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खाद्य सुरक्षा (Food Security)

Samsul Ansari December 14, 2023 03:20 264 0

सन्दर्भ:

  • दुबई में 2023 का संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में जलवायु संकट के बिगड़ते प्रभाव की चिंताजनक स्थिति पर विचार-विमर्श किया गया।
    • वर्तमान में विश्व जलवायु संकट के कारण बिगड़ते वैश्विक खाद्य संकट को देख रहा है|
    • इस सन्दर्भ में अपनी कृषि प्रणाली को जलवायु-रोधी बनाने में ओडिशा की उपलब्धि समानता और संधारणीयता के आधार पर खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक ओडिशा द्वारा अपनाया गया मॉडल प्रमुखता प्राप्त कर रहा है।

प्रारंभिक परीक्षा: एसडीजी 2, वैश्विक खाद्य कार्यक्रम, योजनाएं, चावल प्रसंस्करण और फसल मौसम निगरानी समूह।

मुख्य परीक्षा: वैश्विक जलवायु परिवर्तन को चुनौती देने के लिए ओडिशा मॉडल का महत्व।

 

वर्तमान की उभरती चिंताएँ:

  • आपदाओं में वृद्धि: आपदाओं के प्रति वर्ष 560 तक बढ़ने का अनुमान है अर्थात प्रति दिन 1.5।
  • खाद्य उत्पादकता में गिरावट: ग्लोबल वार्मिंग के कारण खाद्य उत्पादकता में 21% की गिरावट आने की संभावना है।
  • भुखमरी में वृद्धि: जलवायु परिवर्तन के कारण भुखमरी और कुपोषण में 20% की वृद्धि की संभावना है।

 ओडिशा सरकार द्वारा उठाए गए कदम:

  • विशिष्ट समूहों पर ध्यान: आय बढ़ाने वाली कृषक सहायता फॉर लाइवलीहुड एंड इनकम ऑग्मेंटेशन (KALIA) जैसी योजनाओं के माध्यम से छोटे और सीमांत किसानों के कृषि विकास प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करना।
    • महिलाओं के अनुकूल उपकरणों के साथ बड़े पैमाने पर कृषि मशीनीकरण में निवेश।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग: कृषि की तकनीकों में सुधार और सर्वोत्तम पपद्धतियों के प्रसार के माध्यम से चावल की उत्पादकता में बड़े पैमाने पर वृद्धि।
    • पिछले दो दशकों में, ओडिशा चावल आयातक राज्य बनने के साथ-साथ अपने रिकॉर्ड उच्चतम उत्पादन (13.606 मिलियन टन) स्तर तक पहुँच गया है।
    • कुपोषण से निपटने के लिए चावल के प्रसंस्करण जैसी सामाजिक सुरक्षा पहल।
    • ई-कीट निगरानी और बेहतर जल प्रबंधन के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना।
  • विविधता: फसलों में विविधता लाना और ओडिशा मिलेट्स मिशन जैसी पहल के माध्यम से जलवायु नम्यता को बढ़ावा देना।
    • क्रॉप वेदर वॉच ग्रुप जैसे जमीनी प्रयासों के माध्यम से जलवायु नम्यता का निर्माण।
      • जलवायु नम्यता के प्रति बॉटम-अप दृष्टिकोण विकसित किया जा रहा है।
    • किसानों को जलवायु-नम्य कृषि पद्धतियों में बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण देना।
  • कार्य योजना: कई सुभेद्य क्षेत्रों को कवर करते हुए एक व्यापक जलवायु परिवर्तन कार्य योजना विकसित करना।
    • कृषि-जलवायु परिस्थितियों के आधार पर जिला स्तर पर फसल योजना।
    • एकीकृत कृषि प्रणाली और शून्य बजट प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देना।
    • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों का सुदृढ़ कार्यान्वयन।
    • पोषण सुरक्षा में सुधार के लिए प्रायोगिक आधार पर वैश्विक खाद्य कार्यक्रम के साथ साझेदारी करना।
  • नवाचार के साथ निगरानी: खाद्य उत्पादन और कृषि योजनाओं की लगातार निगरानी और समीक्षा।
    • सार्वजनिक वितरण में बायोमेट्रिक्स लागू करने जैसे खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों में नवाचार।
    • निगरानी से अधिकारियों को चक्रवात, बाढ़ और सूखे जैसी प्रतिकूल मौसम की स्थितियों के दौरान आवश्यक उपाय करने में मदद मिलती है, जो राज्य में अक्सर घटित होते हैं।

 उपलब्धियाँ:

  • कमी से पर्याप्तता की ओर: पहले, कालाहांडी जिले को “भुखमरी की भूमि” के रूप में जाना जाता था, लेकिन अब यह ओडिशा के चावल के कटोरे के रूप में रूपान्तरितहो गया है।
  • लक्षित लक्ष्यों की ओर: सतत विकास लक्ष्य (SDG) 2 के ‘शून्य भुखमरी’ लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ओडिशा की प्रतिबद्धता।

 क्या सीखने की जरूरत है?

  • जिम्मेदारी का अभिविन्यास: योजना में चिन्हित गतिविधियों को लागू करने के लिए विभिन्न विभाग और एजेंसियाँ जिम्मेदार हैं, जिनकी निगरानी मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली एक समिति द्वारा की जा रही है।
  • तर्कसंगत योजना एवं कार्यान्वयन: कृषि-जलवायु क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए फसल योजना का निर्माण जिला स्तर पर संबद्ध विभागों के अधिकारियों द्वारा किया जाता है।
  • लक्षित दृष्टिकोण: एकीकृत पोषक तत्व और कीट प्रबंधन सहित फसल-विशिष्ट तकनीकों में किसानों को प्रशिक्षण देने से खाद्यान्न उत्पादन को बढ़ावा मिला है।

निष्कर्ष:

ओडिशा की रूपांतरकारी यात्रा वैश्विक जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के संदर्भ में अन्य राज्यों और विश्व के लिए एक अद्वितीय विकास मॉडल प्रस्तुत करती है, जो मुख्य रूप से इस पर आधारित है कि कैसे राज्य ने समुदाय-संचालित दृष्टिकोण के माध्यम से कृषि में रूपांतरण करके खाद्य सुरक्षा को मजबूत किया और जलवायु प्रभाव के प्रति प्रतिरोधी बनाया।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न : ओडिशा राज्य द्वारा राज्य की खाद्य सुरक्षा के लिए कृषिगत परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए कौन-कौन सी रणनीतियाँ अपनाई गई ? भारत में खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में कौन-कौन सी चुनौतियाँ व्याप्त हैं? टिपण्णी कीजिए |

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