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भारत में वरिष्ठ नागरिक देखभाल संबंधी सुधार

Lokesh Pal February 21, 2024 11:53 184 0

संदर्भ

हाल ही में नीति आयोग (NITI Aayog) ने ‘भारत में वरिष्ठ नागरिक देखभाल सुधार: वरिष्ठ नागरिक देखभाल प्रतिमान की पुनर्कल्पना (Senior Care Reforms in India: Reimagining the Senior Care Paradigm) शीर्षक से एक स्थिति पत्र जारी किया है, जिसमें अधिक आयु वाली आबादी के लिए मौजूदा रुझानों, चुनौतियों और सुधारों पर चर्चा की गई है।

बढ़ती आयु (एजिंग) की अवधारणा (Concept of Ageing)

  • जनसंख्या की बढ़ती आयु को किसी जनसंख्या में वृद्ध वयस्कों की संख्या और अनुपात में वृद्धि के रूप में वर्णित किया जा सकता है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, ‘’हेल्दी एजिंग/स्वस्थ बुढ़ापा (Healthy Ageing) उस कार्यात्मक क्षमता को विकसित करना और बनाए रखना है जो बुढ़ापे में भी स्वस्थ रहने में सक्षम बनाती है।”

जनसंख्या के वृद्धावस्था के रुझान

  • वैश्विक आयु बढ़ने के रुझान: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 60+ आयु वर्ग की वैश्विक आबादी वर्ष 2015 में 12% से दोगुनी होकर वर्ष 2050 तक 22% होने की उम्मीद है।
  • भारत में वृद्धावस्था: भारत में वरिष्ठ नागरिक, जो वर्तमान में जनसंख्या का 10% से अधिक का प्रतिनिधित्व करते हैं, की आबादी वर्ष 2025 तक 158 मिलियन और वर्ष 2050 तक 319 मिलियन तक बढ़ने का अनुमान है, जो एक महत्त्वपूर्ण जनसांख्यिकीय परिवर्तन को दर्शाता है।

  • निर्भरता अनुपात में परिवर्तन: प्रारंभ में बढ़ती कार्यशील आयु वाली आबादी के कारण भारत का कुल निर्भरता अनुपात वर्ष 2025 तक घटने का अनुमान है, फिर यह वर्ष 2050 तक बढ़कर 61.22 हो जाएगा।

निर्भरता अनुपात (Dependency Ratio)

  • निर्भरता अनुपात आश्रित आयु (15 से कम और 60 वर्ष से अधिक) के लोगों का आर्थिक रूप से सक्रिय आयु (15-59 वर्ष) के लोगों से अनुपात है।
  • बच्चों और वृद्धों का प्रतिशत निर्भरता अनुपात को प्रभावित करता है क्योंकि ये समूह उत्पादक नहीं हैं।

द लॉन्गिट्यूडिनल एजिंग स्टडी ऑफ इंडिया (Longitudinal Ageing Study of India- LASI) 2021 रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष: इसे वर्ष 2016 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (भारत सरकार) द्वारा लॉन्च किया गया था। यह एक पूर्ण-स्तरीय राष्ट्रीय सर्वेक्षण और भारत में वृद्ध होती जनसंख्या की स्थिति पर एक मौलिक अध्ययन है।

स्वास्थ्य

  • शारीरिक स्वास्थ्य: लगभग 75% वृद्ध को एक या अधिक पुरानी बीमारियों से ग्रसित हैं और 40% को एक या अधिक दिव्यांगता संबंधी समस्याएँ हैं।
  • मानसिक स्वास्थ्य: भारत में 20% वृद्धों को मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें अवसाद जैसी समस्याओं के अत्यधिक होने की संभावना है, जो एक महत्वपूर्ण अदृश्य बोझ को दर्शाता है।
    • वर्ष 2022 में हेल्पएज इंडिया के एक अध्ययन से पता चला कि 60% से अधिक वरिष्ठजन अकेलापन एवं अवसाद महसूस करते हैं, जो सामाजिक ढाँचे में गहरी दरार को दर्शाता है।
  • कार्यात्मक क्षमताएँ: वृद्ध नागरिकों में 11% को क्षीणता (Impairments) का सामना करना पड़ता है, 24% को दैनिक जीवन की गतिविधियों से संबंधित चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, 58% गतिशीलता कार्यों (Mobility Tasks) के साथ संघर्ष करते हैं और 43% सहायता या सहायक उपकरणों पर निर्भर होते हैं।

