू इकोनॉमी (नीली अर्थव्यवस्था) पर भारत-नॉर्वे टास्क फोर्स: वर्ष 2020 में दोनों देशों ने संयुक्त पहल को विकसित करने और उसका पालन करने के लिए प्रारंभ किया।

भारत की ब्लू इकोनॉमी (नीली अर्थव्यवस्था) का महत्व

  • अत्यधिक लाभदायक: एक स्थायी समुद्री अर्थव्यवस्था के लिए उच्च-स्तरीय पैनल द्वारा किए गए शोध के अनुसार, प्रमुख समुद्री गतिविधियों में निवेश पर प्रायः पाँच गुना अधिक रिटर्न मिलता है, ।
  • भारत की ब्लू इकोनॉमी (नीली अर्थव्यवस्था) परिवहन के माध्यम से देश के 95% व्यापार का समर्थन करती है और इसके सकल घरेलू उत्पाद में अनुमानित 4% का योगदान देती है।
  • SDG की उपलब्धि: यह संयुक्त राष्ट्र के सभी सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs)  विशेष रूप से SDG14 ‘जल के नीचे जीवन’ का समर्थन करता है।
  • सतत् ऊर्जा: नवीकरणीय ऊर्जा की बढ़ती माँग का समर्थन करते हुए, अपतटीय क्षेत्रों में अपतटीय हवा, लहरों और समुद्री धाराओं के रूप में जबरदस्त क्षमता है।

भारत की ब्लू इकोनॉमी (नीली अर्थव्यवस्था) के लिए चुनौतियाँ

  • ऋण और आधुनिक तकनीक तक पहुँच की कमी के साथ वर्तमान मत्स्यन उद्योग ब्लू इकोनॉमी (नीली अर्थव्यवस्था) के विकास में बाधा डालता है।
  • जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाएँ समुद्र के स्तर में वृद्धि, समुद्र की अम्लता में वृद्धि आदि जैसे महत्त्वपूर्ण खतरे पैदा करती हैं।
  • अपशिष्ट और प्रदूषण जैसे समुद्री अपशिष्ट, रासायनिक प्रदूषक और अनुपचारित सीवेज।
  • तेल रिसाव के माध्यम से आक्रामक प्रजातियाँ समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित कर सकती हैं और स्वदेशी प्रजातियों तथा उद्योगों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।
  • अपर्याप्त रखरखाव बुनियादी ढाँचे, अकुशल संचालन और कार्गो की उच्च मात्रा के कारण बंदरगाहों पर भीड़भाड़ होती है, जिससे देरी होती है तथा लागत में वृद्धि होती है।

निष्कर्ष

भारत के विशाल समुद्री हितों के साथ, नीली अर्थव्यवस्था भारत की आर्थिक वृद्धि, रोजगार सृजन, समानता और पर्यावरण की सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। समुद्री पर्यावरण की स्थिरता को बनाए रखते हुए इसकी सर्वोत्तम क्षमता हासिल करने का यह सही समय है।

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