केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अंतरिक्ष क्षेत्र पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नीति में संशोधन को मंजूरी दे दी है।
संबंधित तथ्य
मौजूदा नीति: मौजूदा FDI नीति के अनुसार, FDI को केवल सरकारी अनुमोदन मार्ग के माध्यम से उपग्रह स्थापित करने एवं संचालित करने की अनुमति है।
भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023: वर्ष 2023 की भारतीय अंतरिक्ष नीति (Indian Space Policy) के तहत दृष्टिकोण एवं रणनीति के अनुरूप, कैबिनेट ने अंतरिक्ष क्षेत्र पर FDI नीति को आसान बना दिया है।
उदारीकृत FDI सीमाएँ: उपग्रह उप-क्षेत्र को ऐसे प्रत्येक क्षेत्र में विदेशी निवेश के लिए परिभाषित सीमाओं के साथ तीन अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया गया है।
गैर-सरकारी संस्थाओं (NGEs) पर प्रभाव: इस नीति बदलाव से उपग्रह एवं लॉन्च वाहन डोमेन में गैर-सरकारी संस्थाओं (NGEs) की क्षमताओं में वृद्धि, उत्पाद परिष्कार एवं वैश्विक बाजार में उपस्थिति को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
FDI नीति में संशोधन
नीति में स्पष्टता: इस नीति में संशोधन उदारीकृत प्रवेश मार्ग निर्धारित करते हैं एवं उपग्रहों, लॉन्च वाहनों और संबंधित प्रणालियों या उप प्रणालियों में FDI के लिए स्पष्टता प्रदान करते हैं, अंतरिक्ष यान को लॉन्च करने एवं प्राप्त करने के लिए स्पेसपोर्ट का निर्माण और अंतरिक्ष से संबंधित घटकों एवं प्रणालियों का निर्माण करते हैं।
एफडीआई (FDI) का वर्गीकरण एवं उदारीकरण: संशोधन उदारीकृत प्रवेश मार्ग की तीन श्रेणियों का प्रावधान करता है।
स्वचालित मार्ग के तहत 74% तक: उपग्रह-विनिर्माण एवं संचालन, सैटेलाइट डेटा उत्पाद एवं ग्राउंड सेगमेंट और उपयोगकर्ता सेगमेंट।
74% के अलावा ये गतिविधियाँ सरकारी अनुमोदन के अंतर्गत हैं।
स्वचालित मार्ग के तहत 49% तक: लॉन्च वाहन एवं संबंधित सिस्टम या सबसिस्टम, अंतरिक्ष यान को लॉन्च करने एवं प्राप्त करने के लिए स्पेसपोर्ट का निर्माण।
49% के अलाव ये गतिविधियाँ सरकारी अनुमोदन के अंतर्गत हैं।
स्वचालित मार्ग के तहत 100% तक: उपग्रहों, ग्राउंड सेगमेंट एवं उपयोगकर्ता सेगमेंट के लिए घटकों और प्रणालियों/उप-प्रणालियों का निर्माण।
अंतरिक्ष क्षेत्र में FDI को उदार बनाने के लाभ
संभावित निवेशकों को आकर्षित करना: संशोधित नीति के तहत उदारीकृत प्रवेश मार्गों का उद्देश्य संभावित निवेशकों को अंतरिक्ष क्षेत्र से संबद्ध भारतीय कंपनियों में निवेश करने के लिए आकर्षित करना है।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (EoDB) में वृद्धि: FDI नीति सुधार से देश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (EoDB) में वृद्धि होगी, जिससे FDI प्रवाह में बढ़ोतरी होगी एवं निवेश एवं आय की वृद्धि में योगदान मिलेगा।
वैश्विक बाजार में बढ़ी हुई हिस्सेदारी: यह भारत को वैश्विक अंतरिक्ष बाजार के एक बड़े हिस्से पर प्रभाव बनाए रखने के लिए प्रेरित कर सकता है। वर्तमान में, अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक बाजार में इसकी हिस्सेदारी केवल लगभग 2 प्रतिशत है।
रोजगार सृजन: निवेश बढ़ने एवं अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास से देश में रोजगार में वृद्धि होगी। वर्तमान में यह क्षेत्र लगभग 50,000 लोगों को ही रोजगार देता है।
आधुनिक प्रौद्योगिकी का अवशोषण: बढ़े हुए FDI एवं निजी क्षेत्र के सहयोग से यह क्षेत्र वैश्विक प्रौद्योगिकियों को अवशोषित करेगा और इस क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाएगा।
वैश्विक आपूर्ति शृंखला के साथ एकीकरण: उदारीकृत FDI भारतीय कंपनियों को वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में एकीकृत करेगा, जिससे कंपनियाँ देश के भीतर अपनी विनिर्माण सुविधाएँ स्थापित करने में सक्षम होंगी, जिससे ‘मेक इन इंडिया’ (Make In India) और ‘आत्मनिर्भर भारत’ (Atmanirbhar Bharat) पहल को बढ़ावा मिलेगा।
भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023
भारतीय अंतरिक्ष नीति का लक्ष्य वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी लगभग 2% से बढ़ाकर 10% करना है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के बुनियादी ढाँचे, प्रौद्योगिकी एवं विशेषज्ञता तक अधिक पहुँच के माध्यम से निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ाना।
नीति का फोकस: नागरिक एवं शांतिपूर्ण अनुप्रयोग को बढ़ावा देना है।
यह INSPACe, न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (New Space India Limited- NSIL), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), अंतरिक्ष विभाग एवं गैर-सरकारी संस्थाओं (Non-Government Entities) की जिम्मेदारियों को चित्रित करता है।
इस नीति का उद्देश्य अंतरिक्ष क्षमताओं को बढ़ाना, अंतरिक्ष में एक समृद्ध व्यावसायिक उपस्थिति विकसित करना एवं प्रौद्योगिकी विकास के चालक के रूप में अंतरिक्ष का उपयोग करना है।
Latest Comments