प्रत्येक वर्ष 19 फरवरी को छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती/शिव जयंती (Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti / Shiv Jayanti) मनाई जाती है।
संबंधित तथ्य
इस वर्ष 2024 में शिवाजी महाराज की 394वीं जयंती मनाई गई है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
जन्म: शिवाजी महाराज का मूल नाम शिवाजी भोसले था। उनका जन्म 1630 ईसवी में शिवनेरी किले (Shivneri Fort) में हुआ था।
मराठा साम्राज्य के संस्थापक: उन्होंने बीजापुर की आदिलशाही सल्तनत के अंतर्गत एक प्रशासनिक क्षेत्र का प्रशासन कार्य सँभाला, जिसे मराठा साम्राज्य के शुरुआती क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया गया।
प्रशासनिक राजधानी:रायगढ़ किला (उन्होंने अपनी मृत्यु तक यहीं से शासन किया)।
पहाड़ी किले: शिवाजी महाराज ने तोरणा का किला (Torna fort), रायगढ़ (Raigad) एवं कोंढाना किलों (Kondana forts) आदि को विजित कर लिया था। उन्होंने सामरिक स्थानों पर अवस्थित कई महत्त्वपूर्ण किलों की मरम्मत भी की।
नौसेना बल: उन्होंने यह सुनिश्चित किया था कि मराठा साम्राज्य के समुद्री व्यापार की रक्षा के लिए कोंकण तट पर एक मजबूत नौसैनिक बेड़ा स्थापित किया जाए। (भारतीय नौसेना का नया ध्वज शिवाजी महाराज की नौसैनिक क्षमता से प्रेरित हैI)
राजस्व प्रशासन: शिवाजी महाराज ने रैयतवारी प्रणाली (Ryotwari System) लागू की थी। राजस्व प्रणाली काठी प्रणाली (Kathi system) पर आधारित थी, जिसमें भूमि के प्रत्येक टुकड़े को रॉड या काठी द्वारा मापा जाता था।
मराठा प्रशासन में चौथ एवं सरदेशमुखी आय के स्रोत थे।
चौथ कुल राजस्व का 1/4 भाग था जिसे गैर-मराठा क्षेत्रों से मराठा आक्रमण से बचने के बदले में वसूला जाता था।
सरदेशमुखी राज्य के बाहर के क्षेत्रों से माँगी जाने वाली 10% की अतिरिक्त उगाही थी।
सैन्य प्रशासन: शिवाजी ने एक कुशल सेना की स्थापना की एवं सैनिकों को नकद एवं उच्च पदस्थ अधिकारियों को जागीर अनुदान (सरंजम) के माध्यम से भुगतान किया करते थे।
शिवाजी महाराज की सेना में पैदल सेना, घुड़सवार सेना एवं नौसेना शामिल थी।
अत्यधिक गतिशील, किसान चरवाहों (कुनबियों) के समूहों ने मराठा सेना को मजबूती प्रदान की थी।
हिंदुओं के लिए स्व-शासन/हिंदवी स्वराज्य: वह हिंदवी स्वराज्य (हिंदुओं के लिए स्व-शासन) के ध्वज तले विभिन्न समुदायों को एकजुट किया, जिससे उन्हें दक्कन क्षेत्र में एक दुर्जेय साम्राज्य बनाने में मदद मिली।
प्रतापगढ़ का युद्ध
यह युद्ध मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज और आदिलशाही सेनापति अफज़ल खान की सेनाओं के बीच महाराष्ट्र के सतारा शहर के पास प्रतापगढ़ के किले में लड़ा गया था।
यह विजय शिवाजी की पहली महत्त्वपूर्ण विजय का प्रतिनिधित्व करती है।
प्रतापगढ़ की लड़ाई एक निर्णायक मोड़ के रूप में खड़ी हुई, जिसने दक्कन में मुगलों एवं मराठों के बीच लंबे समय तक संघर्ष के लिए मंच तैयार किया था।
जयंती का महत्त्व
प्रशासन और शासन पर जोर: उनका शासन एक विकेंद्रीकृत प्रशासनिक प्रणाली, सशक्त स्थानीय सरदारों एवं स्थानीय स्वशासन को बढ़ावा देने को रेखांकित करता था।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जयंती की भूमिका: यह उत्सव वर्ष 1870 में पुणे में महात्मा फुले के नेतृत्व में शुरू हुआ था, जिसे बाद में बाल गंगाधर तिलक का समर्थन मिला।
तिलक ने प्रतिकूल परिस्थितियों में लोगों को प्रभावित करने के लिए साहस एवं दृढ़ता पर जोर देते हुए शिवाजी महाराज के योगदान पर प्रकाश डाला था।
शिवाजी का अष्टप्रधान मंडल: शासन का एक अनुकरणीय नमूना
शिवाजी महाराज के पास राज्य की कुशलतापूर्वक देखभाल के लिए 8 मंत्रियों (अष्टप्रधान मंडल) की एक परिषद थी।
अष्टप्रधान मंडल मराठा साम्राज्य में एक प्रशासनिक परिषद थी। इसके सदस्य शासन, अर्थव्यवस्था, रक्षा एवं संस्कृति के लिए जिम्मेदार थे।
अष्टप्रधान में आठ मंत्री शामिल थे-
पेशवा (प्रधानमंत्री)
अमात्य (वित्त मंत्री)
सचिव (सचिव)
मंत्री (विदेश मंत्री)
सेनापति (सशस्त्र बल का सर्वोच्च कमांडर)
सुमंत (नौसेना मामले)
न्यायाधीश (न्याय के सिद्धांतों को बरकरार रखा)
पंडित राव (सांस्कृतिक और धार्मिक मामलों के लिए जिम्मेदार)
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