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‘टचस्क्रीन’ की कार्यप्रणाली (Working of ‘Touch Screen’)

Samsul Ansari December 21, 2023 11:25 236 0

संदर्भ

  • जुलाई 2021 में जर्नल सेंसर्स में प्रकाशित एक समीक्षा के अनुसार, ‘कैपेसिटिव टचस्क्रीन’ (Capacitive Touchscreens)  में बेहतर छवि स्पष्टता, संवेदनशीलता और स्थायित्व होता है।

संबंधित तथ्य

टचस्क्रीन

  • आविष्कार: टचस्क्रीन का आविष्कार ई.ए. जॉनसन नामक एक इंजीनियर ने वर्ष 1965 में ब्रिटेन के मालवर्न में रॉयल राडार प्रतिष्ठान में किया था। 
    • वर्ष 1965 और 1967 में प्रकाशित दो पत्रों में जॉनसन ने अपने आविष्कार की विशिष्टताएँ बताईं कि यह एक कैपेसिटिव डिवाइस है, जो एक उँगली से छूने पर रजिस्टर हो सकती है और इसे मूल रूप से एयर ट्रैफिक कंट्रोल डेटा-प्रोसेसिंग सिस्टम के संदर्भ में प्रस्तुत किया गया था।
  • टचस्क्रीन में तकनीकी सुधार संबंधी कालक्रम
  • इस संबंध में प्रमुख आविष्कार वर्ष 1970 में रेसिस्टिव (प्रतिरोधक) टचस्क्रीन था, जिसका श्रेय जी. सैमुअल हर्स्ट को दिया गया, जो उस समय केंटुकी विश्वविद्यालय से संबंधित थे। इन दो आविष्कारों ने नवप्रवर्तन की एक धारा को जन्म दिया।
    • वर्ष 1982 में टोरंटो विश्वविद्यालय में निमिष मेहता ने एक टचस्क्रीन विकसित की जो एक ही समय में दो स्पर्शों को महसूस कर सकती थी (अर्थात् मल्टीटच)।
    • वर्ष 1983 में अमेरिकी कलाकार मायरोन क्रुएगर ने हाथ के विभिन्न  इशारों को स्क्रीन पर क्रियाओं के रूप में कैद करने का एक तरीका बताया। 
    • ‘बेल लैब्स’ में बॉब बोई ने वर्ष 1984 में पहला पारदर्शी (कैपेसिटिव) मल्टीटच इंटरफेस विकसित करने के लिए मेहता के कार्य में तकनीकी सुधार किया।
    • अब टचस्क्रीन को कंप्यूटर टर्मिनलों के लिए भी अनुकूलित किया जाने लगा।
    • टचस्क्रीन एक पोर्टेबल ईमेल सक्षम डिवाइस के साथ रोजमर्रा के उपयोग में आम होने लगी, जिसे आईबीएम और बेलसाउथ ने वर्ष 1993 में लॉन्च किया था। इस डिवाइस को ‘साइमन’ कहा जाता था, उसके बाद एप्पल का न्यूटन, पाम पायलट PDA, और अन्य PDA (व्यक्तिगत डिजिटल सहायक) सामने आए। 
    • 2000 के दशक की शुरुआत में, इंजीनियरों ने दीवार के आकार के टचस्क्रीन का आविष्कार किया, जिससे कई लोग दूर से भी बातचीत कर सकते थे। 
    • इसके बाद प्रारंभिक टचपैड उँगलियों की गतिविधियों को आभासी दायरे में लाने के लिए मल्टीटच का उपयोग किया गया। साथ ही टचस्क्रीन के कार्य करने के तरीके में विभिन्न सुधार हुए।
    • उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स की दृष्टि से वर्ष 2007 में दो बड़ी सफलताएँ प्राप्त हुई; LG Prada और Apple iPhone बाजार में लाए गए जो कि पहले टचस्क्रीनयुक्त फोन थे।
  • टचस्क्रीन एक सतह है जो दो कार्यों को संबद्ध कर निर्गत उत्पन्न करती है, जैसे-कंप्यूटर के लिए इनपुट प्राप्त करना (जैसे- किसी ऐप पर टैप करना) और आउटपुट प्रदर्शित करना (ऐप लॉन्च करना)। 
    • स्मार्टफोन के अलावा टचस्क्रीन आज ATM मशीनों, विभिन्न घरेलू उपकरणों (टीवी और रेफ्रिजरेटर सहित), ई-रीडर, बिलिंग सिस्टम तथा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों पर भी पाई जाती हैं।

