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भारत में शीतकालीन वायु गुणवत्ता पर ला नीना का प्रभाव

Lokesh Pal February 21, 2024 05:25 168 0

संदर्भ

एल्सेवियर जर्नल (Elsevier Journal) में प्रकाशित हालिया अध्ययन में इस बात पर जोर दिया गया है कि स्थानीय उत्सर्जन के अलावा, तेजी से बदलती जलवायु भारत में वायु गुणवत्ता को प्रभावित करने वाला एक महत्त्वपूर्ण कारक है।

संबंधित तथ्य

  • यह अध्ययन राष्ट्रीय उन्नत अध्ययन संस्थान (National Institute of Advanced Studies), बेंगलुरु एवं भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Tropical Meteorology), पुणे द्वारा आयोजित किया गया था।
  • वायु गुणवत्ता पर ला नीना का प्रभाव: अध्ययन में बताया गया है कि वर्ष 2022 की शीत ऋतु  में कुछ भारतीय शहरों में असामान्य वायु गुणवत्ता का एक कारण उस समय प्रचलित ला नीना का प्रभाव था।

  • यह पहली बार है कि भारतीय शहरों में वायु गुणवत्ता को ला नीना (La Nina) घटना से जोड़ा गया है और अप्रत्यक्ष रूप से जलवायु परिवर्तन से, जो  अल नीनो (El Nino) एवं ला नीना (La Nina) को और अधिक गंभीर बना रहा है।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष

  • वर्ष 2022 में सामान्य स्थिति में विसंगति (Anomaly): मुंबई, बेंगलुरु और चेन्नई जैसे पश्चिम भारतीय एवं दक्षिण भारतीय शहरों में वायु की गुणवत्ता सामान्य से अधिक खराब रही है , इसके विपरीत दिल्ली सहित उत्तरी भारतीय शहरों में वायु गुणवत्ता  सामान्य से अधिक स्वच्छ रही है।
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2022 की सर्दियों में गाजियाबाद में PM2.5 सांद्रता में सामान्य स्तर से लगभग 33% की कमी देखी गई, जबकि दिल्ली में लगभग 10% की कमी देखी गई, जबकि मुंबई में PM2.5 में 30% की वृद्धि देखी गई एवं बेंगलुरु में 20% की वृद्धि दर्ज की गई।
  • ट्रिपल डिप ला नीना (Triple Dip La Nina): शोधकर्ताओं ने ला नीना (La Nina) के परिणामस्वरूप वैश्विक वायु परिसंचरण (Global Air Circulation) डेटा का उपयोग किया एवं इसे भारतीय क्षेत्र में वायु के पैटर्न के साथ लिंक करके अध्ययन किया।
    • इन विषम वायु पैटर्न ने प्रचलित ला नीना (La Nina) स्थितियों के प्रति तीव्र संवेदनशीलता दिखाई और जब ये स्थितियाँ मौजूद नहीं थीं तो वायु पैटर्न सामान्य अवस्था में था।

ला नीना (La Niña) 

  • स्पेनिश भाषा में ला नीना का अर्थ होता है छोटी लड़की। इसे एंटी-अल नीनो या ‘एक शीत घटना’ भी कहा जाता है। ला नीना घटनाएँ पूर्व-मध्य विषुवतीय प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में औसत समुद्री सतही तापमान (SST) से निम्न तापमान को दर्शाती हैं।
    • इसे समुद्र की सतह के तापमान में कम-से-कम पाँच क्रमिक त्रैमासिक अवधि में 0.9°F से अधिक की कमी द्वारा दर्शाया जाता है।
  • जब पूर्वी प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में जल का तापमान सामान्य की  तुलना में कम हो जाता है तो ला नीना की घटना देखी जाती है, जिसके परिणामस्वरूप पूर्वी विषुवतीय प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में एक उच्च दाब की स्थिति उत्पन्न होती है।
  • प्रभाव: अल नीनो के विपरीत, इंडोनेशिया एवं दक्षिण एशिया में अधिक वर्षा होती है जबकि मध्य एवं पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में यह कम हो जाती है।
    • भूमध्य रेखा पर चलने वाली सामान्य पूर्वी हवाएँ और भी तेज हो जाती हैं।

ट्रिपल डिप ला नीना (Triple Dip La Nina)

  • यह एक दुर्लभ मौसमी घटना है, जहाँ ला नीना की स्थिति लगातार 3 वर्षों तक बनी रहती है।
  • वर्ष 2020 से वर्ष 2023 तक: इस अवधि के दौरान ‘ट्रिपल डिप’ ला नीना घटना देखी गई, इससे पहले ‘ट्रिपल डिप’ ला नीना घटना वर्ष 1998 से 2001 के मध्य घटित हुई थी।

भारत मेंट्रिपल डिप ला नीनाका प्रभाव

  • इसके कारण सामान्य से अधिक एवं लंबे समय तक मानसून का प्रभाव बना रहा। उदाहरण: वर्ष 2022 का मानसून सीजन पूरे भारत में छह प्रतिशत से अधिक वर्षा के साथ समाप्त हुआ एवं अक्टूबर तक वर्षा हुई।
  • इस अवधि में भारत के कई राज्यों में, विशेष रूप से मौसम के उत्तरार्द्ध में, अत्यधिक वर्षा की कई घटनाएँ हुईं जिनके परिणामस्वरूप बाढ़, फ्लैस फ्लड एवं भूस्खलन देखा गया।

ला नीना (La Nina) ने वायु गुणवत्ता को कैसे प्रभावित किया है?

  • वायु की दिशा में बदलाव: शीत ऋतु के दौरान वायु की सामान्य दिशा यानी उत्तर-पश्चिमी दिशा बदलकर उत्तर-दक्षिण दिशा में परिवर्तित हो गई।
  • परिणामस्वरूप, पंजाब एवं हरियाणा से पराली जलाने से प्रदूषक तत्त्व एवं धुआँ दिल्ली और गंगा के मैदानी इलाकों को पार करते हुए राजस्थान एवं गुजरात से होते हुए दक्षिणी क्षेत्रों की ओर बढ़ गया।
  • मुंबई के पास स्थानीय पवन परिसंचरण में विचलन: वर्ष 2022 में, स्थानीय हवाएँ प्रत्येक चार से पाँच दिनों में दिशा बदलने के बजाय एक सप्ताह या 10 दिनों से अधिक समय तक एक दिशा में बनी रहीं।
    • वायु धाराएँ एक निश्चित अवधि में स्थल से समुद्र की ओर तथा समुद्र से स्थल की ओर बहती रहती हैं।
    • इससे मुंबई में प्रदूषक तत्त्वों का संचय बढ़ जाता है और जब हवाएँ स्थल से समुद्र की ओर चलने लगती हैं तो वे प्रदूषकों को शहर से बाहर ले जाती हैं।

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