सामाजिक

  • जनसांख्यिकी: भारत की वृद्ध आबादी का लैंगिक अनुपात 1065 है, जिसमें महिलाओं की आबादी 58 प्रतिशत है।
    • प्रति 100 कार्यशील आयु वाले व्यक्तियों पर 62 का निर्भरता अनुपात युवा कार्यबल पर एक महत्वपूर्ण निर्भरता को उजागर करता है।

  • ज्ञान एवं जागरूकता: 12% लोग ‘माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम’ 2007 (Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act 2007) के बारे में जानते हैं और लगभग 28% किसी उम्र से संबंधित रियायत के बारे में जानते हैं।
    • इसके अतिरिक्त, लगभग एक-चौथाई को इन सेवाओं के लिए आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
  • खाद्य सुरक्षा: भारत के वृद्धों में खाद्य असुरक्षा बढ़ रही है, लगभग 6% वृद्ध कम भोजन ग्रहण करते हैं या भोजन ग्रहण नहीं करते हैं और 5.3% भूख के बावजूद भोजन ग्रहण नहीं करते  हैं।

वित्तीय एवं आर्थिक स्थिति

  • रोजगार: भारत में वरिष्ठ नागरिकों में लगभग 50% पुरुष और 22% महिला कार्यरत हैं, हालाँकि ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य भागीदारी दर अधिक है।
  • पेंशन सुविधा: 78% वृद्ध आबादी सरकार द्वारा दी जाने वाली विभिन्न पेंशनों का लाभ नहीं ले पा रही है।
  • स्वास्थ्य देखभाल संबंधी वित्त तक पहुँच: भारत के केवल 18% वरिष्ठ नागरिकों के पास स्वास्थ्य बीमा है, उन्हें स्वास्थ्य देखभाल के लिए औसतन 31,933 रुपये का खर्च उठाना पड़ता है। यह शहरी क्षेत्रों में 26% लोगों के बीच स्वास्थ्य लागत संबंधी ऋण का एक प्रमुख कारण है।

डिजिटल वेलबीइंग (Digital Wellbeing)

  • वरिष्ठ नागरिकों की मोबाइल फोन तक सीमित पहुँच है, केवल 13% वरिष्ठ नागरिकों ने  इंटरनेट का उपयोग किया है।

वृद्ध आबादी का प्रभाव

  • वृद्धों के लिए सहायता प्रणाली का अभाव: जनसंख्या की औसत आयु में वृद्धि, छोटे एकल परिवारों की ओर परिवर्तन और कार्य, शिक्षा एवं विवाह के कारण बढ़ते प्रवासन ने वृद्धों को दुर्लभ या व्यावहारिक रूप से कोई सहायता प्रणाली नहीं प्रदान की है।
  • आयु बढ़ने से संबंधित रूढ़ियाँ एवं मान्यताएँ: आयु बढ़ने को नकारात्मक रूप से देखा जा रहा है और वृद्धों को अक्सर समाज में एक बोझ के रूप में देखा जाता है। यह वृद्धों में सामाजिक अलगाव और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में योगदान देता है।
  • आर्थिक प्रभाव: वृद्ध वयस्कों की बढ़ती संख्या से श्रम बल में उनके योगदान में गिरावट आ रही है।
    • इसके अलावा, वृद्ध आबादी को उनके अवैतनिक कार्यों के माध्यम से मिलने वाले सामाजिक लाभों को न तो मान्यता दी जाती है और न ही उनकी मात्रा निर्धारित की जाती है।
  • डिजिटल विभाजन: वरिष्ठ नागरिकों के बीच डिजिटल साक्षरता में काफी अंतर के कारण कई ऑनलाइन सेवाओं तक पहुँच स्थापित करने में बाधाएँ उत्पन्न हुई हैं।

वरिष्ठ नागरिकों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

  • खराब स्वास्थ्य और समय पूर्व होने वाली मौतों में उल्लेखनीय वृद्धि, कम गतिशीलता, सामाजिक अलगाव (कुछ संस्कृतियों में) और स्वास्थ्य एवं सामाजिक सेवाओं तक आसान पहुँच न होने के कारण वृद्ध आबादी, जलवायु परिवर्तन के प्रति असंगत रूप से असुरक्षित हैं।
  • भारत में 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की अनुमानित 31,000 मौतें गर्मी के कारण दर्ज की गईं हैं।

