प्रत्येक वर्ष 28 फरवरीको राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
संबंधित तथ्य
वर्ष 2024 की थीम: विकसित भारत के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकियाँ (Indigenous Technologies for Viksit Bharat)
यह थीम भारत के भविष्य को आकार देने मेंघरेलू प्रौद्योगिकियों के महत्त्व पर जोर देती है।
इस अवसर पर महान भारतीय भौतिक विज्ञानीसर सी.वी. रमन द्वारा रमन प्रभाव की उत्कृष्ट खोज की स्मृति में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, नई दिल्ली में एक समारोह आयोजित करेगा।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की पृष्ठभूमि
वर्ष 1986 मेंराष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद ने‘रमन प्रभाव’ की खोज की घोषणा के उपलक्ष्य में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में नामित किया था।
रमन प्रभाव
रमन प्रभाव की खोज के लिए भौतिक विज्ञानीसी. वी. रमन नेवर्ष 1930 में नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया।
परिभाषा:इसका अर्थ किसी पदार्थ द्वारा प्रकाश के ‘अप्रत्यास्थ प्रकीर्णन’ (Inelastic Scattering) से है, जो प्रकीर्णित प्रकाश की आवृत्ति में परिवर्तन का कारण बनता है।
यह प्रकाश की तरंग दैर्ध्य में ऐसा परिवर्तन है, जो अणुओं द्वारा प्रकाश किरणों के विक्षेपित होने के कारण होता है।
अनुप्रयोग
इसका उपयोगरसायनज्ञों एवं भौतिकविदों द्वारा पदार्थ के संबंध में जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
रमन प्रभाव, रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी का आधार है।
स्पेक्ट्रोस्कोपी, पदार्थ और विद्युत चुंबकीय विकिरण के बीच अंतःक्रिया का अध्ययन है।
सी. वी. रमन
जन्म: 7 नवंबर, 1888 को तमिलनाडु में हुआ।
उन्होंने वर्ष 1926 में‘इंडियन जर्नल ऑफ फिजिक्स’ की स्थापना की।
वर्ष 1917 में उन्हें कलकत्ता विश्वविद्यालय में भौतिकी के‘पालिट चेयर’ (Palit Chair) की उपाधि प्रदान की गई।
वर्ष 1924 में उन्हेंरॉयल सोसायटी का फेलोचुना गया और वर्ष 1929 में उन्हें नाइट की उपाधि दी गई।
वे बैंगलोर मेंभारतीय विज्ञान संस्थान (1933-1948) के प्रोफेसर रहे।
उन्होंने‘रमन इंस्टिट्यूट ऑफ रिसर्च’ के निदेशक के पद पर कार्य किया।
कार्य:वर्ष 1930 में प्रकाश प्रकीर्णन के क्षेत्र में कार्य हेतु भौतिकीका नोबेल पुरस्कार दिया गया।
प्रकाश प्रकीर्णन की इस घटना कोरमन प्रभावनाम दिया गया।
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