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भारत-ओमान सहयोग के लिए विजन दस्तावेज (Vision Document for India-Oman Cooperation)

Samsul Ansari December 20, 2023 11:26 240 0

संदर्भ

हाल ही में ओमान के सुल्तान ने भारत का दौरा किया, जो पिछले 26 वर्षों में ओमान से भारत की पहली राजकीय यात्रा थी।

संबंधित तथ्य

  • भारत-ओमान विज़न दस्तावेज: दोनों देशों ने भविष्य के लिए भारत ओमान संयुक्त विजन साझेदारी को अपनाया। यह संयुक्त विजन द्विपक्षीय जुड़ाव के लिए सहयोग मार्ग की परिकल्पना करता है जो प्रधान मंत्री के अमृत काल विजन के तहत भारत के विकास और ओमान के विजन 2040 पर आधारित है।
  • इस दस्तावेज में डिजिटल कनेक्टिविटी, चिकित्सा पर्यटन, समुद्री सुरक्षा, आतिथ्य (Hospitality), कृषि और खाद्य सुरक्षा सहित द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने हेतु साझा महत्त्व के अन्य कई क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
  • मुक्त व्यापार समझौता: दोनों देशों ने एक ‘व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते’ (Comprehensive Economic Partnership Agreement- CEPA) को अंतिम रूप देने पर जोर दिया।
    • CEPA दो देशों के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता है, जो आयात  शुल्क में कटौती और आयातित वस्तुओं के अधिमान्य उपचार के लिए सीमा शुल्क प्रक्रियाओं में पारदर्शिता प्रदान करता है।
  • ओमान-भारत निवेश कोष की तीसरी किश्त: दोनों देशों ने भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देने के लिए $300 मिलियन (लगभग ₹2,500 करोड़) के ओमान-भारत निवेश कोष की तीसरी किश्त की घोषणा की।
    • यह फंड भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और ओमान निवेश प्राधिकरण के बीच 50:50 के संयुक्त उद्यम के रूप में स्थापित किया गया था।
    • इस फंड में निवेश के तीसरे चरण में प्रारंभिक किश्त $100 मिलियन होगी, इसके बाद $200 मिलियन अतिरिक्त दिए जाएँगे।
  • सहयोग समझौते (Cooperation Agreements): दोनों देशों के बीच साझा महत्त्व के कई क्षेत्रों से जुड़े समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए, जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी, वित्तीय अपराधों से निपटने, संस्कृति और ओमान में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद की हिंदी पीठ की स्थापना से जुड़े समझौते शामिल हैं।
    • संस्कृति मंत्रालय ने एक स्टिच्ड शिप (Stitched Ship) की समुद्री यात्रा को पुनः दोहराने का निर्णय लिया, जिसके  वर्ष 2025 से वर्ष 2026 के दौरान गुजरात के मांडवी(Mandvi) से मस्कट(Muscat) तक रवाना होने की अनुमान है।
  • डिजिटल भुगतान सहयोग (Digital Payment Cooperation): ओमान द्वारा संबंधित ओमानी प्लेटफॉर्म के साथ भारत की UPI डिजिटल भुगतान प्रणाली का लाभ उठाने की संभावना पर चर्चा के साथ-साथ रुपये में व्यापार पर भी चर्चा हुई।
  • अंतरिक्ष सहयोग: भारत और ओमान अंतरिक्ष आधारित प्रणालियों, डेटा सेवाओं (Data Services) और सूचना विनिमय सहित विभिन्न क्षेत्रों में अंतरिक्ष सहयोग के संबंध में चर्चा में की जा रही है।
    • फोकस क्षेत्रों में रिमोट सेंसिंग (Remote Sensing), उपग्रह प्रक्षेपण, संचार और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के व्यावहारिक अनुप्रयोग शामिल थे।