वरिष्ठ नागरिक देखभाल प्रणाली के समक्ष चुनौतियाँ

स्वास्थ्य डोमेन

  • सेवा वितरण के लिए एकीकृत दृष्टिकोण न होना: नर्सिंग एजेंसियों और फिजियोथेरेपिस्ट जैसे विभिन्न छोटे पैमाने के या असंगठित प्रदाताओं द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के परिणामस्वरूप इष्टतम देखभाल नहीं हो पाती है।
  • वृद्धों के लिए स्वास्थ्य देखभाल संबंधी कमियाँ: लक्षित टीकाकरण कार्यक्रमों, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं, सहायक उपकरणों, घर-आधारित देखभाल सेवाओं आदि की उपलब्धता की कमी वृद्धों के लिए महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल संबंधी कमियों को उजागर करती हैं।
  • वृद्धों की देखभाल संबंधी बुनियादी ढाँचे में अंतर: देखभाल और सहायता संस्थानों की मांग और आपूर्ति के बीच एक बेमेल संबंध है और तृतीयक देखभाल सेवाओं के लिए निजी क्षेत्र पर उच्च निर्भरता है।
  • वरिष्ठ नागरिकों की स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं के लिए प्रशिक्षित जनशक्ति की कमी: वृद्धावस्था स्वास्थ्य देखभाल पर अपर्याप्त ध्यान दिया जाता है और वरिष्ठ देखभाल कार्यबल सीमित है।
  • वृद्ध स्वास्थ्य देखभाल का सीमित वित्तपोषण: वरिष्ठ लोगों को उच्च स्वास्थ्य व्यय के साथ दीर्घकालिक स्वास्थ्य देखभाल की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, वरिष्ठ स्वास्थ्य देखभाल बीमा की पहुँच बहुत कम (18%) है।

सामाजिक डोमेन

  • संकीर्ण और अपर्याप्त सामाजिक सुरक्षा प्रणाली: वरिष्ठ नागरिकों के पास सामाजिक सुरक्षा जाल का दायरा सीमित है और वे सामाजिक सुरक्षा योजनाओं एवं कार्यक्रमों को लागू करने में अंतराल के प्रति संवेदनशील हैं।
  • अधिकारों एवं प्रावधानों के बारे में सीमित जागरूकता: सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के बारे में जागरूकता की कमी है। केवल 12% वृद्ध लोग माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007 और अन्नपूर्णा योजना (Annapurna Scheme) के बारे में जानते हैं।
  • पारिवारिक संरचना में बदलाव और सामाजिक समर्थन की कमी: पारिवारिक संरचना में बदलाव के कारण वृद्ध लोगों में मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और वित्तीय असुरक्षा उत्पन्न हुई है।

  • सामाजिक असमानता: ग्रामीण-शहरी क्षेत्रीय विभाजन, लिंग-आधारित असमानता और जाति-आधारित भेदभाव भी वृद्ध देखभाल सुविधाओं को प्रभावित करते हैं।
  • अपर्याप्त वृद्ध-अनुकूल बुनियादी ढाँचा: सुलभ परिवहन, दिव्यांग-अनुकूल शौचालय, सुलभ भवन, व्हीलचेयर, रैंप, चौड़े दरवाजे जैसे सुलभ भौतिक बुनियादी ढाँचे की कमी वृद्ध लोगों के सामाजिक समावेश में एक बड़ी बाधा है।

आर्थिक डोमेन

  • एक सार्वभौमिक और व्यापक वित्तीय सहायता प्रणाली की आवश्यकता: 20% से भी कम वृद्ध आबादी के पास किसी भी प्रकार का स्वास्थ्य बीमा कवर है और उनमें से लगभग 78% बिना किसी पेंशन के जीवनयापन कर रहे हैं।
  • अपर्याप्त वित्तीय साक्षरता और उपलब्ध वित्तीय योजनाओं के बारे में जागरूकता: वित्तीय निरक्षरता और डिजिटल विभाजन के कारण वित्तीय सहायता योजनाओं के बारे में जागरूकता की कमी है।
  • आजीवन वित्तीय नियोजन में सहायता की कमी: भारत में अधिकतर आबादी, वयस्क जीवन यापन के लिए या दीर्घकालिक देखभाल के लिए पर्याप्त बचत, बीमा या सार्वजनिक या निजी पेंशन के बिना ही वृद्ध हो जाती है। भारत में लगभग 70% वृद्ध आबादी रोजमर्रा के भरण-पोषण के लिए परिवार पर निर्भर है।

