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भारत में डिजिटल साक्षरता (Digital Literacy in India)

Samsul Ansari December 25, 2023 01:52 318 0

नोट : प्रस्तुत लेख The Indian Express में प्रकाशित “Why India must measure digital literacy” पर आधारित है  

संदर्भ:

यह लेख शिक्षा में डिजिटल तकनीक के महत्व को उद्घाटित करता है, जो युवाओं के भविष्य के विकास और परिणामस्वरूप आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

मुख्य परीक्षा: भारत में डिजिटल साक्षरता की आवश्यकता।

स्कूल नामांकन में सुधार के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदम:

  • निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (2009): यह 6-14 वर्ष के आयु वर्ग के सभी बच्चों को प्रारंभिक स्कूली शिक्षा की गारंटी देता है।
  • राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (2009): इसे सरकार द्वारा माध्यमिक शिक्षा तक पहुँच बढ़ाने के लिए प्रारंभ किया गया था।

डिजिटल साक्षरता के बारे में: 

  • डिजिटल साक्षरता से तात्पर्य किसी व्यक्ति की टाइपिंग या किसी डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म का उपयोग करके जानकारी खोजने अथवा किसी से संचार करने की क्षमता से है। 
  • डिजिटल साक्षरता के अंतर्गत सूचना और संचार प्रोद्योगिकियों का इस्तेमाल करना और उसके सन्दर्भ में लोगों की संज्ञानात्मक क्षमता से है।
  • प्रारंभ में डिजिटल साक्षरता डिजिटल कौशल और कम्पूटर के इस्तेमाल पर केन्द्रित थी, किन्तु वर्तमान में इन्टरनेट और सोशल मीडिया के आ जाने के बाद से यह लोगों द्वारा मोबाइल उपकरणों के इस्तेमाल पर केन्द्रित हो गया है।

भारत में डिजिटल साक्षरता बढाने के लिए भारत सर्कार द्वारा की गई प्रमुख पहल:

  • राष्ट्रिय डिजिटल साक्षरता मिशन (NDLM) 
  • डिजिटल साक्षरता अभियान (DISHA)
  • प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (PMGDISHA)

भारत की शिक्षा का पूर्व-कोविड परिदृश्य:

  • प्राथमिक विद्यालयों के लिए,2018 तक, स्कूल न जाने वाले 6-14 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों का अनुपात घटकर 2.8% हो गया था।
  • माध्यमिक विद्यालयों के लिए,2010 और 2018 के बीच, स्कूल से बाहर होने वाले 15-16 वर्ष के बच्चों का अनुपात 16.1% से घटकर 13.1% हो गया था।

 स्कूल नामांकन पर कोविड-19 का प्रभाव:

  • स्कूलों को बंद करना: मार्च, 2020 में, भारत और शेष विश्व में स्कूल कोविड-19 के कारण बंद हो गए।
    • यह भारत में स्कूल बंद रहने की सबसे लंबी अवधि में से एक थी, जहाँ स्कूल, विशेष रूप से प्राथमिक स्कूल, लगभग दो वर्षों तक बंद रहे।
  • एएसईआर रिपोर्ट 2020-21 के अनुसार, स्कूल न जाने वाले बच्चों की संख्या में मामूली वृद्धि देखी गई, लेकिन यह मुख्य रूप से 6-10 वर्ष के आयु वर्ग के लिए थी।
  • स्थिति शांत होने के बाद नामांकन में और भी सकारात्मक रुझान दिखा। प्राथमिक विद्यालयों के लिए, स्कूल में नामांकित नहीं होने वाले 6-14 वर्ष के बच्चों का अनुपात 2022 में गिरकर 1.6% हो गया।
    • आरटीई लागू होने के बाद से यह एक दशक में सबसे कम है।
  • माध्यमिक विद्यालयों के लिए,15-16 वर्ष के बच्चों का अनुपात 2020 में 9.9% से घटकर 2022 में 7.5% हो गया।
  • ग्रामीण भारत में स्मार्टफोन की पहुँच: 2018 में, केवल 36% ग्रामीण परिवारों के पास स्मार्टफोन था, लेकिन 2020-21 के दौरान, अर्थव्यवस्था और शिक्षा प्रणाली वर्चुअल मोड में बदल गई,जिससे डिजिटल डिवाइस तक पहुँच एक आवश्यकता बन गई।
    • महामारी के दौरान स्मार्टफोन वाले ग्रामीण परिवारों का अनुपात लगभग दोगुना होकर 67.6% और 2022 में 74.8% हो गया।

डिजिटल लाभांश का महत्व:

  • विश्व विकास रिपोर्ट के अनुसार: इसमें कहा गया है कि डिजिटल विभाजन को पाटकर, विकास पर डिजिटल प्रौद्योगिकियों का प्रभाव कहीं अधिक सकारात्मक और प्रभावशाली हो सकता है।
  • भारत: डिजिटल उपकरणों तक बढ़ती पहुँच के साथ, भारत के पास “जनसांख्यिकीय” और साथ ही “डिजिटल” लाभांश दोनों का सर्वोत्तम उपयोग करने का अवसर है।
    • हालाँकि, “जनसांख्यिकीय लाभांश” का लाभ तभी उठाया जा सकता है जब श्रम बल के पास अर्थव्यवस्था की विकास प्रक्रिया में उत्पादक रूप से भाग लेने के लिए आवश्यक कौशल हों।
  • आवश्यकता: उन क्षेत्रों की पहचान करने की आवश्यकता है जहाँ नीतिगत स्तर पर सरकारी समर्थन और बेहतर आयोजना आवश्यक है।
  • एड-टेक की भूमिका: वे शैक्षिक संसाधन प्रदान करने के साथ-साथ उन छात्रों को लक्षित निर्देश प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं जो पिछड़ रहे हैं जिसके लिए युवाओं की डिजिटल साक्षरता की आवश्यकता है।

 निष्कर्ष:

स्कूल नामांकन में सकारात्मक परिणाम और डिजिटल शिक्षा के प्रवेश के साथ, समय आ गया है कि हम अपने श्रम बल की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करें, जिसे विकासात्मक आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता है, जो तभी संभव है जबकि हमारे युवाओं को उनकी आकांक्षाओं को प्राप्त करने के लिए अच्छी तरह से समर्थन दिया जाएगा, जिससे वे अर्थव्यवस्था में उत्पादक रूप से भाग लें।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न (UPSC 2021 GS Paper 2): क्या ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से, डिजिटल निरक्षरता ने सूचना एवं संचार प्रोद्योगिकी (आई. सी. टी.) की अल्प-उपलब्धता के साथ मिलकर सामाजिक-आर्थिक विकास में बाधा उत्त्पन्न किया है ? औचित्य सहित परीक्षण कीजिए।

News Source: The Indian Express

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