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उज्जैन और प्रधान मध्याह्न रेखा (Ujjain and the Prime Meridian)

Samsul Ansari December 26, 2023 12:42 301 0

संदर्भ

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि  ‘प्राइम मेरिडियन’ (प्रधान मध्याह्न) को पेरिस और फिर ग्रीनविच (लंदन) में स्थानांतरित करने से लगभग 300 वर्ष पहले विश्व का मानक समय भारत (उज्जैन) द्वारा निर्धारित किया जाता था।

प्रधान मध्याह्न रेखा (प्राइम मेरिडियन)

  • प्रधान मध्याह्न रेखा एक काल्पनिक रेखा है। 
  • इसका मान 0° देशांतर है तथा यहाँ से हम 180° पूर्व या 180° पश्चिम तक गणना करते हैं। प्रमुख याम्योत्तर तथा 180° याम्योत्तर मिलकर पृथ्वी को दो समान भागों, पूर्वी एवं पश्चिमी गोलार्द्ध में विभक्त करती है।
  • प्रधान मध्याह्न रेखा को ग्रीनविच मध्याह्न रेखा भी कहा जाता है। प्रधान मध्याह्न रेखा का मान 0 डिग्री है। प्रधान मध्याह्न रेखा ग्रीनविच, लंदन और इंग्लैंड से गुजरती है।

यह महत्त्वपूर्ण है क्योंकि:

  • यह देशांतर नामक मापन प्रणाली का प्रारंभिक बिंदु है।
  • प्रधान मध्याह्न रेखा का उपयोग विश्व के समय क्षेत्रों के आधार के रूप में भी किया जाता है।

दावे का आधार

मनुष्य द्वारा समय को सटीक रूप से मापने के प्रयास

  • चंद्र दिवस: प्राचीन भारतीयों ने चंद्र दिवस (तिथि) की इकाई का उपयोग करके तिथियाँ दर्ज कीं।
  • सौर कैलेंडर: सौर कैलेंडर का ज्ञान गुप्त काल से संबंधित माना जाता है। 
  • ज्योतिषीय और गणितीय गणनाओं के लिए काफी सटीक माप की आवश्यकता होती है।
  • औद्योगिक क्रांति: औद्योगिक क्रांति तक के समय तक अधिकांश लोग निम्नलिखित घटनाओं को बड़े पैमाने पर समय मापन संबंधी जरूरतों के लिए आवश्यक मानते थे-
    • दिन और रात की प्राकृतिक अवधि, 
    • ऋतुओं का आगमन और गमन। 
    • औद्योगिक क्रांति ने इसे दो प्रकार से प्रभावित किया। 
      • सबसे पहले 18वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तक बेहतर और अधिक सटीक घड़ियों का उत्पादन शुरू हुआ।
      •  आधुनिक कारखानों के आगमन के साथ, न केवल समय महत्त्वपूर्ण हो गया है, बल्कि इसका अधिकतम लाभ उठाना भी महत्त्वपूर्ण हो गया।      

औद्योगिक क्रांति के संदर्भ में इतिहासकार ई. पी थॉम्पसन ने अपनी पुस्तक ‘क्लासिक द मेकिंग ऑफ द इंग्लिश वर्किंग क्लास’ (1963) में लिखा है कि– 

‘’औसत कामकाजी आदमी घड़ी की उत्पादक गति के अधीन अधिक अनुशासित, आरक्षित और व्यवस्थित हो गया।’’

