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आक्रामक विदेशी प्रजातियाँ

Lokesh Pal March 04, 2024 06:00 140 0

संदर्भ

हाल ही में सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट द्वारा स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरनमेंट 2024 में आक्रामक विदेशी प्रजातियों के उदय‘ शीर्षक से एक लेख प्रकाशित किया गया था।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष

आक्रामक विदेशी प्रजातियाँ

आक्रामक विदेशी प्रजातियाँ अपने मूल पारिस्थितिकी तंत्र से दूर नए क्षेत्रों में तीव्र प्रजनन करती हैं और वहाँ की मूल प्रजातियों को विस्थापित कर देती हैं, साथ ही अपने नए आवासों को भी बदल देती हैं।

  • विभिन्न वर्गीकरण समूहों की आक्रामकता में परिवर्तनशीलता
    • आक्रामक मानी जाने वाली स्थापित विदेशी प्रजातियों का प्रतिशत वर्गीकरण समूहों में भिन्न-भिन्न है। सभी विदेशी पौधों में से केवल 6% को आक्रामक माना जाता है, जबकि सभी विदेशी अकशेरुकी जीवों में यह आँकड़ा 22% तक पहुँच जाता है।
  • वैश्विक विलुप्ति पर आक्रामक विदेशी प्रजातियों के प्रभाव से चिंताजनक प्रवृत्ति का पता चलता है
    • आक्रामक विदेशी प्रजातियाँ, या तो अकेले अथवा अन्य कारकों के साथ मिलकर वैश्विक विलुप्त प्रजातियों में 60% का योगदान देती हैं।
    • वैश्विक द्वीपों पर आक्रामक विदेशी प्रजातियों का प्रभाव
      • दस्तावेजों के अनुसार, वैश्विक विलुप्ति की संख्या में लगभग 90% प्रभाव वैश्विक विलुप्तीकरण का है एवं स्थानीय विलुप्तीकरण का योगदान लगभग 9% है।
      • दुनिया के लगभग एक-चौथाई द्वीपों पर विदेशी पौधों की प्रजातियाँ अब देशी प्रजातियों से अधिक संख्या में पाई जाती हैं।
      • 218 आक्रामक विदेशी प्रजातियों के कारण 1,200 से अधिक स्थानीय विलुप्तीकरण हुए हैं।
  • मानवीय गतिविधियों के कारण विस्थापन: दुनियाभर में लगभग 37,000 विदेशी प्रजातियाँ पाई जाती हैं तथा प्रत्येक वर्ष लगभग 200 नई प्रजातियाँ दर्ज की जाती हैं।
  • विदेशी प्रजातियों में अनुमानित वृद्धि: यह अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2050 तक विदेशी प्रजातियों की कुल संख्या वर्ष 2005 की संख्या की तुलना में 33% अधिक होगी।
  • भारत को खतरा: जर्नल ऑफ एप्लाइड इकोलॉजी द्वारा प्रकाशित एक हालिया अध्ययन भारत में आक्रामक प्रजातियों द्वारा उत्पन्न महत्त्वपूर्ण खतरे को उजागर करता है।

दुनिया भर में प्रमुख आक्रामक प्रजातियाँ और प्रभावित क्षेत्र

आक्रामक विदेशी प्रजातियों ने शुरू किया जैविक आक्रमण

  • जैविक आक्रमण तब होता है, जब वनस्पति और जीवों की प्रजातियों का त्वरित प्रसार होता है, जो मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों या वैश्विक व्यापार के माध्यम से अज्ञात परिवहन के कारण होता है।
    • ये आक्रमण जैव विविधता के लिए एक बड़ा खतरा हैं, जिससे हजारों प्रजातियाँ विलुप्त होने की कगार पर पहुँच जाती हैं।
  • दरअसल, वैश्विक स्तर पर पर्यावरण परिवर्तन के शीर्ष पाँच कारणों में से यह एक है
  • आर्थिक लागत: वर्ष 2019 में वैश्विक स्तर पर अनुमानित रूप से $423 बिलियन का नुकसान हुआ था।
  • सामाजिक प्रभाव: यह खासकर वंचित समुदायों को असमान रूप से प्रभावित करता है।
    • ये प्रभाव मौजूदा असमानताओं को और बढ़ा देते हैं, जीविकोपार्जन के लिए खतरा पैदा करते हैं और पहले से ही कमजोर क्षेत्रों में पर्यावरणीय गिरावट को बढ़ा देते हैं।

भारत में आक्रामक विदेशी प्रजातियों के खतरे

  • प्रभावित क्षेत्र: हाल के एक अध्ययन में भारत में आक्रामक प्रजातियों द्वारा उत्पन्न महत्त्वपूर्ण खतरे को उजागर किया गया है। यह अध्ययन बताता है कि देश की 66% प्राकृतिक प्रणालियाँ इससे प्रभावित हैं।
  • आर्थिक घाटा: भारत में जैविक आक्रमणों के कारण $182.6 अरब तक का आर्थिक नुकसान होने का अनुमान है।
  • अध्ययन आक्रमण के महत्त्वपूर्ण चालकों की पहचान करता है और कमजोर क्षेत्रों पर प्रकाश डालता है।
  • प्रभावी ढंग से इस मुद्दे को संबोधित करने के लिए संदर्भ-संवेदनशील पुनर्स्थापना प्रयासों और समग्र नीतियों की आवश्यकता है।

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