हाल ही में मौसम विज्ञानियों ने बताया कि ‘ऐट्मॉस्फेरिक रीवर्स’ (Atmospheric Rivers) की एक शृंखला के कारण उत्तरी अमेरिका के कैलिफोर्निया एवं वेस्ट कोस्ट के अन्य हिस्सों में हुई भारी वर्षा हुई।
राष्ट्रीय मौसम सेवा ने दक्षिणी कैलिफोर्निया के तटीय और घाटी क्षेत्रों में 6 इंच (15 सेंटीमीटर) तक वर्षा होने का अनुमान लगाया है, जबकि तलहटी तथा पहाड़ों में 12 इंच (31 सेंटीमीटर) तक वर्षा होने की संभावना है।
‘ऐट्मॉस्फेरिक रीवर्स’ के बारे में
‘ऐट्मॉस्फेरिक रीवर्स’ वायुमंडल में नमी की लंबी, संकरी पट्टी होती है, जो उष्ण कटिबंध से उच्च अक्षांश तक विस्तृत होती है।
जब इन नदियों द्वारा लाई गई नमी तट तक पहुँचती है और अंतर्देशीय हो जाती है तथा यह पर्वतों पर ऊँचाई पर पहुँचती है परिणामतः वर्षा एवं हिमपात होता है।
सामान्य तौर पर, ये उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों की गर्म, आर्द्र वायु से जलवाष्प ग्रहण कर लेती हैं और ठंडे क्षेत्रों में वर्षा या हिम के रूप में स्थल पर जल गिरा देती हैं।
ये लगभग 250 से 375 मील चौड़ी और 1,000 मील से अधिक लंबी हो सकती हैं। भूमि पर नदियाँ आमतौर पर नीचे की ओर बहती हैं; जबकि ये नदियाँ प्रवाहित वायु की दिशा में बहती हैं।
‘ऐट्मास्फेरिक रीवर्स’ का निर्माण कैसे होता है?
इन नदियों का उद्भव आमतौर पर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों से होता है। उस क्षेत्र के गर्म तापमान के कारण समुद्री जल वाष्पित होता है और वातावरण में ऊपर की ओर उठता है। इस जलवाष्प को तीव्र पवनें वायुमंडल में ले जाने में मदद करती हैं। जैसे ही ये नदियाँ स्थल पर पहुँचती हैं, जलवाष्प वायुमंडल में और ऊपर उठ जाती है। फिर यह जल की छोटी बूँदों के रूप में ठंडा हो जाता है, जो वर्षा के रूप में स्थल पर गिरती हैं।
‘पाइनएप्पल एक्सप्रेस’ (Pineapple Express) नामक एक प्रसिद्ध ‘ऐट्मॉस्फेरिक रीवर’ हवाई द्वीप के पास गर्म, आर्द्र वायु को ऊपर उठाती है। जब ‘पाइनएप्पल एक्सप्रेस’ नामक ‘ऐट्मॉस्फेरिक रीवर’ पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में भूमि से टकराती है तो इससे भारी वर्षा और हिमपात की संभावना प्रबल हो जाती है।
हालिया वैश्विक घटनाक्रम
पूर्वानुमानकर्ताओं के अनुसार, हाल ही में कैलिफोर्निया में वर्षा एवं चक्रवात की स्थितियों का निर्माण ‘ट्रू पाइनएप्पल एक्सप्रेस’ (True Pineapple Express) के कारण हो रहा है।
कैलिफोर्निया ने संभावित रूप से सबसे खतरनाक चक्रवातीय स्थिति का सामना करने की तैयारी कर ली है, जिससे अगले कुछ दिनों में राज्य के कुछ हिस्सों में चक्रवातीय बलयुक्त संचालित और तट से नीचे की ओर बढ़ने पर बाढ़ और भूस्खलन होने का खतरा पैदा हो गया।
