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संसदीय लोकतंत्र का पतन (decline of parliamentary democracy)

Samsul Ansari December 25, 2023 06:29 175 0

नोट : प्रस्तुत लेख The Indian Express में प्रकाशित “Pratap Bhanu Mehta writes: The collapse of parliamentary democracy in Bharat that is not India” पर आधरित है  

संदर्भ:

हाल ही में, भारत में 140 संसद सदस्यों (सांसदों) को निलंबित कर दिया गया है, जिसे विशेषज्ञों द्वारा भारत में संसदीय लोकतंत्र को कमजोर करने के रूप में देखा जा रहा है।

मुख्य परीक्षा के लिए मुद्दे की प्रासंगिकता: सांसदों के निलंबन की चुनौतियाँ और आगे की राह।

उभरती चिंताएँ:

  • संसदीय मूल तत्व की हानि: भले ही भारतीय गणतंत्र ऐसा दिखता है कि इसमें नियमों और कानूनों के साथ एक संवैधानिक व्यवस्था है, किन्तु वास्तविक शक्ति तेजी से केंद्रीकृत हो रही है और साझा नहीं की जा रही है जैसा कि लोकतंत्र में होना चाहिए।
  • सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई: न्यायपालिका को संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करने का कार्य सौंपा गया है, लेकिन इस निलंबन मामले में शीर्ष अदालत द्वारा कोई सक्रिय भूमिका नहीं निभाई गई है।
  • मीडिया की भूमिका पर प्रश्न: कुछ सम्मानजनक अपवादों को छोड़कर, अधिकांश मीडिया चैनल और व्यक्ति या तो शक्तिशाली लोगों का समर्थन करते हैं या जनता को महत्वपूर्ण मुद्दों से भटकाते हैं।
  • सार्वजनिक प्रतिक्रिया: इन मुद्दों को लेकर बहुत अधिक सार्वजनिक आक्रोश भी नहीं है, जो संवैधानिक सिद्धांतों में रुचि की कमी को दर्शाता है।
  • चुनाव और सत्ता की गतिशीलता: चुनाव होते हैं, लेकिन चुनाव के बाद सरकारी नीतियों को लेकर छोटी – मोटी बहस या जवाबदेही होती है।
  • शक्तियों के पृथक्करण पर प्रभाव: शक्तियों का पृथक्करण (सरकार की विभिन्न शाखाओं के बीच) अच्छी तरह से कार्य नहीं कर रहा है। 
  • संसदीय प्रणाली लगभग राष्ट्रपति प्रणाली बनती जा रही है: वर्तमान परिदृश्य में, राष्ट्रपति प्रणाली को अपनाया जा सकता है। हालाँकि, कोई भी प्रणाली स्वतंत्रता की गारंटी नहीं देती है।
  • व्यक्तिगत अधिकारों में कमी: सरकार द्वारा हाल ही में पारित आपराधिक संहिता बिल और दूरसंचार विधेयक जैसे कानूनों को व्यक्तिगत अधिकारों को कम करने और राज्य को अधिक शक्ति देने के रूप में देखा जा रहा है।
  • सत्ता का संकेंद्रण: यह देखा गया है कि सत्ता बिना किसी प्रभावी सीमा के एक नेता (प्रधानमंत्री) और उसकी पार्टी के इर्द-गिर्द केंद्रित होती है।
    • सत्ता का एकाधिकार: सरकार अपनी शक्ति का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए कर रही है, जिनमें से कुछ अच्छे प्रतीत हो सकते हैं, लेकिन अंततः इसका उद्देश्य भारत की राजनीतिक व्यवस्था की मौलिक प्रकृति को बदलना है।
  • संविधान बनाम व्यक्तित्व: चिंता यह है कि व्यक्तित्व संवैधानिक सिद्धांतों से अधिक महत्वपूर्ण होता जा रहा है।

राज्यसभा से सांसदों के निलंबन की प्रक्रिया:  

  • नियम 255: सभापति किसी भी सदस्य को जिसका आचरण उसकी राय में अव्यवस्थित है उसे, तुरंत पद से हटने का निर्देश दे सकता है।
  • नियम 256: इसके तहत सभापति किसी भी सदस्य को सत्र की शेष अवधि से अधिक की अवधि के लिए निलंबित कर सकता है।

लोकसभा से सांसदों के निलंबन की प्रक्रिया: 

  • नियम 373: यदि अध्यक्ष की राय में किसी सदस्य का आचरण अव्यवस्थित है तो, वह ऐसे सदस्य को तुरंत सदन से बाहर जाने का निर्देश दे सकता है।
  • नियम 374: अध्यक्ष ऐसे सदस्य को निलंबित कर सकता है जो अध्यक्ष के अधिकार की अवहेलना करता है या लगातार और जानबूझकर कार्य में बाधा डालकर सदन के नियमों का दुरुपयोग करता है।
  • नियम 374ए: किसी सदस्य द्वारा गंभीर अव्यवस्था की स्थिति में, जैसे कि सदन के कटघरे (Well) में आना या लगातार सदन के नियमों का दुरुपयोग करना और नारे लगाकर सदन की कार्यवाही में जानबूझकर बाधा डालना ऐसे सदस्य को अध्यक्ष द्वारा कभी भी निलंबित किया जा सकता है।

आगे की राह:

  • वाद-विवाद और विचार-विमर्श की आवश्यकता: लोकतंत्र में, निर्वाचित विधायक सार्वजनिक महत्व के मुद्दों पर बहस और चर्चा करते हैं तथा नागरिकों को प्रभावित करने वाले मुद्दों का समाधान तलाशते हैं।
    • इस मुद्दे पर गहराई से विचार करने के लिए स्वस्थ वाद-विवाद, संसदीय और स्थायी समितियों के उपयोग एवं किसी भी विचार से पहले विधेयकों तथा कानून पर चर्चा करने की आवश्यकता है।
  • एक शक्तिशाली विपक्ष की आवश्यकता: सत्तारूढ़ दल की शक्ति को रोकने और एक परिपक्व लोकतंत्र के लिए एक प्रभावी विपक्ष वांछनीय है।
  • रिमा बनाए रखने की आवश्यकता: विपक्षी सदस्यों को गरिमापूर्ण तरीके से अपने विचार व्यक्त करके रचनात्मक भूमिका निभाने की आवश्यकता है।
  • संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता: लोकतंत्र, नियंत्रण और संतुलन के सिद्धांत पर कार्य करता है, जो लोकतंत्र को बहुसंख्यकवाद में बदलने से रोकता है और यह महत्वपूर्ण भूमिका विपक्षी दल द्वारा बनाई रखी जाती है।

मुख्य परीक्षा पर आधरित प्रश्न : भारत में सांसदों और विधायकों के अयोग्यता के संबंध में प्रमुख कानूनी प्रावधान कौन-कौन से हैं ? चर्चा कीजिए।

                                                                                    News Source: The Indian Express

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