भारत-ओमान संबंध

  • ऐतिहासिक संबंध: भारत और ओमान के बीच लोगों का जुड़ाव (People-to-People Connect) लगभग  5,000 वर्ष  पुराना है।
    • ओमान की खाड़ी में मकरान तट प्राचीन काल में मेलुहा के नाम से जाना जाता था  तथा सिंधु क्षेत्र के लिए एक महत्त्वपूर्ण व्यापार मार्ग था।
  • भौगोलिक निकटता: अरब खाड़ी क्षेत्र में ओमान भारत का निकटतम पड़ोसी है।
    • ओमान होर्मुज (Hormuz) जलडमरूमध्य को खुला रखने की अपनी प्रतिबद्धता पर जोर देता है। 
  • रणनीतिक (Strategic) संबंध: भारत और ओमान के बीच  वर्ष 1955 में राजनयिक संबंध स्थापित किए गए थे और वर्ष 2008 में इसे रणनीतिक साझेदारी (Strategic Partnership) में बदल दिया गया।
  • आवश्यक रणनीतिक साझेदार: सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के साथ, ओमान खाड़ी क्षेत्र में भारत के लिए आवश्यक रणनीतिक साझेदारों की तिकड़ी बनाता है।
  • ओमान का राजनयिक संतुलन अधिनियम:  ओमान  ने अपने पड़ोसी ईरान के प्रति व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाते हुए पश्चिमी शक्तियों और खाड़ी सहयोग परिषद ( Gulf Cooperation Council-GCC) देशों के साथ अपने मजबूत संबंधों को संतुलित किया है।
  • ओमान भारत की पश्चिम एशिया नीति के महत्त्वपूर्ण स्तंभ के रूप में: दोनों देशों के बीच बहुआयामी जुड़ाव हाल के दशकों में अधिक रणनीतिक आकार ले रहा है।

खाड़ी सहयोग परिषद (Gulf Cooperation Council-GCC): यह फारस (Persian) की खाड़ी की सीमा से लगे और अरब प्रायद्वीप का गठन करने वाले मध्य पूर्वी देशों का एक राजनीतिक और आर्थिक संघ है।

सदस्य: संयुक्त अरब अमीरात (UAE), बहरीन, सऊदी अरब, ओमान, कतर, कुवैत। 

इस्लामिक सहयोग संगठन (Organisation of Islamic Cooperation-OIC ): इसका उद्देश्य मुसलमानों के महत्त्वपूर्ण हितों की रक्षा और सुरक्षा के लिए मुस्लिम दुनिया का प्रतिनिधित्व करना है।

अरब लीग (Arab League): यह अरबी भाषी अफ्रीकी और एशियाई देशों का एक संघ है जो अपने सदस्य देशों और पर्यवेक्षकों के हितों को बढ़ावा देता है।

  • ओमान इस क्षेत्र के सभी महत्त्वपूर्ण समूहों का एक अभिन्न अंग है: GCC , इस्लामिक सहयोग संगठन और अरब लीग।
  • ओमान को  इस वर्ष की शुरुआत में भारत की अध्यक्षता में आयोजित G-20 शिखर सम्मेलन में अतिथि राष्ट्र के रूप में आमंत्रित किया गया था।
  • रक्षा संबंध: दोनों पक्षों के रक्षा मंत्रियों द्वारा यात्राओं का नियमित आदान-प्रदान।
  •   ओमान पश्चिम एशिया का एकमात्र देश है जिसके साथ भारतीय सशस्त्र बलों की तीनों सेनाएँ नियमित द्विपक्षीय अभ्यास और सेवा स्तर के कर्मचारियों की बातचीत करती हैं।
  • ओमान खाड़ी क्षेत्र में भारत का सबसे करीबी रक्षा साझेदार है और रक्षा सहयोग भारत तथा ओमान के बीच रणनीतिक साझेदारी के प्रमुख स्तंभ के रूप में उभरा है।
  • सुरक्षा सहयोग: दोनों देशों की सेनाएँ संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘अल-नजह'(‘Al-Najah’) और  ईस्टर्न ब्रिज तथा नसीम-अल-बहर (Eastern Bridge and Naseem-al-Bahr) नामक नौसैनिक अभ्यास में हिस्सा लेती हैं।