टचस्क्रीन की कार्यप्रणाली

  • दो सबसे सामान्य प्रकार की टचस्क्रीन कैपेसिटिव और रेसिस्टिव (प्रतिरोधक) हैं; अन्य तकनीकें भी हैं। इनमें से कैपेसिटिव टचस्क्रीन का उपयोग स्मार्टफोन और अन्य पोर्टेबल ‘सूचना उपकरणों’ में किया जाता है।
  • कैपेसिटिव टचस्क्रीन कार्यप्रणाली: ऐसी टचस्क्रीन में कैपेसिटर के ग्रिड वाली एक सतह होती है। कैपेसिटर एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जिसमें एक-दूसरे के समानांतर दो प्लेटें होती हैं, जिनके बीच में वायु अंतराल होता है और प्रत्येक प्लेट सर्किट से जुड़ी होती है। 
    • प्लेटें विद्युत आवेश को संगृहीत करती हैं। जब एक उँगली सतह को छूती है, तो पास के संधारित्र से चार्ज की एक अव्यक्त मात्रा तारों के माध्यम से उँगली में प्रवाहित होती है, जिससे उस बिंदु पर विद्युत क्षेत्र विकृत हो जाता है। 
    • स्क्रीन के किनारों पर स्थित सेंसर इस विकृति का पता लगाते हैं और इसे सिग्नल-प्रोसेसर पर रिले करके यह निर्धारित करते हैं कि उँगली ने कहाँ छुआ है। (यही कारण है कि यदि उपयोगकर्ता ने दस्ताने पहने हैं तो कुछ टचस्क्रीन स्पर्श को महसूस नहीं कर सकते हैं।)
  • एक अधिक उपयुक्त युक्ति, जिसे ‘प्रोजेक्टेड कैपेसिटिव’ विधि कहा जाता है, का उपयोग पारस्परिक कैपेसिटेंस आर्किटेक्चर वाले स्मार्टफोन में किया जाता है। यहाँ दो संवाहक परतें होती हैं। प्रत्येक परत में प्रवाहकीय सामग्री की पट्टियाँ होती हैं: एक में पट्टियाँ बाएँ से दाएँ चलती हैं, और दूसरे में ऊपर से नीचे की ओर। 
  • जब दो पट्टियाँ एक-दूसरे को पार करती हैं, तो वे एक संधारित्र का निर्माण करती हैं, और इसकी धारिता का उपयोग यह मापने के लिए किया जाता है कि एक उँगली ने स्क्रीन को कहाँ छुआ है। यह युक्ति एक साथ कई स्पर्शों का पता लगाने में सक्षम है।
  • रेसिस्टिव टचस्क्रीन कार्यप्रणाली: एक रेसिस्टिव टचस्क्रीन, प्रतिरोध का उपयोग करती है। इसमें दो शीट होती हैं तथा दोनों चालक एक छोटे से अंतराल से अलग होते हैं। जब एक उँगली एक शीट को छूती है, तो वह उसे अंतर्निहित शीट को छूने के लिए उस बिंदु पर ले जाती है, जिससे वहाँ धारा प्रवाहित हो जाती है। फिर सेंसर दो शीटों में से एक से जुड़े तारों के ग्रिड से इस विकृति को प्रग्रहित करते हैं और एक प्रोसेसर का उपयोग करके, स्पर्श का बिंदु निर्धारित करते हैं। अन्य टचस्क्रीन प्रौद्योगिकियाँ ऑप्टिकल इनपुट और ध्वनिक तरंगों पर आधारित होती हैं।

टचस्क्रीन संबंधी उपभोक्ता परिदृश्य

वर्ष 2007 से 2013 के बीच उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार में कैपेसिटिव टचस्क्रीन ने रेसिस्टिव टचस्क्रीन को पीछे छोड़ दिया। रेसिस्टिव टचस्क्रीन बनाना सस्ता है और इसे संचालित करने के लिए कम बिजली की आवश्यकता होती है। वहीं कैपेसिटिव टचस्क्रीन में बेहतर छवि स्पष्टता, संवेदनशीलता और स्थायित्व होता है।

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