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PMLA के तहत आरोपी व्यक्ति की गिरफ्तारी (Person Accused Under PMLA)

Samsul Ansari December 20, 2023 11:53 215 0

संदर्भ

उच्चतम न्यायालय ने एक निर्णय में स्पष्ट किया है कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तारी के समय हिरासत के आधार की प्रति देने की आवश्यकता नहीं है।

संबंधित तथ्य

न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि गिरफ्तारी के आधार की लिखित जानकारी गिरफ्तारी की ‘उचित अवधि’ के अंदर अर्थात् गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर ही प्रदान की जानी चाहिए।

संबंधित मामला

  • यह निर्णय इस बहस के बीच आया है कि गिरफ्तारी के आधार की जानकारी न देना संविधान के अनुच्छेद-22(1) का उल्लंघन है, जो हिरासत में मौजूद किसी भी व्यक्ति के उस मौलिक अधिकार को बरकरार रखता है कि उसे सूचित किया जाए कि उसे क्यों गिरफ्तार किया गया है।

धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA)

  • मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, 2002 (PMLA) मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए भारत द्वारा स्थापित कानूनी ढाँचे का मूल आधार है।
  •  PMLA और उसके तहत अधिसूचित नियम 1 जुलाई, 2005 से लागू हुए। 
  • PMLA और उसके तहत अधिसूचित नियम बैंकिंग कंपनियों, वित्तीय संस्थानों और मध्यस्थों तथा निर्दिष्ट व्यवसाय या पेशेवर व्यक्तियों पर ग्राहकों की पहचान सत्यापित करने, रिकॉर्ड बनाए रखने और ‘वित्तीय आसूचना एकक-भारत’ को जानकारी प्रस्तुत करने का दायित्व प्रदान करते हैं। 
  • PMLA मनी-लॉन्ड्रिंग को रोकने और मनी-लॉन्ड्रिंग से प्राप्त या उसमें शामिल संपत्ति को जब्त करने तथा उससे जुड़े या संबंधित आकस्मिक मामलों के लिए एक अधिनियम है।

क्या था प्रश्न?

  • न्यायालय को यह जाँच करने के लिए कहा गया था कि क्या गिरफ्तारी के आधार वाले दस्तावेज को गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को सौंपने और उस पर उसके समर्थन एवं हस्ताक्षर प्राप्त करने के बाद उसे वापस लेने को गिरफ्तार व्यक्ति द्वारा संबंधित धाराओं को पढ़े जाने के प्रतीक के रूप में माना जायेगा तथा गिरफ्तारी के समय गिरफ्तार व्यक्ति को यह दस्तावेज न दिए जाने की स्थिति में गिरफ्तारी को पीएमएलए, 2002 की धारा 19 के तहत अवैध माना जायेगा? 
  • क्या गिरफ्तारी के समय गिरफ्तार व्यक्ति को इसकी प्रति न देने पर PMLA, 2002 की धारा 19 के तहत गिरफ्तारी अवैध हो जाएगी?

निर्णय

  • न्यायालय ने इसका नकारात्मक जवाब देते हुए अपने निर्णय में कहा, “हमारी राय में गिरफ्तार व्यक्ति को अगर उसकी गिरफ्तारी के समय गिरफ्तारी के आधार के बारे में मौखिक रूप से सूचित या अवगत कराया जाता है एवं उसकी गिरफ्तारी के 24 घंटे के उचित सुविधाजनक और अपेक्षित समय के भीतर गिरफ्तारी के आधार की लिखित जानकारी दी जाती है तो यह न केवल PMLA की धारा 19 बल्कि अनुच्छेद-22(1) का भी पर्याप्त अनुपालन होगा।
  • न्यायालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED द्वारा उनकी गिरफ्तारी की पुष्टि करने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली सुपरटेक के अध्यक्ष राम किशोर अरोड़ा द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए यह निर्णय सुनाया।

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