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Lokesh Pal February 12, 2024 04:33 329 0
हाल ही में उच्चतम न्यायालय में भारतीय संविधान की प्रस्तावना से “पंथनिरपेक्ष” और “समाजवादी” शब्दों को हटाने की माँग करने से संबंधित दो याचिकाओं पर सुनवाई की गई।
विश्लेषकों की राय
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भारतीय धर्मनिरपेक्षता (सकारात्मक धर्मनिरपेक्षता):
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भारतीय संविधान की प्रस्तावना से “समाजवादी” और “पंथनिरपेक्ष” शब्दों को हटाना मूल संवैधानिक मंशा को कायम रखता है। जबकि प्रस्तावना में “समाजवादी” और “पंथनिरपेक्ष” शब्द को बनाए रखना समकालीन मूल्यों को दर्शाता है, स्पष्टता बढ़ाता है और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देता है।
इस प्रकार, यह उच्चतम न्यायालय पर निर्भर है कि वह भारत के संविधान की प्रस्तावना में इन शब्दों को बरकरार रखे या हटा दे।
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