वायुमंडल में ये प्रभाव अक्सर संयुक्त राज्य अमेरिका के ‘वेस्ट कोस्ट’ पर प्रदर्शित होते हैं किंतु संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी हिस्से सहित अन्य स्थानों में भी इनका निर्माण हो सकता है, जहाँ वे अक्सर कैरेबियन सागर से नमी ग्रहण करती हैं।
जब यह नमी स्थल क्षेत्र के संपर्क में आती है तो यह वर्षा या बर्फ के रूप में गिर सकती है। जैसा कि हाल ही में कैलिफोर्निया में वर्षा के रूप में हुआ है, यह वर्षा प्रचुर मात्रा में होती है क्योंकि ये वायुमंडलीय नदियाँ नमी का निरंतर प्रवाह प्रदान करती हैं।
परिणाम
संयुक्त राज्य अमेरिका के तटीय राज्यों में जलापूर्ति ‘ऐट्मॉस्फेरिक रीवर्स’ से संबंधित वर्षा पर अधिक निर्भर करती है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका के ‘वेस्ट कोस्ट’ पर वार्षिक वर्षा का 30-50% हिस्सा कुछ ‘ऐट्मॉस्फेरिक रीवर्स’ के कारण होता है।
किंतु जब ये विशेष रूप से शृंखलाबद्ध होती हैं तो इनके प्रभाव गंभीर हो सकते हैं। जैसे कि कैलिफोर्निया व्यापक बाढ़ से प्रभावित है।
सिंधु-गंगा के मैदानों पर कोहरे व धुंध की तीव्रता को बढ़ावा देने में ‘ऐट्मॉस्फेरिक रीवर’ की भूमिका
भारत में शीत ऋतु के दौरान सिंधु-गंगा के मैदान में कोहरे एवं धुंध में व्यापक वृद्धि देखी जाती है। इसके लिए प्रदूषण के स्तर एवं जलवाष्प में वृद्धि को जिम्मेदार ठहराया जाता है, किंतु बाद के दिनों में कोहरे एवं धुंध में वृद्धि का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है।
शोधकर्ताओं ने उपग्रह एवं पुनर्विश्लेषण डेटा का उपयोग करके ‘अरब सागर से नमी का सिंधु-गंगा के मैदानी (IGP) क्षेत्र में जाने’ का पता लगाने की कोशिश की जिसे ‘ऐट्मॉस्फेरिक रीवर’ (AR) कहा जाता है, जो सर्दियों के दौरान भारत के पश्चिमी तट के 12–25° N कॉरिडोर के साथ रुक-रुक कर पहुँचती हैं।
ये AR सिंधु-गंगा के मैदानी क्षेत्र में जलवाष्प को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं, बदले में ‘एरोसोल-वाटर वेपर इंटरेक्शन’ के माध्यम से कोहरे एवं धुंध की तीव्रता को बढ़ावा मिलता है।
विश्लेषण में पाया गया है कि AR घटनाओं ने IGP पर ‘एयरोसोल ऑप्टिकल डेप्थ’ (AOD) को काफी हद तक बढ़ा दिया है। गौरतलब है कि AOD, एक उपकरण से वायु से भरे एक स्तंभ के भीतर वितरित एरोसोल (जैसे- शहरी धुंध, धुआँ, कण, रेगिस्तान की धूल, समुद्री नमक) की माप है।
हिमालय पर्वतीय क्षेत्र में AR के माध्यम से नमी युक्त पवनों का आरोहण वर्षा में योगदान देता है, जो सर्दियों में पश्चिमी हिमालयी नदियों के चरम प्रवाह में देखी गई वृद्धि की व्याख्या करता है।
परिणामतः ये ARs संभावित रूप से बर्फ के अल्बिडो की गिरावट में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि प्रदूषणयुक्त AR का टकराव हिंदुकुश-काराकोरम-हिमालयी पर्वतीय क्षेत्र से होता है।
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