केंद्रीय गृह मंत्री ने 10 दिसंबर, 2023 को बिहार के पटना में पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 26वीं बैठक की अध्यक्षता की।
इस बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री और ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।
संबंधित तथ्य:
क्षेत्रीय परिषद की 26वीं बैठक में बिहार सरकार ने केंद्र से राज्य को विशेष श्रेणी का दर्जा देने और वार्षिक बाढ़ क्षति को कम करने के लिए कोसी हाई बाँध का निर्माण करने का भी आग्रह किया।
क्षेत्रीय परिषदें
क्षेत्रीय परिषदों के निर्माण का विचार भारत के प्रथम प्रधान मंत्री, पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा वर्ष 1956 में रखा गया था।
यह सुझाव पंडित नेहरू द्वारा उस समय दिया गया था जब भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के परिणामस्वरूप भाषाई शत्रुता और कड़वाहट हमारे राष्ट्र के मूल ढाँचे को खतरे में डाल रही थी।
पंडित नेहरू के दृष्टिकोण के आलोक में, राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के भाग-III के तहत पाँच क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना की गई थी। इनमें से प्रत्येक क्षेत्रीय परिषद की वर्तमान संरचना इस प्रकार है:
उत्तरी क्षेत्रीय परिषद- हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़।
मध्य क्षेत्रीय परिषद– छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्य।
पूर्वी क्षेत्रीय परिषद- बिहार, झारखंड, ओडिशा, सिक्किम और पश्चिम बंगाल।
पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद– गोवा, गुजरात, महाराष्ट्र राज्य और दमन और दीव एवं दादरा और नगर हवेली केंद्रशासित प्रदेश।
दक्षिणी क्षेत्रीय परिषद– आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु राज्य और केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी।
उत्तर-पूर्वी राज्यों की स्थिति:
उत्तर-पूर्वी राज्य अर्थात (i) असम (ii) अरुणाचल प्रदेश (iii) मणिपुर (iv) त्रिपुरा (v) मिजोरम (vi) मेघालय और (vii) नगालैंड क्षेत्रीय परिषदों में शामिल नहीं हैं और उनकी विशेष समस्याओं की देखभाल उत्तर-पूर्वी परिषद द्वारा की जाती है। उत्तर-पूर्वी परिषद, उत्तर-पूर्वी परिषद अधिनियम, 1972 के तहत स्थापित की गई।
23 दिसंबर, 2002 को अधिसूचित उत्तर-पूर्वी परिषद (संशोधन) अधिनियम, 2002 के माध्यम से सिक्किम राज्य को भी उत्तर-पूर्वी परिषद में शामिल किया गया है।
क्षेत्रीय परिषद की संरचना:
अध्यक्ष – केंद्रीय गृह मंत्री इनमें से प्रत्येक परिषद के अध्यक्ष हैं।
उपाध्यक्ष – प्रत्येक क्षेत्र में शामिल राज्यों के मुख्यमंत्री बारी-बारी से उस क्षेत्र के लिए क्षेत्रीय परिषद के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं, प्रत्येक एक समय में एक वर्ष की अवधि के लिए पद धारण करता है।
सदस्य- प्रत्येक राज्य से राज्यपाल द्वारा नामित मुख्यमंत्री और दो अन्य मंत्री तथा क्षेत्र में शामिल केंद्रशासित प्रदेशों से दो सदस्य।
सलाहकार- प्रत्येक क्षेत्रीय परिषद के लिए योजना आयोग द्वारा नामित एक व्यक्ति, मुख्य सचिव और क्षेत्र में शामिल प्रत्येक राज्य द्वारा नामित एक अन्य अधिकारी/विकास आयुक्त।
जाति सर्वेक्षण के बाद, बिहार सरकार ने सरकारी नौकरियों और संस्थानों में आरक्षण को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया, अतः बिहार सरकार की माँग है कि केंद्र सरकार बढ़े हुए कोटा को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करे ताकि इसे कानूनी जाँच से छूट प्राप्त हो सके।
बैठक में शामिल मुद्दे
क्षेत्रीय परिषद की बैठकों के एजेंडे में राष्ट्रीय महत्त्व के कई मुद्दों को भी शामिल किया गया है। इनमें पोषण अभियान के माध्यम से बच्चों में कुपोषण को समाप्त करना, स्कूली बच्चों की स्कूल छोड़ने की दर को कम करना, त्वरित जाँच के लिए फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (FTSC) का संचालन और महिलाओं तथा बच्चों के खिलाफ बलात्कार के मामलों का त्वरित निपटान शामिल है।
प्रत्येक गाँव के 5 कि.मी. क्षेत्र के भीतर बैंकों/इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक शाखाओं की सुविधा, देश में दो लाख नई प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) का गठन और देश में सभी मौजूदा PACS को सशक्त करना भी शामिल किया गया है।
बैठक में बताया गया कि हाजीपुर-सुगौली नई रेल लाइन परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य लगभग पूरा हो चुका है।
पश्चिम बंगाल के नबद्वीपघाट-नबद्वीपधाम नई रेलवे परियोजना (15 कि.मी.) के लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य भी शुरू हो गया है।
कृष्णानगर-नबद्वीपघाट गेज परिवर्तन (12.2 कि.मी.) के पूर्ण खंड पर काम शुरू कर दिया गया है।
पूर्वी क्षेत्र का महत्त्व:
देश की सांस्कृतिक राजधानी: पूर्वी क्षेत्र, देश की सांस्कृतिक राजधानी होने के साथ-साथ प्राचीन काल से ही कई प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों का केंद्र भी रहा है।
शिक्षा के क्षेत्र में अधिक प्रयोग: गृह मंत्रालय के अनुसार, पूर्वी क्षेत्र में शिक्षा के क्षेत्र में बहुत सारे प्रयोग हुए हैं।
औद्योगिक विकास की नींव रखने वाला क्षेत्र: पूर्वी क्षेत्र ने पूरे देश के औद्योगिक विकास की नींव रखी है।
खनिज संसाधनों और जल से समृद्ध: यह क्षेत्र खनिज संसाधनों और जल से समृद्ध है एवं बिहार, ओडिशा, झारखंड तथा पश्चिम बंगाल जैसे पूर्वी राज्य पूरे देश की जरूरतों के लिए लगभग सभी खनिज संसाधन प्रदान करते हैं।
क्षेत्रीय परिषदों की बैठकों से संबंधित आँकड़े:
जून, 2014 से अब तक पिछले 9 वर्षों में, कोविड-19 महामारी के बावजूद, क्षेत्रीय परिषदों और उनकी स्थायी समितियों की कुल 56 बैठकें हुईं और हर वर्ष औसतन 6.2 बैठकें हुईं।
वर्ष 2023 में अब तक कुल 9 बैठकें हो चुकी हैं जिनमें क्षेत्रीय परिषदों की 4 बैठकें और स्थायी समितियों की 5 बैठकें शामिल हैं।
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