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वन्यजीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर 14वाँ COP

Lokesh Pal February 21, 2024 12:10 155 0

संदर्भ

वन्यजीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण (Conservation of Migratory Species of Wild Animals- CMS) के पक्षकारों के 14वें सम्मेलन का समापन समरकंद, उज्बेकिस्तान में हुआ, जिसमें 14 प्रवासी प्रजातियों को सूचीबद्ध करने की सिफारिश की गई है।

संबंधित तथ्य 

  • CMS परिशिष्ट I और II में संशोधन के प्रस्तावों पर चर्चा की गई और इन संशोधनों को स्वीकार करने के लिए समग्र समिति (Committee of the Whole-COW) या राष्ट्रों द्वारा सिफारिश की गई है।
  • इसका उद्देश्य मौजूदा आबादी को बनाए रखना और प्रवास संबंधी बाधाओं को हटाकर प्रवासी प्रजातियों के बीच संपर्क को बेहतर बनाना है, जिससे प्रभावी प्रवासन सुनिश्चित किया जा सके।
  • थीम: ‘प्रकृति की कोई सीमा नहीं होती’ या ‘नेचर नोज नो बॉर्डर’ (Nature Knows No Border)

कमिटी ऑफ द होल (COW)

  • यह CMS का निर्णय लेने वाला मुख्य निकाय हैI
  • यह सचिवालय के कार्यों की समीक्षा हेतु बैठक आयोजित करती है।
  • COW सम्मेलन के सदस्यों के बीच सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

CMS के बारे में

  • CMS को बॉन कन्वेंशन के रूप में भी जाना जाता है, यह संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme-UNEP) के तहत एक अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संधि है।
  • प्रारंभ: यह 1 नवंबर, 1983 को लागू हुई।
  • सदस्य : 1 मार्च,  2022 तक, प्रवासी प्रजातियों के सम्मेलन में 133 सदस्य थे।
    • हालाँकि कई राष्ट्र, सम्मेलन के सदस्य नहीं हैं, वह एक या अधिक समझौतों में शामिल हैं और उन्होंने एक या अधिक समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं।

  • उद्देश्य
    • वन्यजीवों की प्रवासी प्रजातियों और उनके आवासों का उनकी सीमाओं में संरक्षण करना।
    • विभिन्न राष्ट्रों (जिन राष्ट्रों में प्रजाति रहती है) के बीच सहयोग करके संरक्षण योजनाएँ विकसित और कार्यान्वित करना।

महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • CMS एकमात्र संयुक्त राष्ट्र आधारित और वैश्विक संगठन है, जिसे विशेष रूप से वायवीय , स्थलीय और जलीय प्रवासी प्रजातियों के प्रबंधन और संरक्षण के लिए स्थापित किया गया था।

  • प्रजातियों का वर्गीकरण: इसमें प्रवासी प्रजातियों को सूचीबद्ध करने के लिए दो परिशिष्ट हैं।
    • परिशिष्ट (Appendix) I: प्रवासी प्रजातियाँ, जिन्हें उनके पूरे या उनके वितरण के महत्त्वपूर्ण हिस्से में विलुप्त होने का खतरा पाया जाता है।
    • परिशिष्ट (Appendix) II: प्रवासी प्रजातियाँ, जिनकी संरक्षण स्थिति प्रतिकूल है और जिन्हें अंतरराष्ट्रीय संरक्षण तथा प्रबंधन समझौतों की आवश्यकता है।
    • नोट : परिशिष्ट I और II को पक्षकारों के सम्मेलन की किसी भी बैठक में संशोधित किया जा सकता है। संशोधनों में प्रवासी प्रजातियों या उनकी आबादी को परिशिष्टों में जोड़ना या हटाया जाना शामिल है।

प्रवासी प्रजातियाँ क्या हैं?

  • CMS के अनुसार, प्रवासी प्रजातियाँ वे जीव हैं, जो भोजन, तापमान, आश्रय इत्यादि की तलाश में प्रवास क्षेत्रों के बीच नियमित, चक्रीय यात्राएँ करते हैं।

14वें CMS के मुख्य परिणाम

  • 14 प्रवासी प्रजातियों को सूचीबद्ध करने के प्रस्ताव:
    • यूरेशियन लिंक्स (Eurasian Lynx), पेरुवियन पेलिकन, पलास की बिल्ली, गुआनाको, लाहिले की बॉटलनोज डॉल्फिन, हार्बर पोर्पोइज (Harbour Porpoise), मैगेलैनिक प्लोवर, बेयर्ड  गिद्ध, ब्लैकचिन गिटारफिश, बुल रे (Bull  Ray), लुसिटानियन काउ नोज  रे  (Lusitanian Cow Nose Ray) और गिल्डेड कैटफिश।

भारत और CMS (बॉन कन्वेंशन)

  • भारत वर्ष 1983 से CMS का हस्ताक्षरकर्ता रहा है।
  • भारत ने CMS के साथ रैप्टर्स, डुगोंग, साइबेरियन क्रेन और समुद्री कछुओं के संरक्षण तथा प्रबंधन पर एक गैर-कानूनी बाध्यकारी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
  • भारत विश्व के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के केवल 2.4% हिस्से के बावजूद वैश्विक जैव विविधता में लगभग 8% का योगदान देता है। यह भारत को दुनिया के 12 मेगा विविधता वाले राष्ट्रों में से एक बनाता है।
    • भारत में महत्त्वपूर्ण पक्षी उड़ान मार्गों के नेटवर्क का एक बड़ा हिस्सा है, जैसे कि मध्य एशियाई उड़ान मार्ग
    • अमूर फाल्कन, ब्लैक-नेक्ड क्रेन, डुगोंग, हंपबैक व्हेल्स इत्यादि प्रवासी प्रजातियों को भारत में अस्थायी आश्रय प्रदान किया जाता है।

