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भू-अभिलेखों का डिजिटलीकरण (Digitization Of Land Records)

Samsul Ansari December 16, 2023 05:11 183 0

भू-अभिलेखों का डिजिटलीकरण

नोट: प्रस्तुत लेख Livemint में प्रकाशित “Digitization of land records will fast-track infra projects and fight poverty” पर आधारित है।

  • प्रारंभिक परीक्षा: पीएम गति शक्ति योजना।
  • मुख्य परीक्षा: भूमि और उसका डिजिटलीकरण- इसकी आवश्यकता, महत्व, चुनौतियाँ और आगे की राह।

संदर्भ:

  • हाल ही में, पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत, 13 प्रमुख राज्यों और चार केंद्र शासित प्रदेशों (UT) के डिजिटल भू-अभिलेखों को सरकार के प्लेटफॉर्म पर अपलोड कर दिया गया है।
  • अब केवल छह राज्यों-हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, सिक्किम, नागालैंड और मेघालय-तथा केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप का डिजिटल रूप से एकीकृत होना शेष है।

गति शक्ति के विषय में:

  • मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी योजना: इसे 2021 में घोषित किया गया, यह समस्त देश में मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना है।
    • इसमें सड़कों से लेकर रेलवे और विमानन से लेकर कृषि क्षेत्र तक सब कुछ शामिल है।
    • इसका विचार विभागीय साइलो (Silo) (कई मंत्रालयों की भागीदारी) को तोड़ना और प्रमुख बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में हितधारकों के लिए समग्र नियोजन को संस्थागत बनाना है।
  • महत्व: इससे परियोजना के कार्यान्वयन में समय और लागत की बचत होगी।
  • डिजिटलीकृत भू-अभिलेखों (DLR) की आवश्यकता: डीएलआर के लिए बुनियादी ढाँचे के विकास को बढ़ावा देना चाहिए क्योंकि गति शक्ति प्लेटफॉर्म इस डेटा का उपयोग करता है।

भूमि और उसका डिजिटलीकरण:

  • भूमि: यह किसी भी राष्ट्र के लिए एक मूल्यवान संसाधन है, विशेष रूप से भारत के लिए जहाँ आधे से अधिक कार्यबल कृषि में संलग्न है।
    • इसलिए, एक आधुनिक, समावेशी और पारदर्शी भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली स्थापित करना महत्वपूर्ण है।
  • भूमि का महत्व:
    • आजीविका स्रोत: रहने का स्थान और व्यक्तियों के लिए आजीविका सुनिश्चित करना।
    • आर्थिक प्रभाव: औद्योगीकरण को सुविधाजनक बनाना और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।
    • एक प्राकृतिक संसाधन: इसमें खनिज, जल, वन आदि शामिल हैं।
    • सांस्कृतिक महत्व और पहचान: लोगों की पहचान और अपनेपन की बुनियाद।
  • कार्यक्रम: सरकार ने राष्ट्रीय भू-अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (NLRMP) का पुनर्गठन किया और 2016 में 100% वित्त पोषण के साथ एक केंद्रीय योजना के रूप में डिजिटल इंडिया भू-अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) की शुरुआत की।

भू-अभिलेख प्रबंधन के डिजिटलीकरण की आवश्यकता:

  • पारदर्शिता: भू-अभिलेखों का डिजिटलीकरण करके और उन्हें स्थानिक डेटा एवं अन्य डेटाबेस; जैसे- आधार, कर रिकॉर्ड आदि से जोड़कर उनकी गुणवत्ता और पहुँच में सुधार करना।
  • मुकद्दमेबाजी कम करना: यह सरकार द्वारा समर्थित स्पष्ट और सुरक्षित स्वामित्व अधिकार प्रदान करके ऐसे विवादों के दायरे एवं आवृत्ति को कम कर सकता है।

डीआईएलआरएमपी की मुख्य विशेषताएँ:

  • एक विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या (14-अंकीय अल्फ़ान्यूमेरिक ULPIN)।
  • पंजीकरण प्रक्रियाओं को संबोधित करने के लिए एक राष्ट्रीय जेनेरिक दस्तावेज़ पंजीकरण प्रणाली (NGDRS)।
  • भाषायी बाधाओं को दूर करने के लिए अभिलेखों (संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी 22 भाषाओं) का लिप्यंतरण (Transliteration)।
  • फसल प्रोफाइल, फसल बीमा और ऋण सुविधाओं के लिए ई-लिंकेज तक ऑनलाइन पहुँच के साथ-साथ जाति, आय और निवास प्रमाण-पत्र जारी करने जैसी उन्नत सेवाएं।

डीआईएलआरएमपी (भू-अभिलेखों का डिजिटलीकरण) के लाभ:

  • अधिक विश्वसनीय और पारदर्शी भूमि डेटा के साथ बेहतर गुणवत्ता और पहुँच।
  • सरकार द्वारा समर्थित स्पष्ट स्वामित्व प्रमाण होने से मुकद्दमेबाजी और धोखाधड़ी में कमी।
  • DILRMP के रूप में वृद्धि और विकास को प्रोत्साहन विदेशी निवेश को आकर्षित करता है, औद्योगीकरण को बढ़ावा देता है तथा संवृद्धि को बढ़ाता है।

अभिलेखों के डिजिटलीकरण में चुनौतियाँ:

  • भारतीय संघ की इकाईयों के मध्य समन्वय का अभाव।
  • विभिन्न स्तरों पर अपर्याप्त संसाधन एवं क्षमता।
  • जागरूकता और हितधारकों की भागीदारी में कमी

आगे की राह:

  • राज्यों के मध्य समन्वय को बढ़ाना: भूमि कानूनों और नीतियों के मध्य सामंजस्य स्थापित करना, सर्वोत्तम पद्धतियों और अनुभवों को साझा करना तथा निवेश को आकर्षित करना एवं विकास को बढ़ावा देना।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही: तोड़फोड़ या हेरफेर के खिलाफ सख्त कार्रवाई करके और जनता का विश्वास स्थापित करने के लिए एक शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना करना।
  • संचालन और पर्याप्त आवंटन, प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण कार्यक्रमों द्वारा संसाधनों तथा मानव परिसंपत्तियों का उचित और सतत उपयोग।
    • साथ ही, कुशल सेवा वितरण और बेहतर कार्यान्वयन के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
  • समाज के हाशिए पर मौजूद वर्गों को सशक्त बनाकर हितधारक जागरूकता और भागीदारी बढ़ाना, चिंताओं को संबोधित करना और सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
    • हितधारकों को सूचित करने के लिए अधिक जागरूकता अभियान और संवेदीकरण कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए।

प्रारम्भिक परीक्षा पर आधरित प्रश्न :

Q.  पीएम गति शक्ति योजना के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1.  यह योजना रेलवे और रोडवेज मंत्रालयों को एक साथ लाएगी।
  2.  इस योजना की शुरुआत वर्ष 2019 के दौरान की गई थी।

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं ?

(a)  केवल 1

(b)  केवल 2

(c)   1 और 2 दोनों

(d)  न तो 1 और न ही 2

उत्तर : b 

  • मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न (UPSC-2022 GS Paper 2 ): गति-शक्ति योजना को संयोजकता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार और निजी क्षेत्र के मध्य सतर्क समन्वय की आवश्यकता है। विवेचना कीजिए।

न्यूज स्रोत: Livemint

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