  • समुद्री सुरक्षा: हाल के वर्षों में, दोनों देशों ने हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहयोग किया है।
    • ऑपरेशन संकल्प: इसे जून 2019 में फारस की खाड़ी संकट के दौरान ओमान के तट से संचालित होने वाले भारतीय ध्वज वाले जहाजों के सुरक्षित मार्ग को सुनिश्चित करने के लिए शुरू  किया गया था।
    • डुक्म पोर्ट पर समझौता ज्ञापन (MoU on Duqm Port): भारत ने डुक्म पोर्ट पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जो क्षेत्र में परिचालन करने वाले भारतीय नौसैनिक जहाजों को को रोकने हेतु बेसिंग सुविधा (Basing Facilities)  और अन्य रसद सहायता तक पहुँच प्रदान करता है।
  • व्यापार संबंध: व्यापार और वाणिज्य द्विपक्षीय जुड़ाव का एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ है।
    • वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान द्विपक्षीय व्यापार $12.388 बिलियन  था।
    • ओमान में 6,000 से अधिक भारत-ओमान संयुक्त उद्यम हैं, जिनका अनुमानित निवेश $7.5 अरब से अधिक है।

डुकम पोर्ट (Duqm Port) के बारे में:

  • यह ओमान के दक्षिण-पूर्वी समुद्री तट पर स्थित है, जहाँ से अरब सागर और हिंद महासागर दिखता है।
  • भारत ने सैन्य उपयोग और रसद सहायता के लिए ओमान में डुक्म के प्रमुख बंदरगाह तक पहुँच हासिल कर ली है।
  • यह क्षेत्र चीनी प्रभाव और गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए भारत की समुद्री रणनीति का हिस्सा है।
  • डुक्म बंदरगाह में एक विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zone- SEZ) भी है, जहाँ कुछ भारतीय कंपनियों द्वारा लगभग $1.8 बिलियन का निवेश किया जा रहा है।

  • डुकम SEZ का बंदरगाह: इसे हिंद महासागर का के सबसे बड़े गहरे समुद्री बंदरगाह के रूप में चिह्नित किया गया है, जहाँ एक भारत-ओमान संयुक्त उद्यम, सेबासिक ओमान (Sebacic Oman)  मध्य-पूर्व में सबसे बड़ा सेबासिक एसिड संयंत्र स्थापित करने के लिए $1.2 बिलियन डॉलर की परियोजना पर काम कर रहा है।
    • भारत में स्थित एक निजी संघ (Consortium), दक्षिण एशिया गैस उद्यम (South Asia Gas Enterprise- SAGE) ने गैस हस्तांतरण के लिए ओमान से भारत तक 1,400 किलोमीटर गहरे समुद्र में पाइपलाइन बिछाने का सुझाव दिया है।
    • वर्ष 2022 में ओमान के लिए कच्चे तेल निर्यात हेतु चीन के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा बाजार था।
    • अक्टूबर 2022 में, भारत और ओमान ने ओमान में रुपे डेबिट कार्ड शुरू किया, जो दुनिया में डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचा (Digital Public Infrastructure- DPI) को बढ़ावा देने की भारत के प्रयासों की एक बड़ी उपलब्धि है।
    • ओमान ने जुलाई 2015 में ईरान परमाणु समझौते में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
  • सांस्कृतिक संबंध
    • वर्ष 2010 में दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे।
    • भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार तथा ओमान के राष्ट्रीय अभिलेख और पुरालेख प्राधिकरण (National Records and Archive Authority of Oman- NRAA)  MoU के तहत सक्रिय रूप से सहयोग करते हैं।
  • भारतीय प्रवासी: लगभग सात लाख भारतीयों की उपस्थिति ने लगातार विकसित हो रहे जीवंत संबंधों में योगदान दिया है।