डिजिटल डोमेन

  • अपर्याप्त डिजिटल पहुँच: वरिष्ठ नागरिक देश की आबादी का लगभग 8.6% हैं और 3% से कम इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं।
  • वृद्धों के लिए डिजिटल प्रशिक्षण मॉड्यूल की कमी: हेल्प एज इंडिया के विश्लेषण से पता चलता है कि शहरी वृद्ध लोग, स्मार्टफोन तक पहुँच होने के बावजूद, बुनियादी बातों से परे उनका उपयोग करना नहीं जानते हैं।

सिल्वर इकॉनमी (Silver Economy)

  • ‘सिल्वर इकॉनमी’ का तात्पर्य वृद्ध नागरिकों से संबंधित सार्वजनिक और उपभोक्ता व्यय से उत्पन्न होने वाले आर्थिक अवसरों से है।
  • इसमें वे उत्पाद एवं सेवाएँ शामिल हैं जिन्हें वे प्रत्यक्ष तौर पर खरीदते हैं और वे अप्रत्यक्ष आर्थिक गतिविधियाँ, जिन्हें वे प्रोत्साहित करते हैं।
  • भारत की सिल्वर इकॉनमी वर्तमान में लगभग 73,082 करोड़ रुपये होने का अनुमान है और आने वाले वर्षों में इसके कई गुना बढ़ने की उम्मीद है।

भारत सरकार ने सिल्वर इकॉनमी के विचार को बढ़ावा देने के लिए पहल शुरू की है:

  • सीनियर एबल सिटिजन्स फॉर री एम्प्लॉयमेंट इन डिग्निटी (Senior Able Citizens for Re-Employment in Dignity- SACRED) पोर्टल: यह वरिष्ठ नागरिकों को निजी क्षेत्र में नौकरी प्रदाताओं से जोड़ेगा। इस पोर्टल को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (भारत सरकार) द्वारा विकसित किया गया है।
    • 60 वर्ष से अधिक आयु के नागरिक पोर्टल पर पंजीकरण कर सकते हैं और नौकरी और काम के अवसर पा सकते हैं।
  • सीनियर एजिंग ग्रोथ इंजन (Senior Ageing Growth Engine- SAGE) पहल: यह वरिष्ठ देखभाल संबंधी उत्पादों और सेवाओं को बढ़ावा देती है और प्रोत्साहित करती है। SAGE पोर्टल स्टार्टअप के जरिए वृद्धों की देखभाल में उपयोग होने वाले उत्पादों एवं सेवाओं को प्रदान करने  वाला ‘वन-स्टॉप एक्सेस’ है।

वरिष्ठ देखभाल सहायता प्रणाली के विकास के लिए कार्य योजना

स्वास्थ्य सशक्तीकरण और समावेशन

  • स्वास्थ्य साक्षरता संवर्धन: वरिष्ठ नागरिकों और उनकी देखभाल करने वालों के बीच स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान में सुधार करना।
  • वृद्धावस्था स्वास्थ्य देखभाल सुदृढ़ीकरण: विशेष सेवाओं सहित मौजूदा स्वास्थ्य देखभाल ढाँचे के भीतर वृद्ध देखभाल सेवाओं को एकीकृत करना।
  • बुनियादी ढाँचा और कार्यबल विकास: वृद्धों की जरूरतों को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं को उन्नत करना और स्वास्थ्य कर्मियों के कौशल को बढ़ाना।
  • मानसिक स्वास्थ्य और आपातकालीन सेवाएँ: वरिष्ठ नागरिकों के मानसिक कल्याण और आपातकालीन प्रतिक्रिया पर ध्यान केंद्रित करना।
  • पोषण और समग्र स्वास्थ्य: संबंधित पहलों के माध्यम से आहार संबंधी आवश्यकताओं को संबोधित करना और व्यापक वरिष्ठ देखभाल के लिए आयुष प्रणालियों को एकीकृत करना।

सामाजिक समावेशन और सशक्तीकरण

  • सामुदायिक संवेदीकरण: एक सहायक समुदाय को बढ़ावा देने के लिए वृद्धों की जरूरतों एवं चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
  • सहकर्मी सहायता समूह: वृद्धों के लिए अनुभव साझा करने और एक-दूसरे का समर्थन करने के लिए नेटवर्क बनाना।
  • कानूनी और कल्याण जागरूकता: वृद्धों को उनके अधिकारों, कानूनी सुरक्षा उपायों और उपलब्ध कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जानकारी देना।
  • कानूनी सुधार: वृद्धों के कल्याण के लिए मौजूदा कानूनों को मजबूत करना और भरण-पोषण न्यायाधिकरणों में मामलों का त्वरित समाधान सुनिश्चित करना।
  • आवास और देखभाल गृह सुधार: वृद्धों के अनुकूल रहने की स्थिति और वरिष्ठ देखभाल सुविधाओं में सुधार करना।
  • केंद्रीकृत वरिष्ठ देखभाल पोर्टल: वरिष्ठ देखभाल सेवाओं के लिए एक व्यापक ऑनलाइन संसाधन विकसित करना और देखभाल अर्थव्यवस्था क्षेत्र को बढ़ावा देना।

वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए भारत सरकार द्वारा महत्त्वपूर्ण योजनाएँ

  • अटल वयो अभ्युदय योजना (AVYAY): पहले AVYAY को वरिष्ठ नागरिकों के लिये राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPSrc) के रूप में जाना जाता था, जिसे अप्रैल 2021 में नया रूप दिया गया और इसका नाम बदलकर अटल वयो अभ्युदय योजना कर दिया गया। यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसका उद्देश्य भारत में वरिष्ठ नागरिकों को सशक्त बनाना है। यह वरिष्ठ नागरिकों को चार बुनियादी जरूरतें प्रदान करती है:- वित्तीय सुरक्षा, भोजन, स्वास्थ्य देखभाल और सम्मान युक्त जीवन।
  • प्रधानमंत्री वय वंदन योजना: इसका उद्देश्य अनिश्चित बाजार स्थिति के कारण वृद्ध व्यक्तियों को भविष्य में उनकी ब्याज संबंधी आय में गिरावट से सुरक्षित करना है।
  • प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना: यह योजना 18-70 वर्ष की आयु के लोगों के लिए उपलब्ध है, जिसमें आकस्मिक मृत्यु के मामले में 2 लाख और आंशिक स्थायी दिव्यांगता के मामले में 1 लाख का जोखिम कवरेज है।
  • अटल पेंशन योजना: यह सभी भारतीयों, विशेषकर गरीबों, वंचितों, असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए पेंशन के रूप में एक सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा प्रणाली प्रदान करती है।
  • वरिष्ठ पेंशन बीमा योजना: एकमुश्त राशि के भुगतान पर ग्राहकों को गारंटीकृत पेंशन सुनिश्चित करती है।
  • राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम: यह एक ऐसी योजना है, जिसके तहत BPL श्रेणी के वृद्धों, विधवाओं और विकलांग व्यक्तियों को 200 रुपये से 500 रुपये प्रति माह तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

आर्थिक सशक्तीकरण और समावेशन

  • पुनः कौशल विकास: बेहतर रोजगार के अवसरों के लिए वृद्धों के कौशल को अद्यतन करने के लिए कार्यक्रम पेश करना।
  • सार्वजनिक निधि कवरेज: वृद्धों को आर्थिक रूप से समर्थन देने के लिए सार्वजनिक निधि और बुनियादी ढाँचे की पहुँच का विस्तार करना।
  • बचत योजनाएँ: वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उन लोगों के लिए अनिवार्य बचत योजनाएँ लागू करना, जो उन्हें वहन कर सकते हैं।
  • रिवर्स मॉर्टगेज: वरिष्ठ नागरिकों की तरलता बढ़ाने के लिए ‘रिवर्स मॉर्टगेज’ तंत्र का उपयोग करना।
  • कर सुधार: आसानी से अपनाने और वित्तीय राहत के लिए वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल से संबंधित उत्पादों पर कर एवं GST नीतियों को समायोजित करना।

  • वृद्धावस्था स्वास्थ्य बीमा: वृद्धों के लिए लक्षित स्वास्थ्य बीमा उत्पाद विकसित करने के लिए निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करना।
  • वरिष्ठ देखभाल के लिए पूँजी: वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल से संबंधित क्षेत्र में तरलता और निवेश को बढ़ावा देना।

डिजिटल  सशक्तीकरण और समावेशन

  • किफायती पहुँच: डिजिटल उपकरणों को अधिक सुलभ बनाने के लिए वरिष्ठ नागरिकों को इन उत्पादों के लिए छूट देना।
  • डिजिटल साक्षरता: वृद्धों के बीच डिजिटल कौशल को बढ़ावा देने के लिए लक्षित अभियान एवं कार्यशालाएँ शुरू करना।
  • प्रौद्योगिकी उपयोग: नियमित वरिष्ठ देखभाल प्रक्रियाओं के लिए AI, IoT, बिग डेटा और ‘मशीन लर्निंग’ का लाभ उठाया जा सकता है।

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