उज्जैन को लेकर दावे का आधार

  • भारतीय खगोल विज्ञान और गणित की विस्मयकारी उपलब्धियाँ: प्राचीन भारतीय खगोल विज्ञान और गणित की विस्मयकारी उपलब्धियाँ उज्जैन पर आधारित दावों को सच्चाई प्रदान करती हैं। 
  • सूर्य सिद्धांत: भारतीय संदर्भ में मानक समय का सबसे पहला निर्धारण चौथी शताब्दी ई.पू. के संस्कृत ग्रंथ सूर्य सिद्धांत से आया है। 
  • जियोग्राफिया: टॉलेमी की जियोग्राफिया रोहिताका (आधुनिक रोहतक) और अवंती (आधुनिक उज्जैन) शहरों से गुजरने वाली एक प्रधान मध्याह्न रेखा का वर्णन करती है।
  • भारत का ग्रीनविच: भारतीय खगोलीय परंपराओं में उज्जैन हमेशा केंद्रीय स्थान पर रहा है, कुछ आधुनिक विद्वान इसे ‘भारत का ग्रीनविच’ कहते हैं (हालाँकि भारतीय मानक समय का उल्लेख मिर्जापुर स्थित वेधशाला के आधार पर किया गया है)।
  • एक प्रसिद्ध वेधशाला: वर्ष 1719 में जयपुर के सवाई राजा जय सिंह ने उज्जैन में एक प्रसिद्ध वेधशाला का निर्माण करवाया, जो उनके शासन काल के दौरान निर्मित की गई पाँच वेधशालाओं में से एक थी।

राष्ट्रीय मानक समय संबंधी अवधारणा की उत्पत्ति

  •  मानकीकरण की आवश्यकता नहीं: औद्योगिक युग के आरंभिक भाग में समय मूलतः स्थानीय ही रहा। 
    • फैक्ट्री और घंटाघर वाले प्रत्येक शहर ने अपना समय निर्धारित किया। इस समय न तो कोई मानकीकरण था और न ही इसकी कोई आवश्यकता थी।
  • सर्वप्रथम आवश्यकता: मानकीकरण की आवश्यकता सर्वप्रथम 19वीं शताब्दी में उत्पन्न हुई
    • क्योंकि रेलवे, स्टीमशिप और टेलीग्राफ जैसे तकनीकी नवाचारों के प्रसार के कारण विश्व परस्पर रूप से अधिक जुड़ गया।
  • ब्रिटिश राज्य: इसके बाद ब्रिटिश साम्राज्य ने मानकीकृत समय को अपनी विशाल विदेशी संपत्ति को नियंत्रित करने, सूचना और परिवहन के प्रसार को आसान बनाने और नियंत्रण बनाए रखने में मदद करने के एक उपकरण के रूप में देखा।
  • विभिन्न देशों की प्रधान मध्याह्न रेखाएँ, जो अस्तित्व में आईं: 
    • फ्रांस की पेरिस मेरिडियन, 
    • जर्मनी की बर्लिन मेरिडियन, 
    • डेनमार्क की कोपेनहेगन मेरिडियन
    • ब्रिटिश की ग्रीनविच मेरिडियन 
    • इन देशों से संबंधित प्रधान मध्याह्न रेखा को उनके संबंधित मानचित्रों में 0° देशांतर के रूप में परिभाषित किया गया था।

राष्ट्रीय से वैश्विक मानक समय की ओर कदम

  • 1870 का दशक: एकल विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त प्रधान मध्याह्न रेखा पर समझौता करने का पहला प्रयास 1870 के दशक में हुआ।
  • 1883: वर्ष 1883 में शिकागो में रेल अधिकारियों का एक सम्मेलन हुआ और ग्रीनविच मीन टाइम को आधार बनाकर उत्तरी अमेरिका में पाँच समय क्षेत्रों के कार्यान्वयन पर सहमति व्यक्त की गई। 
  • 1884: वर्ष 1884 में 26 देशों के प्रतिनिधि वाशिंगटन डीसी में अंतर्राष्ट्रीय मेरिडियन सम्मेलन के दौरान प्राइम मेरिडियन की बहुलता के स्थान पर सभी देशों के लिए एकल प्राइम मेरिडियन को अपनाने की आवश्यकता पर सहमत हुए।
  • ग्रीनविच वेधशाला: ग्रीनविच वेधशाला में पारगमन उपकरण के केंद्र से गुजरने वाली मध्याह्न देशांतर रेखा को प्रारंभिक मध्याह्न रेखा के रूप में अपनाया गया।
  • वर्ष 1983 में IERS रेफरेंस मेरिडियन को अपनाया गया, जो पुराने ग्रीनविच मेरिडियन से 102 मीटर दूर था।

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