  • महत्त्वपूर्ण सिफारिशें
    • इंडियन स्कीमर: 14वें CoP ने अफ्रीकी-यूरेशियन क्षेत्र में प्रवासी स्थलीय पक्षी प्रजातियों की संरक्षण स्थिति में सुधार के लिए एक कार्य योजना को अपनाया है।
      • भारत और बांग्लादेश ने इंडियन स्कीमर को CMS के तहत सूचीबद्ध करने के लिए एक संयुक्त प्रस्ताव प्रस्तुत किया है।
      • इसमें नदियों और तटीय आवासों से जुड़ी समस्याओं को भी रेखांकित किया गया है, साथ ही इस बात की भी संभावना जताई गई है कि दक्षिण-पूर्व एशिया में वर्ष 2020 की शुरुआत में देखी गई तीव्र गिरावट के बाद यह प्रजाति विलुप्त हो सकती है।
  • हॉक्सबिल कछुआ: CMS के 14वें CoP ने दक्षिण-पूर्व एशिया और पश्चिमी प्रशांत महासागर क्षेत्र में हॉक्सबिल कछुए के संरक्षण के लिए एकल प्रजाति कार्य योजना (Single Species Action Plan) को अपनाया है।
    • इसमें चिंता व्यक्त की गई है कि हॉक्सबिल कछुए को वर्ष 2008 में IUCN की संकटग्रस्त प्रजातियों की लाल सूची के तहत गंभीर रूप से संकटग्रस्त (Critically Endangered) की सूची में रखा गया था।

एकल प्रजाति कार्य योजना

  • एकल प्रजाति कार्य योजना का उद्देश्य महत्त्वपूर्ण जीव प्रजातियों के संरक्षण पर होने वाले संभावित प्रभावों को कम करना और यह सुनिश्चित करना है कि परियोजना को पर्यावरण की दृष्टि से स्वीकार्य तरीके से विकसित किया जाए।

    • एंजेल शार्क (Angle Shark): एक अन्य चर्चा में, CoP-14 ने भूमध्य सागर में एंजेल शार्क के लिए एकल प्रजाति कार्य योजना को भी अपनाया है।
      • यह IUCN की संकटग्रस्त प्रजातियों की लाल सूची के अंतर्गत भी गंभीर रूप से संकटग्रस्त है।
    • यूरेशियन लिंक्स और बाल्कन लिंक्स : कन्वेंशन के परिशिष्ट II में यूरेशियन लिंक्स और बाल्कन लिंक्स को शामिल करने का प्रस्ताव उत्तरी मैसिडोनिया द्वारा किया गया था।
      • उद्देश्य: सुरक्षा प्रयासों का उद्देश्य मौजूदा आबादी को बनाए रखना और प्रभावी प्रवासन के लिए कनेक्टिविटी में सुधार करना है।
      • प्रस्तावक राष्ट्र : अल्बानिया और तुर्कमेनिस्तान ने प्रस्ताव का समर्थन किया और इसे अपनाने की सिफारिश की।
    • गुआनाको (Guanaco) : COW ने गुआनाको को कन्वेंशन के परिशिष्ट II में शामिल करने के प्रस्ताव की भी सिफारिश की।
      • उद्देश्य: अपने निवास स्थान की सुरक्षा करना, आबादी को बहाल करना और आबादी के बीच संबंध बनाए रखना।
    • हार्बर पोरपोइस (फोकैना फोकैना): हार्बर पोरपोइस को परिशिष्ट I में शामिल करने का प्रस्ताव यूरोपीय संघ द्वारा प्रस्तुत किया गया था।
    • पेरुवियन पेलिकन (पेलेकेनस थैगस): परिशिष्ट I और II में शामिल करने के प्रस्ताव की सिफारिश की गई थी।

अन्य जानकारी : अन्य महत्त्वपूर्ण प्रजातियाँ

इंडियन स्कीमर

  • मूल राष्ट्र : भारत, बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान, म्याँमार और वियतनाम।
  • पर्यावास: तटीय मुहाने, झीलें, मुहाने, दलदल।
  • IUCN: संकटग्रस्त (Endangered) (EN)।
  • वितरण: पूर्वी और पश्चिमी भारत, ज्यादातर मध्य भारत में चंबल नदी के किनारे।

हॉक्सबिल कछुआ

  • IUCN: गंभीर संकटग्रस्त (Critically Endangered) (CR)।
  • पर्यावास: उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र में मुख्य भूमि के रेतीले समुद्र तट।
  • परिपक्वता: धीमी और अनुमानित 25-40 वर्ष के बीच।
  • वितरण: अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह, तमिलनाडु और उड़ीसा के तट।

एंजेल शार्क

  • IUCN: गंभीर संकटग्रस्त (Critically Endangered) (CR)।

  • वितरण: नॉर्वे, स्वीडन, मोरक्को, भूमध्य और काला सागर से पूर्वोत्तर अटलांटिक तक।
  • पर्यावास: समशीतोष्ण और उष्णकटिबंधीय समुद्री वातावरण में निवास स्थान।

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