संबंधों में चुनौतियाँ

  • सुरक्षा: क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों का भारत पर गहरा प्रभाव पड़ता है और इस प्रकार क्षेत्र में किसी भी अस्थिरता का भारतीय प्रवासियों की सुरक्षा, भारत की ऊर्जा सुरक्षा तथा इसके लगातार बढ़ते व्यापार संबंधों पर सीधा असर पड़ता है।
  • अस्थिर तेल अर्थव्यवस्था: तेल निर्यात पर भारी निर्भरता के कारण ओमान की अर्थव्यवस्था बेहद सुभेद्य है, जो कि  निर्यात का 90% से अधिक है।
    • यह भारत के ऊर्जा हितों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
  • ईरान-ओमान-भारत पाइपलाइन की धीमी प्रगति: भारत ओमान से होते हुए एक अंडरवाटर प्राकृतिक गैस पाइपलाइन बनाने पर विचार कर रहा है , मिडिल ईस्ट-टू-इंडिया डीपवाटर पाइपलाइन (Middle East to India Deepwater Pipeline- MEIDP) को ईरान-ओमान-भारत पाइपलाइन के रूप में भी जाना जाता है।
    • इस परियोजना का लक्ष्य ओमान के माध्यम से ईरानी प्राकृतिक गैस को भारत तक पहुँचाना है, लेकिन तकनीकी मंजूरी और राजनयिक बाधाओं के कारण इसमें देरी हो रही है।
  • चीन का बढ़ता प्रभुत्व: चीन नेखाड़ी क्षेत्र में ओमान को एक प्रमुख देश के रूप में चिह्नित किया है और दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों में लगातार वृद्धि देखने को मिली है।
  • डुक्म फैक्टर: डुक्म बंदरगाह तक भारत की पहुँच भारत के लिए एक रणनीतिक उपलब्धि  है लेकिन इस कदम को एक भू-राजनीतिक कदम के रूप में देखा जा सकता है, जिससे संभावित रूप से क्षेत्र में तनाव बढ़ सकता है।
  • विद्रोही समूहों का समर्थन: इस क्षेत्र के सक्रिय कई समूहों ने ओमान पर यमन में सऊदी अरब के हितों और हूती (Houthi) विद्रोहियों का समर्थन करने का आरोप लगाया है।

आगे की राह

  • दुर्लभ भू- धातुओं (Rare Earth Metals) की संयुक्त खोज: आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए महत्त्वपूर्ण दुर्लभ भू-धातुओं की संयुक्त खोज पर एक समझौता,  साझेदारी को मजबूती देगा।
  • IMEEC अवसंरचना में भूमिका: ओमान , प्रस्तावित भारत-मध्य-पूर्व-यूरोप कनेक्टिविटी कॉरिडोर (India-Middle-East-Europe Connectivity Corridor-IMEEC) बुनियादी ढाँचा परियोजना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, जिसका लक्ष्य भारत को पश्चिम एशिया के माध्यम से यूरोप से जोड़ना है।
    • IMEEC गलियारे में मुंबई और मुंद्रा (गुजरात) को संयुक्त अरब अमीरात से जोड़ने वाला एक शिपिंग मार्ग और भूमध्य सागर के तटों तक पहुँचने के लिए संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और जॉर्डन को इजरायली बंदरगाह हाइफा से जोड़ने वाला एक रेल नेटवर्क शामिल होगा।
  • पश्चिम एशिया के लिए भारत का प्रवेश द्वार: दोनों देश वैश्विक शांति के समर्थक रहे हैं और वैश्विक स्तर पर इनकी स्वीकार्यता है इसलिए, ओमान पश्चिम एशिया के लिए भारत का प्रवेश द्वार है।
    • वर्तमान में इजरायल-हमास संघर्ष के कारण इस क्षेत्र का ध्रुवीकरण हुआ है, ऐसे में ओमान के सुल्तान की यात्रा भारत और खाड़ी क्षेत्र के सहयोग के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • सहयोग को व्यापक बनाना: भारत को ओमान के साथ सहयोग के क्षेत्रों को व्यापक बनाने की आवश्यकता है, जिसमें शिपिंग, परिवहन, अवसंरचना निर्माण, खनन, रसद और पर्यटन में व्यापार के विशाल अवसर हैं।
  • चीन के प्रभाव की निगरानी: हालाँकि भारत और ओमान के बीच निर्विवाद विश्वास और परस्पर सम्मान है, लेकिन समीकरण में चीन की धीमी और स्थिर घुसपैठ पर बारीकी से नजर रखने की जरूरत है।
    • चीन को राज्य प्रणालियों को धीरे-धीरे प्रभावित करने और अपना पूर्ण प्रभुत्व स्थापित करने से पहले उन्हें वित्तीय रूप से निर्भर बनाने के लिए जाना जाता है।
  • खुले और शांतिपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए संयुक्त सहयोग: भारत को अपने हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण को मजबूत करने और क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों का साझा समाधान खोजने के लिए ओमान के साथ मिलकर काम करने की जरूरत है।

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