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वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 में संशोधन की माँग

Lokesh Pal February 16, 2024 06:03 161 0

संदर्भ

हाल ही में केरल विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से राज्य में बढ़ते मानव-पशु संघर्ष को संबोधित करने के लिए वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की प्रासंगिक धाराओं में संशोधन करने का आग्रह किया है।

संबंधित तथ्य

क्या हैं माँगें?

  • शिकार से संबंधित धारा में संशोधन की माँग:
    • धारा 11: वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 11 जंगली जानवरों के शिकार को नियंत्रित करती है। धारा के खंड (1)(A) के अनुसार, किसी राज्य का मुख्य वन्यजीव वार्डन (CWLW) यदि संतुष्ट है तो अनुसूची-I में निर्दिष्ट एक जंगली जानवर (स्तनधारी), जो मानव जीवन के लिए खतरनाक बन गया है या विकलांग या रोगग्रस्त हो गया है। ऐसे जानवर के शिकार या हत्या की अनुमति देती है।
    • यह धारा CWLW को ऐसे जंगली जानवर को मारने का आदेश देने की शक्ति देती है, यदि उसे पकड़ने के बाद शांत या स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है।
      • अब केरल सरकार धारा 11 (1) (A) में संशोधन करना चाहती है ताकि CWLW की उपर्युक्त शक्तियों को मुख्य वन संरक्षकों (CCF) को हस्तांतरित किया जा सके।
  • जंगली सूअर/परोपजीवी को हिंसक जानवर  (Vermin) घोषित करने की माँग:
    • केरल सरकार यह भी चाहती है कि केंद्र वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 62 के अनुसार, जंगली सूअर/परोपजीवी को हिंसक जानवर घोषित करे।
    • इस धारा के अनुसार, केंद्र सरकार अधिनियम की अनुसूची II में किसी भी जंगली जानवर को (जो उसे शिकार से बचाता है) किसी क्षेत्र/राज्य में कुछ समय के लिए हिंसक जानवर/परोपजीवी (Vermin) के रूप में अधिसूचित कर सकती है।

हिंसक जानवर/परोपजीवी  (Vermin)

  • किसी जानवर को हिंसक जानवर (Vermin) तब घोषित किया जाता है जब वह जीवन और फसलों के लिए खतरा पैदा करता है।
  • एक बार हिंसक जानवर (Vermin) घोषित होने के बाद जंगली सूअर शिकार से अपनी सुरक्षा खो देगा,
  • इस प्रकार यह संशोधन राज्य और नागरिकों के जीवन और आजीविका को इस प्रजाति के खतरे से बचाने के लिए जंगली सूअर/परोपजीवी की आबादी को मारने में सक्षम बनाया जाएगा।

माँग के कारण

  • मानव-पशु संघर्ष में निरंतर वृद्धि: केरल में हाल के वर्षों में मानव-पशु संघर्ष में लगातार वृद्धि देखी गई है। जंगली जानवरों के हमलों से न केवल जीवन को खतरा है, बल्कि राज्य के कृषि क्षेत्र में भी अत्यधिक नुकसान हुआ है।
    • वर्ष 2022-23 के सरकारी आँकड़ों में 8,873 जंगली जानवरों के हमले दर्ज किए गए, जिनमें से 4,193 जंगली हाथियों द्वारा, 1,524 जंगली सूअरों द्वारा, 193 बाघों द्वारा, 244 तेंदुओं द्वारा और 32 बाइसन द्वारा किए गए थे।

जंगली सूअर/परोपजीवी (Wild boars)

  • जंगली सूअर (वैज्ञानिक नाम- Sus scrofa) यूरेशिया और उत्तरी अफ्रीका के अधिकांश हिस्सों का मूल निवासी है।
  • IUCN रेड लिस्ट: निकट संकटग्रस्त।
  • यह एक आक्रामक प्रजाति है।
  • जंगली सूअर का मनुष्यों के साथ जुड़ाव का एक लंबा इतिहास है, यह अधिकांश घरेलू सुअर की नस्लों का पूर्वज और सहस्राब्दियों से अधिक शिकार वाला जानवर रहा है।

वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972

  • परिचय 
    • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 जंगली जानवरों और पौधों की विभिन्न प्रजातियों के संरक्षण, उनके आवासों के प्रबंधन, जंगली जानवरों, पौधों तथा उनसे बने उत्पादों के व्यापार के विनियमन एवं नियंत्रण के लिए एक कानूनी ढाँचा प्रदान करता है।
    • यह अधिनियम उन पौधों और जानवरों की अनुसूचियों को भी सूचीबद्ध करता है, जिन्हें सरकार द्वारा अलग-अलग स्तर की सुरक्षा प्रदान की जाती है।
  • अधिनियम के अंतर्गत अनुसूचियाँ 
    • अनुसूची-I
      • इसमें उन लुप्तप्राय प्रजातियों को शामिल किया गया है जिन्हें संरक्षण की सर्वाधिक आवश्यकता है।
      • इस अनुसूची के तहत किसी भी कानून के उल्लंघन की स्थिति में व्यक्ति को सबसे कठोर दंड दिया जा सकता है।
      • इस अनुसूची के तहत शामिल प्रजातियों का पूरे भारत में शिकार करने पर प्रतिबंध है, सिवाय ऐसी स्थिति के जब वे मानव जीवन के लिए खतरा हों अथवा वे ऐसी बीमारी से पीड़ित हों, जिससे ठीक होना संभव नहीं है।
    • अनुसूची-II 
      • इस सूची के अंतर्गत आने वाले जानवरों को भी उनके संरक्षण के लिए उच्च सुरक्षा प्रदान की जाती है, जिसमें उनके व्यापार पर प्रतिबंध आदि शामिल हैं।
    • अनुसूची-III IV
      • जानवरों की वे प्रजातियाँ, जो संकटग्रस्त नहीं हैं उन्हें अनुसूची III और IV के अंतर्गत शामिल किया गया है।
      • इसमें प्रतिबंधित शिकार वाली संरक्षित प्रजातियाँ शामिल हैं, लेकिन इन अनूसूचियों के उल्लंघन के लिए दंड पहली दो अनुसूचियों की तुलना में कम है।
    • अनुसूची
      • इस अनुसूची में ऐसे जंतु शामिल हैं, जिन्हें वर्मिन/परोपजीवी कहा जाता है (छोटे जंगली जीव जो रोग का परिसंचरण करते हैं तथा पौधों एवं भोज्य पदार्थों को नष्ट कर देते हैं)। इन जानवरों का शिकार किया जाता है।
    • अनुसूची VI 
      • यह एक निर्दिष्ट पौधों की कृषि में नियमन प्रदान करती है और इस पर स्वामित्व, इसकी बिक्री और परिवहन को नियंत्रित करती है।
      • निर्दिष्ट पौधों की कृषि और व्यापार, दोनों ही प्राधिकारी की पूर्व अनुमति से ही किए जा सकते हैं।

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