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भारत में बाल विवाह (Child Marriage in India)

Samsul Ansari December 23, 2023 01:00 207 0

नोट : प्रस्तुत लेख The Indian Express में प्रकाशित लेख “ One in 5 girls in India still married below legal age, finds new study” पर आधारित है

संदर्भ

हाल ही में, लांसेट ग्लोबल हेल्थ द्वारा एक नया अध्ययन प्रकाशित किया गया है जिसमें उल्लेख किया गया है कि भारत में पाँच में से एक लड़की और लगभग छह में से एक लड़के का विवाह कानून द्वारा निर्धारित “विवाह की विधिक आयु (लड़कियों के लिए 18 वर्ष और लड़कों के लिए 21 वर्ष)” से कम उम्र में ही कर दी जाती है।

प्रारंभिक परीक्षा: भारत में बाल विवाह से संबंधित लांसेट अध्ययन के निष्कर्ष।

मुख्य परीक्षा: बाल विवाह संबंधी चिंताएँ, सरकार द्वारा उठाए गए कदम और आगे की राह।

भारत के लिए अध्ययन के निष्कर्ष

  • बाल विवाह की राष्ट्रीय दर में गिरावट: पिछले तीन दशकों के दौरान बाल विवाह की दर में गिरावट दर्ज की गई है।
    • बाल विवाह में सबसे बड़ी गिरावट वर्ष 2006 से 2016 के मध्य दर्ज की गई।
    • वर्ष 1993-2021 के दौरान लड़कियों (1993 में 49.4% से 2021 में 22.3%) और लड़कों के लिए 2006-2021 (2006 में 7.1% से 2021 में 2.2%) के दौरान बाल विवाह में गिरावट दर्ज की गई है।
  • लड़कियों के बाल विवाह की संख्या के विषय में: मणिपुर को छोड़कर, सभी राज्यों में वर्ष 1993 और 2021 के मध्य लड़कियों के बाल विवाह के प्रचलन में गिरावट देखी गई।
    • मणिपुर और त्रिपुरा में लड़कियों के बाल विवाह में वृद्धि दर्ज की गई है,  जो वर्ष 2016 और 2021 के मध्य पिछली किसी भी अवधि की तुलना में अधिक है।

बाल विवाह के बोझ वाले राज्य:

  • लड़कियों के लिए: बिहार (16·7%), पश्चिम बंगाल (15·2%), उत्तर प्रदेश (12·5%), और महाराष्ट्र (8·2%)।
  • लड़कों के लिए: गुजरात (29%), बिहार (16·5%), पश्चिम बंगाल (12.9%), और उत्तर प्रदेश (8.2%)।

बोझ और प्रचलन वाले राज्य

  • बाल विवाह के लिए: वर्ष 2021 में, उत्तर प्रदेश में लड़कियों और लड़कों दोनों के लिए अपेक्षाकृत बाल विवाह का कम प्रचलन था लेकिन बोझ अधिक था, जबकि त्रिपुरा में प्रचलन अधिक था लेकिन बोझ कम था।
  • लड़कों में बाल विवाह के लिए: महाराष्ट्र में बोझ अधिक था लेकिन प्रचलन कम था, जबकि मणिपुर में प्रचलन अधिक था लेकिन बोझ काफी कम था।

 बाल विवाह से संबंधित चिंताएँ

  • अधिकारों का उल्लंघन: बाल विवाह, लड़कियों के मानवाधिकारों; जैसे- शिक्षा का अधिकार, दुष्कर्म और यौन शोषण सहित मानसिक या शारीरिक शोषण से सुरक्षा के अधिकार का उल्लंघन करता है।
  • लैंगिक समानता के विरुद्ध: महिलाओं के बाल विवाह से पुरुष-निर्भरता बढ़ती है और लैंगिक समानता के दृष्टिकोण पर प्रभाव पड़ता है।
  • भावी पीढ़ी पर प्रभाव: बाल विवाह के कारण किशोरावस्था में गर्भधारण होता है क्योंकि वे भविष्य की योजना के विषय में जागरूक नहीं होती हैं, जिसका प्रभाव आने वाली पीढ़ी पर पड़ता है।
  • अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: बाल विवाह नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है क्योंकि जिन लड़कियों अथवा लड़कों का विवाह कम उम्र में हो जाता है, उनके साथ कौशल, ज्ञान और रोजगार के अवसरों की कमी होने की संभावना अधिक होती है।

बाल विवाह की रोकथाम के लिए सरकार के कदम

  • बाल विवाह निरोधक (संशोधन) अधिनियम, 1978: इसने पुरुषों और महिलाओं के लिए विवाह की विधिक आयु क्रमशः 18 और 21 वर्ष निर्धारित की।
  • विवाह का अनिवार्य पंजीकरण अधिनियम, 2006: भारत में सभी विवाहों को वर्ष 2006 के अनुसार पंजीकृत किया जाना चाहिए।
  • महिला एवं बाल मंत्रालय का सबला कार्यक्रम: 11 से 18 वर्ष की आयु वर्ग की किशोरियों को बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 सहित महिलाओं के कानूनी अधिकारों के विषय में प्रशिक्षण दिया जाता है।
  • बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006: यह एक बच्चे को 21 वर्ष से कम उम्र के पुरुष और 18 वर्ष से कम उम्र की महिला के रूप में परिभाषित करता है। 
    • यह बाल विवाह निषेध अधिकारी की नियुक्ति का भी प्रावधान करता है, जिसे बाल विवाह रोकने और जागरूकता बढाने का कार्य सौंपा गया है।
  • लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012: POCSO अधिनियम के तहत नाबालिग के साथ यौन संपर्क को दुष्कर्म माना जाता है।
  • हेल्पलाइन की उपलब्धता: सरकार ने संकट में फँसे बच्चों के लिए 24X7 टेलीफोन आपातकालीन आउटरीच सेवा चाइल्डलाइन (1098) शुरू की है।
  • राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR): यह बाल विवाह और संबंधित मामलों पर विभिन्न गतिविधियों और कार्यक्रमों का संचालन करता है।

 आगे की राह

  • नीति को मजबूत बनाना: वर्ष 2030 तक बाल विवाह को समाप्त करने के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय नीति को मजबूत करने की आवश्यकता है।
  • एक बहुआयामी दृष्टिकोण: बेहतर शिक्षा, सार्वजनिक बुनियादी सुविधाएँ, सामाजिक जागरूकता बढ़ाना, असमानताओं का उन्मूलन कार्यक्रम, मजबूत कानून और पारदर्शिता के साथ उनका सख्त कार्यान्वयन आवश्यक है।
  • सर्वोत्तम प्रथाओं का समावेश: शिवराज पाटिल समिति की रिपोर्ट- 2011 की सिफारिशों ने कर्नाटक में बाल विवाह को कम करने में मदद की है और इन्हें अन्य राज्यों में भी लागू किया जा सकता है।

प्रारंभिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न: 

Q) शारदा अधिनियम का संबंध निम्नलिखित में से किससे है ?

     1. बाल विवाह 

     2. विधवा विवाह 

     3. सती प्रथा 

     निचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चुनाव कीजिए : 

     (a)  केवल 1 

     (b)  केवल 2 और 3 

     (c)  केवल 1 और 3 

     (d) 1, 2 और 3 

   उत्तर : (a) 

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न (UPSC 2016 GS Paper 2): राष्ट्रिय बाल निति के मुख्य प्रावधानों का परीक्षण कीजिए तथा इसके क्रियान्वयन की प्रस्थिति पर प्रकाश डालिए।

                                                                                  News Source: The Indian Express

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