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गॉड पार्टिकल के जनक सत्येन्द्र नाथ बोस

Lokesh Pal February 21, 2024 05:37 176 0

संदर्भ

हाल ही में कोलकाता में स्थितएस.  एन. बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज (S N Bose National Centre for Basic Sciences) द्वारा फोटोनिक्स (Photonics), क्वांटम सूचना (Quantum Information) और क्वांटम संचार (Quantum Communication) पर पाँच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।

संबंधित तथ्य 

क्वांटम यांत्रिकी के क्षेत्र में एस. एन. बोस के अलावा प्लैंक (1900), आइंस्टीन (1905) और नील्स बोर (1913) ने महत्त्वपूर्ण कार्य किया है।

सत्येन्द्र नाथ बोस का परिचय 

  • बोस एक भारतीय गणितज्ञ, भौतिक विज्ञानी और सैद्धांतिक भौतिकी के विशेषज्ञ थे। गॉड पार्टिकल के मानक मॉडल को बेहतर बनाने में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान है।
  • उनका जन्म कोलकाता शहर में 1894 ईस्वी में हुआ था।

  • शैक्षणिक जीवन: 15 वर्ष की आयु में उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज से विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की तथा वर्ष 1915 में मिक्स्ड मैथमेटिक्स (Mixed Mathematics) में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की।
  • उन्हें अपने शैक्षणिक जीवन में जगदीश चंद्र बोस और प्रफुल्ल चंद्र रे जैसे महान लोगों से प्रेरणा मिली।
  • कार्यकाल: प्रसिद्ध खगोल वैज्ञानिक मेघनाद साहा के साथ कलकत्ता विश्वविद्यालय में व्याख्याता के रूप में कार्यरत रहे।
    • बोस और साहा ने अल्बर्ट आइंस्टीन के विशेष और सामान्य सापेक्षता शोध पत्रों (Albert Einstein’s Special and General Relativity Papers) के अंग्रेजी अनुवाद को प्रकाशित किया।
    • अल्बर्ट आइंस्टीन और मैरी क्यूरी के साथ एक्स-रे (X-ray) और क्रिस्टलोग्राफी प्रयोगशालाओं (Crystallography Laboratories) में उन्होंने दो वर्ष तक कार्य किया। वर्ष 1927  में भारत लौटकर वे ढाका विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हुए एवं बाद में विभागाध्यक्ष भी बने।
    • वर्ष 1945 में उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य शुरू किया तथा वे वर्ष 1956 में सेवानिवृत्त हो गए।
    • उन्होंने वर्ष 1956-58 तक विश्वभारती के कुलपति का पद सँभाला।
  • उल्लेखनीय खोज: उन्होंने क्लासिकल इलेक्ट्रोडायनामिक्स (Electrodynamics) के संदर्भ के बिना ब्लैक बॉडी विकिरण (Black Body Radiation) (जो किसी भी गर्म वस्तु द्वारा उत्सर्जित प्रकाश को संदर्भित करता है) के लिए प्लैंक का नियम (Planck’s Law) को सिद्ध कर दिया था।
    • बोस ने वर्ष 1924 में अल्बर्ट आइंस्टीन से अपने शोध पत्र की समीक्षा करने का आग्रह किया।
    • बोस के प्राप्त निष्कर्षों से प्रभावित होकर आइंस्टीन ने उनके शोध पत्र को प्रकाशित करवाया तथा स्वयं इसका जर्मन भाषा में अनुवाद भी किया
  • उनका निधन 80 वर्ष की आयु में 4 फरवरी, 1974 को दिल का दौरा पड़ने से हो गया।

सत्येन्द्र नाथ बोस की उपलब्धियाँ 

  • वर्ष 1954 में भारत सरकार ने देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से बोस को सम्मानित किया।
  • उन्हें राष्ट्रीय प्रोफेसर का दर्जा दिया गया,  जो विद्वानों के लिए भारत में सर्वोच्च सम्मान के रूप में माना जाता है।
  • रबीन्द्रनाथ टैगोर ने विज्ञान पर अपनी एकमात्र पुस्तकविश्व परिचय (Vishwa Parichay) की प्रति बोस को समर्पित की।
  • वे वर्ष 1952 से वर्ष 1958 तक राज्यसभा के सदस्य रहे।
  • बोस को भौतिकी के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था।
  • एस. एन. बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज, कोलकाता की स्थापना: इसकी स्थापना प्रोफेसर एस.एन. बोस के जीवन और कार्य का सम्मान करने के लिए वर्ष 1986 में भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के तहत एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान के रूप में की गई थी।
  • सत्येन्द्र नाथ बोस के नाम परबोसॉनका नामकरण: भौतिकी में बोसॉन कण को परमाणु के प्राथमिक कणों के एक वर्ग के रूप में जाना जाता है, जिसका नामकरण बोस के नाम पर किया गया, जो उनके महत्त्वपूर्ण योगदान को प्रदर्शित करता है।

सत्येन्द्र नाथ बोस का योगदान

  • बोस-आइंस्टीन कंडेनसेट (Bose-Einstein Condensate): इस सिद्धांत में भविष्यवाणी की गई है कि परम शून्य (Absolute Zero) तापमान के करीब सभी कण एक ही अवस्था में संघनित हो जाएँगे, जिसे बोसॉन (Boson) कहा जाता है। इसे पदार्थ की पाँचवी अवस्था के रूप में भी जाना जाता है।
  • प्लैंक का नियम (Planck’s Law):  इसकी खोज मैक्स प्लैंक (Max Planck) द्वारा की गई थी। प्लैंक का नियम सही था, परन्तु इसका डेरीवेशन सही नहीं था।
    • विकिरण को फोटॉन गैस के रूप में माना जा सकता है, जिसके कणों की गणना के लिए नई सांख्यिकीय तकनीकों का उपयोग किया जाता है, इस प्रकार बोस ने प्लैंक के नियम से एक नए डेरीवेशन की व्याख्या की।
  • बोस-हबर्ड मॉडल (Bose-Hubbard Model): उनके कार्य ने बोस-हबर्ड मॉडल के विकास में उल्लेखनीय योगदान किया है, जो ऑप्टिकल लैटिश (Optical Lattice) में कम तापमान पर परमाणुओं की गतिविधियों का वर्णन करता है।
    • इसका उपयोग क्वांटम कंप्यूटिंग (Quantum Computing) और क्वांटम सिमुलेशन (Quantum Simulation) में किया जा सकता है।
  • गॉड पार्टिकल (God Particles): 1960 के दशक में, पीटर हिग्स ने बोस-आइंस्टीन सांख्यिकी का उपयोग करके शोध को आगे बढाया और एक बहुत ही अस्थिर कण के बारे में एक पेपर लिखा जो अपनी उत्पत्ति के बाद एक सेकंड के एक अंश तक सक्रिय रहता है, और फिर यह अन्य मौलिक कणों का उत्पादन करते हुए टूट जाता है।
    • उन्होंने इस कण को ‘हिग्स बोसॉन कण’ या ‘गॉड पार्टिकल’ कहा।

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