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सर्पदंश के लिए सिंथेटिक एंटीबॉडी का विकास

Lokesh Pal February 24, 2024 07:12 165 0

संदर्भ

भारतीय विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Science-IISc) बेंगलुरु के वैज्ञानिकों द्वारा साँपों द्वारा उत्पादित एक शक्तिशाली न्यूरोटॉक्सिन को बेअसर करने के लिए एक सिंथेटिक मानव एंटीबॉडी विकसित की गई है।

संबंधित तथ्य

  • यह अत्यधिक विषैले साँपों के एलापिडे फैमिली (Elapidae family) द्वारा उत्पादित एक शक्तिशाली न्यूरोटॉक्सिन को बेअसर कर सकता है, जिसमें कोबरा, किंग कोबरा, क्रेट और ब्लैक माम्बा शामिल हैं।
  • प्रयुक्त प्रक्रिया: पूर्व में एचआईवी (HIV) और  COVID-19 के खिलाफ एंटीबॉडी की जाँच के लिए इस्तेमाल की जाने वाली विधि को नई विषरोधी एंटीबॉडी को संश्लेषित करने और सर्पदंश के उपचार के लिए एंटीबॉडी विकसित करने के लिए लागू किया गया था।
    • शोधकर्ताओं ने घोड़े जैसे जानवरों में पहले विष इंजेक्ट करने की आवश्यकता को दरकिनार करते हुए एंटीबॉडी का उत्पादन करने के लिए मानव-व्युत्पन्न सेल लाइंस (Cell lines) का उपयोग किया।

भारत में सर्पदंश के मामले

  • भारत: यह साँपों की 300 से अधिक प्रजातियों का घर है, जिनमें से 60 प्रजातियाँ जहरीली मानी जाती हैं।
  • आँकड़े: एक प्रणालीगत के अध्ययन के अनुसार, भारत में प्रति वर्ष सर्पदंश के अनुमानित 3-4 मिलियन मामलों में लगभग 58,000 मौतें होती हैं, जो वैश्विक स्तर पर सर्पदंश से होने वाली सभी मौतों का आधा हिस्सा है, भारत में छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में सर्पदंश से सबसे अधिक मौतें दर्ज की जाती हैं।
  • विशेष कदम: केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) ने वर्ष 2022 में सर्पदंश की रोकथाम और नियंत्रण के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू किया है, इस तरह की प्रणाली शुरू करने वाला भारत एशिया का पहला देश बन गया।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन: WHO ने वैश्विक स्तर पर सर्पदंश के लिए चिकित्सा शब्द ‘स्नेकबाइट एनवेनोमिंग (Snakebite Envenoming)’ को उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (Neglected Tropical Disease -NTD) के रूप में वर्गीकृत किया है।
  • भारत में एंटी-स्नेक वेनम: भारत में पॉलीवैलेंट एएसवी (Polyvalent ASV) का उपयोग किया जाता है, जिसे आम भारतीय कोबरा (नाजा नाजा), कॉमन क्रेट (बंगारस कैर्यूलस), रसेल वाइपर (डाबोइया रसेली) और सॉ-स्केल्ड वाइपर (एचिस कैरिनेटस) के जहर का उपयोग करके विकसित किया जाता है।

शोध का महत्त्व

  • यह एक सार्वभौमिक एंटीबॉडी समाधान की दिशा में विकास शुरू कर सकता है, जो विभिन्न प्रकार के सर्पविष के खिलाफ व्यापक सुरक्षा प्रदान कर सके।
  • उपयोग में आने वाले पारंपरिक एंटीवेनम की तुलना में एंटीबॉडी की प्रभावकारिता लगभग 15 गुना पाई गई।
  • एंटीबॉडी देरी से दिए जाने पर भी जहर को बेअसर कर सकता है, जो वर्तमान में सर्पदंश के लिए उपयोग किए जाने वाले पारंपरिक एंटीवेनम में एक बड़ी कमजोरी है।
    • उदाहरण के लिए: पारंपरिक उत्पाद तभी अच्छा काम करता है, जब उसे जहर के साथ इंजेक्ट किया जाता है और 10 मिनट की देरी से भी पारंपरिक एंटीवेनम की शक्ति काफी कम हो जाती है।
  • घातक एनाफिलेक्सिस (Fatal Anaphylaxis) जैसे दुष्प्रभावों को रोका जा सकता है क्योंकि एंटीबॉडी पूरी तरह से मानव व्युत्पन्न है।

एंटीबॉडीज

  • इन्हें इम्युनोग्लोबुलिन भी कहा जाता है।
  • जब कोई अनचाहा पदार्थ या एंटीजन शरीर में प्रवेश करता है, तो व्यक्ति के इम्यून सिस्टम द्वारा उत्पन्न प्रोटीन होते हैं।
    • एंटीजन/प्रतिजन: यह एक बाह्य पदार्थ है, जो शरीर में प्रवेश करता है, जिसमें बैक्टीरिया, वायरस, कवक, एलर्जी, जहर और अन्य विभिन्न विषाक्त पदार्थ शामिल हो सकते हैं।
  • एंटीबॉडीज इन एंटीजन्स से जुड़ जाते हैं, ताकि उन्हें आपके शरीर से नष्ट किया जा सके।
  • उत्पादन: ये बीटा कोशिकाओं (प्लाज्मा सफेद रक्त कोशिकाओं) द्वारा निर्मित होते हैं।
    • जब भी कोशिकाएँ किसी एंटीजन के संपर्क में आती हैं, तो वे विभाजित जाती हैं और और स्वयं का क्लोन (Clone) बना लेती हैं। ये क्लोन बीटा कोशिकाएँ हमारे रक्तप्रवाह और लसीका तंत्र में लाखों एंटीबॉडीज छोड़ती हैं।
  • मौजूद: वे हमारे शरीर के विभिन्न हिस्सों में पाई जाती हैं, जिनमें त्वचा, फेफड़े, आँसू, लार आदि भी शामिल हैं।
  • प्रकार
    • IgG: यह सबसे आम एंटीबॉडी है, जो हमारे शरीर में लगभग 70% से 75% इम्युनोग्लोबुलिन का निर्माण करता (मुख्य रूप से रक्त और ऊतक तरल पदार्थ में)  है।
    • IgM: रक्त और लसीका प्रणाली में पाए जाने वाले वे संक्रमण के खिलाफ रक्षा की पहली पंक्ति के रूप में कार्य करते हैं और बैक्टीरिया और वायरल संक्रमण से बचाते हैं।
      • अन्य 3 प्रकार IgA, IgD, IgE हैं।
  • मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज: ये प्रयोगशाला में निर्मित एंटीबॉडीज हैं, जो रोगजनकों से लड़ने की हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली की प्राकृतिक क्षमता की नकल करते हैं। यह एक प्रकार की इम्यूनोथेरेपी (रोग-प्रतिरक्षा चिकित्सा) है।

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